अमेरिका को लगेगा बड़ा झटका! अब भारत में ही बनेंगे यात्री विमान; रूस के साथ हो गई ऐतिहासिक डील
भारत ने विमानन इतिहास में एक नई उड़ान भर दी है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और रूस के बीच हुई बड़ी डील के बाद अब भारत में ही यात्री विमान तैयार किए जाएंगे। इस समझौते से न सिर्फ देश की आत्मनिर्भरता को नई ताकत मिलेगी, बल्कि अमेरिका जैसे देशों को भी बड़ा झटका लगने वाला है, जो अब तक भारत को बड़े पैमाने पर सिविल एयरक्राफ्ट सप्लाई करते थे।
क्या हुआ?
HAL ने रूस की मदद से एसजे-100 (SJ-100) नामक आधुनिक यात्री विमान के स्थानीय निर्माण की घोषणा की है। यह विमान रूस के Sukhoi Superjet 100 मॉडल पर आधारित होगा, लेकिन भारत की जरूरतों और जलवायु के अनुसार इसमें कई तकनीकी बदलाव किए जाएंगे।
डील के तहत रूस भारत को टेक्नोलॉजी ट्रांसफर देगा, जिससे भारत भविष्य में इन विमानों को न सिर्फ घरेलू बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी बेच सकेगा।
कब और कैसे हुई डील?
यह समझौता अक्टूबर 2025 के आखिरी हफ्ते में मॉस्को में हुई उच्चस्तरीय बैठक में तय हुआ। इसमें भारत के रक्षा और नागरिक उड्डयन मंत्रालय के प्रतिनिधियों के साथ रूस के उद्योग मंत्री और United Aircraft Corporation (UAC) के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
दोनों देशों के बीच यह साझेदारी “Make in India” और “Atmanirbhar Bharat” अभियानों के अनुरूप है। शुरुआती चरण में HAL बेंगलुरु और नासिक में उत्पादन लाइन तैयार करेगा।
क्यों है यह सौदा खास?
यह सिर्फ एक औद्योगिक सौदा नहीं, बल्कि भारत के विमानन सेक्टर के लिए गेमचेंजर कदम है। अब तक भारत ज्यादातर विदेशी विमानों — बोइंग और एयरबस — पर निर्भर था।
अब HAL के पास अवसर है कि वह भारतीय एयरलाइंस को स्थानीय रूप से निर्मित, कम लागत वाले और आधुनिक विमान उपलब्ध कराए। इससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और भारत वैश्विक एविएशन बाजार में एक उभरती ताकत बन सकता है।
इसके अलावा, भारत-रूस डिफेंस सहयोग पहले से मजबूत रहा है। अब यह साझेदारी सिविल एविएशन के क्षेत्र में भी गहराई लाएगी।
कितनी निवेश राशि और क्या होगा असर?
गूगल और माइक्रोसॉफ्ट की तरह ही, HAL इस प्रोजेक्ट में 15 अरब डॉलर के संयुक्त निवेश की योजना पर काम कर रहा है।
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भारत में विमान निर्माण से हर साल अरबों डॉलर का विदेशी खर्च बचेगा।
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रोजगार और तकनीकी कौशल के नए द्वार खुलेंगे।
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देश में पहली बार एक “सिविल एयरक्राफ्ट इकोसिस्टम” बनेगा, जिसमें इंजन, एवियोनिक्स, और ट्रेनिंग शामिल होगी।
आगे की राह
अगर सब कुछ तय समय पर हुआ, तो 2028 तक भारत में पहला स्वदेशी SJ-100 यात्री विमान आसमान में उड़ान भरता नजर आएगा।
HAL का लक्ष्य अगले 10 वर्षों में करीब 150 विमान बनाने का है। इनमें से कुछ एशिया और अफ्रीका के देशों को भी एक्सपोर्ट किए जाएंगे।
नतीजा
भारत का यह कदम दुनिया को दिखा रहा है कि अब वह सिर्फ डिफेंस में नहीं, बल्कि सिविल एविएशन में भी आत्मनिर्भर बनने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है। अमेरिका और यूरोप के लिए यह निश्चित रूप से एक आर्थिक और रणनीतिक चुनौती साबित होगी। भारत ने विमानन इतिहास में एक नई उड़ान भर दी है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और रूस के बीच हुई बड़ी डील के बाद अब भारत में ही यात्री विमान तैयार किए जाएंगे। इस समझौते से न सिर्फ देश की आत्मनिर्भरता को नई ताकत मिलेगी, बल्कि अमेरिका जैसे देशों को भी बड़ा झटका लगने वाला है, जो अब तक भारत को बड़े पैमाने पर सिविल एयरक्राफ्ट सप्लाई करते थे।
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