अफगानिस्तान में भूकंप से तबाही: 800 से ज्यादा लोगों की मौत, मलबे में तब्दील हुईं इमारतें
अफगानिस्तान एक बार फिर भूकंप की भयावह मार झेल रहा है. ताजा आंकड़ों के मुताबिक इस प्राकृतिक आपदा में मरने वालों की संख्या 800 के पार पहुंच गई है. पूरे इलाके में तबाही का मंजर है—सैकड़ों इमारतें मलबे में बदल गईं, लोग बेघर हो गए और हजारों परिवारों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया. राहत और बचाव कार्य जारी है, लेकिन हालात इतने गंभीर हैं कि हर घंटे मौत का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है.
भूकंप के झटके और तबाही
भूकंप इतना शक्तिशाली था कि इसका असर कई प्रांतों में महसूस किया गया. घर, स्कूल, मस्जिद और अस्पताल ध्वस्त हो गए. कई गांव पूरी तरह से तबाह हो गए हैं. लोग सड़कों पर आ गए हैं और अब भी मलबे में कई लोगों के दबे होने की आशंका है. रातभर बचाव दल ने मशक्कत की, लेकिन भारी तबाही और सड़कों के टूट जाने की वजह से मदद पहुंचाने में देरी हो रही है.
मरने वालों की संख्या 800 के पार
सरकारी और स्थानीय प्रशासन के मुताबिक अब तक 800 से ज्यादा मौतें दर्ज हो चुकी हैं. घायलों की संख्या हजारों में है. अस्पतालों में घायलों की भीड़ लगी है और कई जगह दवाइयों और मेडिकल स्टाफ की भारी कमी हो गई है. स्थिति इतनी गंभीर है कि शवों को दफनाने के लिए भी जगह कम पड़ रही है.
राहत और बचाव अभियान
अफगानिस्तान की सरकार ने आपातकाल की स्थिति घोषित कर दी है. सेना और स्थानीय प्रशासन राहत कार्यों में जुटा है. अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं और पड़ोसी देशों से भी मदद की अपील की गई है. संयुक्त राष्ट्र और रेड क्रॉस ने राहत सामग्री भेजनी शुरू कर दी है. लेकिन पहाड़ी इलाकों और टूटी सड़कों की वजह से प्रभावित इलाकों तक पहुंचना मुश्किल हो रहा है.
लोगों की बेबसी
तबाही का आलम ऐसा है कि कई परिवारों ने अपने सभी सदस्य खो दिए. छोटे-छोटे बच्चे अकेले रह गए हैं, बुजुर्ग बेसहारा हो गए हैं. लोग खुले आसमान के नीचे रात गुजारने को मजबूर हैं. खाने-पीने की चीजों और साफ पानी की भारी कमी है. ठंडे मौसम में लोगों को ठिठुरते हुए देखा जा सकता है.
आर्थिक और सामाजिक असर
अफगानिस्तान पहले से ही आर्थिक संकट और राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहा है. ऐसे में यह भूकंप देश की मुश्किलें और बढ़ा देगा. हजारों घरों और सार्वजनिक भवनों के टूटने से पुनर्निर्माण की चुनौती खड़ी हो गई है. पहले से ही बेरोजगारी और महंगाई से परेशान लोग अब जीवनयापन की और बड़ी समस्या का सामना करेंगे.
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
दुनिया भर से अफगानिस्तान के लिए संवेदनाएं व्यक्त की जा रही हैं. कई देशों ने मदद भेजने का ऐलान किया है. भारत ने भी अफगानिस्तान को हर संभव मानवीय मदद देने का भरोसा दिया है. वहीं अमेरिका और यूरोपीय संघ ने कहा है कि वे प्रभावित लोगों की सहायता के लिए तैयार हैं. यह आपदा एक बार फिर दिखाती है कि प्राकृतिक आपदाओं के सामने इंसान कितना असहाय है.
भविष्य की चुनौतियां
राहत कार्यों के बाद सबसे बड़ी चुनौती होगी पुनर्निर्माण और विस्थापित लोगों का पुनर्वास. हजारों लोग अब बेघर हो गए हैं और उन्हें स्थायी छत की जरूरत होगी. स्वास्थ्य सेवाओं को बहाल करना और शिक्षा संस्थानों को फिर से खड़ा करना भी बड़ी चुनौती होगीअफगानिस्तान का यह भूकंप केवल एक प्राकृतिक आपदा नहीं है, बल्कि मानवीय त्रासदी है. सैकड़ों परिवार बर्बाद हो गए, हजारों लोग बेघर हो गए और पूरे देश पर दुख का पहाड़ टूट पड़ा. अंतरराष्ट्रीय मदद और एकजुटता से ही इस संकट से बाहर निकला जा सकता है. अभी दुनिया की नजरें अफगानिस्तान पर हैं और उम्मीद की जा रही है कि जल्दी ही पीड़ितों तक पर्याप्त मदद पहुंचे.
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