आज की जन्माष्टमी पर अगर ये भूल की, तो कृष्ण भी नहीं देंगे आशीर्वाद – जानें राधा-कृष्ण की कृपा पाने का रहस्य
नई दिल्ली:
पूरे देश में आज बड़े धूमधाम से श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2025 मनाई जा रही है। मंदिरों में झांकियां सज रही हैं, घर-घर में लड्डू गोपाल का श्रृंगार हो रहा है और भक्त व्रत रखकर श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की तैयारी कर रहे हैं। लेकिन शास्त्रों में एक खास बात कही गई है – अगर आप जन्माष्टमी पर सिर्फ श्रीकृष्ण की पूजा कर रहे हैं और राधा रानी को भूल गए हैं, तो आपकी भक्ति अधूरी रह जाएगी।
क्यों जरूरी है राधा के बिना पूजा अधूरी मानना?
श्रीमद्भागवत और पद्म पुराण में उल्लेख है कि राधा कृष्ण की आध्यात्मिक शक्ति हैं। कृष्ण प्रेम के प्रतीक हैं, लेकिन उस प्रेम की आत्मा राधा ही हैं। इसीलिए हर जगह पहले “राधे कृष्ण” का उच्चारण होता है। माना जाता है कि जो भी भक्त राधा को साथ लेकर पूजा करता है, उसे कृष्ण से दोगुना आशीर्वाद मिलता है।
जन्माष्टमी 2025: पूजा विधि
इस पावन अवसर पर भक्तों को निम्न विधि से पूजा करनी चाहिए:
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व्रत व संकल्प – सुबह स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें। दिनभर फलाहार करें।
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स्थान शुद्धिकरण – मंदिर या पूजा स्थान को गंगाजल से पवित्र करें।
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प्रतिमा स्थापना – राधा-कृष्ण की प्रतिमा या चित्र को साफ आसन पर स्थापित करें।
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अभिषेक – दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से पंचामृत स्नान कराएं।
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श्रृंगार – भगवान को नए वस्त्र पहनाएं, फूलों और आभूषणों से सजाएं।
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भोग – माखन, मिश्री, फल और पंचामृत का भोग अर्पित करें।
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मंत्र जाप –
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“ॐ राधा कृष्णाय नमः”
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“हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे”
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राधा-कृष्ण की कृपा पाने के विशेष उपाय
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रात 12 बजे घी का दीपक जलाकर 11 बार परिक्रमा करें।
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राधा-कृष्ण की जोड़ी को मोरपंख और तुलसीदल अर्पित करें।
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गरीबों को माखन-मिश्री और प्रसाद का दान करें।
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राधा रानी को लाल चुनरी अर्पित करने से दांपत्य जीवन में प्रेम और सामंजस्य बढ़ता है।
आध्यात्मिक महत्व
राधा और कृष्ण केवल देवी-देवता नहीं, बल्कि भक्ति और प्रेम का अद्वितीय संगम हैं। राधा के बिना कृष्ण अधूरे माने जाते हैं। इसलिए जन्माष्टमी पर दोनों की संयुक्त पूजा करने से ही पूर्ण फल मिलता है।
अगर आप आज की जन्माष्टमी पर सिर्फ श्रीकृष्ण की पूजा करेंगे और राधा रानी का स्मरण भूल जाएंगे, तो आपकी भक्ति अधूरी रह जाएगी। इसलिए सही विधि से राधा-कृष्ण की संयुक्त पूजा करें और दोगुना आशीर्वाद पाएं।
जन्माष्टमी का महापर्व बस आने ही वाला है! हर घर, हर मंदिर में कान्हा के जन्म की तैयारियां ज़ोरों पर हैं। हवाओं में एक अलग ही उत्साह और भक्ति की मिठास घुली हुई है। हर कोई अपने आराध्य, नटखट नंदलाल को प्रसन्न करने की तैयारी में जुटा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस दिन की गई एक छोटी सी भूल आपकी पूजा को अधूरा बना सकती है? एक ऐसी भूल, जिससे शायद स्वयं भगवान कृष्ण भी आपसे पूरी तरह प्रसन्न न हों।
जी हाँ, हम बात कर रहे हैं केवल श्रीकृष्ण की पूजा करने की। शास्त्रों और पुराणों में यह स्पष्ट लिखा है कि राधा के बिना कृष्ण अधूरे हैं और कृष्ण के बिना राधा। वे एक ही आत्मा के दो रूप हैं। अगर कृष्ण देह हैं, तो राधा उसकी आत्मा हैं। इसलिए, यदि आप जन्माष्टमी पर श्री कृष्ण का पूर्ण आशीर्वाद और कृपा पाना चाहते हैं, तो उनकी पूजा आदिशक्ति, श्री राधारानी के साथ ही करें।
इस वर्ष जन्माष्टमी का पर्व 26 अगस्त 2025, मंगलवार को मनाया जाएगा। आइए, इस जन्माष्टमी पर जानें कि कैसे राधा-कृष्ण की संयुक्त पूजा करके आप अपने जीवन में प्रेम, समृद्धि और आनंद को दोगुना कर सकते हैं।
क्यों अधूरी है राधा के बिना कृष्ण भक्ति?
यह समझना बहुत ज़रूरी है कि राधा कोई साधारण ग्वालिन नहीं, बल्कि स्वयं कृष्ण की “ह्लादिनी शक्ति” हैं – यानी आनंद प्रदान करने वाली ऊर्जा। कृष्ण को आनंद का अनुभव राधा के माध्यम से ही होता है। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, जो व्यक्ति ‘राधा’ नाम का जप करने के बाद ‘कृष्ण’ नाम का जप करता है, वह भगवान को तुरंत प्रसन्न कर लेता है। राधा का नाम कृष्ण से भी पहले लिया जाता है – “राधे-कृष्ण”। राधा भक्ति का शिखर हैं। उन्हें प्रसन्न कर लिया तो कृष्ण स्वयं प्रसन्न हो जाते हैं। इसलिए इस जन्माष्टमी, केवल कान्हा की मूर्ति ही नहीं, बल्कि राधा-कृष्ण के युगल स्वरुप की स्थापना करें और उनकी संपूर्ण कृपा प्राप्त करें।
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