चशोती में बादल फटा: 44 की मौत, 120 घायल हैं और 220 लोग लापता हैं! मचेल माता मदिर के पास के सारे टेंट बहे, 35 की हालत नाज़ुक !
जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के चशोती गांव में गुरुवार सुबह एक भीषण बादल फटने की घटना हुई, जिसमें अब तक 38 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। इस प्राकृतिक आपदा ने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया है। प्रशासन ने राहत और बचाव कार्य के लिए सेना, SDRF और स्थानीय पुलिस को तैनात किया है।
घटना कैसे हुई
स्थानीय लोगों के मुताबिक, सुबह करीब 6 बजे अचानक आसमान से तेज़ आवाज़ आई और कुछ ही पलों में चशोती के पहाड़ी इलाके से भारी मात्रा में पानी, कीचड़ और पत्थर बहते हुए गांव में घुस आए। यह इतनी तेज़ी से हुआ कि लोग समझ भी नहीं पाए और कई घर व दुकानें बहाव में आ गईं।
तेज बारिश के साथ आई इस आपदा ने खेती की जमीन, मवेशी और गांव की सड़कें तक तबाह कर दीं। कई लोग अब भी लापता बताए जा रहे हैं और उनकी तलाश जारी है।

प्रशासन और सेना की भूमिका
जैसे ही घटना की खबर मिली, किश्तवाड़ जिला प्रशासन ने तुरंत बचाव दल को मौके पर भेजा। सेना और SDRF की टीमें भी हेलिकॉप्टर और नावों के साथ राहत कार्य में जुट गईं।
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अब तक 15 लोगों को सुरक्षित निकाला गया है।
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मेडिकल टीम मौके पर पहुंच चुकी है और घायलों का इलाज जारी है।
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जिन इलाकों में फंसे लोगों तक सड़क से पहुंचना संभव नहीं है, वहां एयरलिफ्ट की व्यवस्था की जा रही है।
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने घटना पर गहरा दुख जताते हुए पीड़ित परिवारों को हर संभव मदद देने का आश्वासन दिया है।
स्थानीय लोगों का दर्द
चशोती के रहने वाले शकील अहमद ने बताया, “सब कुछ पलक झपकते ही खत्म हो गया। हमारे घर में पानी और पत्थर ऐसे घुसे जैसे कोई पहाड़ टूट पड़ा हो। कई लोग अब भी मलबे में दबे हैं।”
वहीं, एक महिला रुखसाना बेगम ने कहा, “हमारी पूरी फसल बह गई, मवेशी मर गए और घर भी टूट गया। अब हमारे पास रहने के लिए भी जगह नहीं है।”
बादल फटने के कारण और खतरे
विशेषज्ञों के अनुसार, पहाड़ी इलाकों में बादल फटने की घटनाएं तब होती हैं जब कम समय में बहुत अधिक बारिश होती है। यह बारिश इतनी तेज़ होती है कि पानी का बहाव नदियों और नालों की क्षमता से ज्यादा हो जाता है, जिससे अचानक बाढ़ आ जाती है।
पिछले कुछ सालों में जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में बादल फटने की घटनाएं बढ़ी हैं, जिसका एक बड़ा कारण जलवायु परिवर्तन और अनियंत्रित निर्माण को माना जा रहा है।
सरकार की अपील
प्रशासन ने आसपास के गांवों के लोगों से अपील की है कि वे ऊंचाई वाले इलाकों में चले जाएं और नदियों के पास न रुकें। राहत शिविर लगाए जा रहे हैं और पीड़ित परिवारों को खाने-पीने की चीजें और कपड़े मुहैया कराए जा रहे हैं।
सोशल मीडिया पर संवेदनाएं
घटना के बाद सोशल मीडिया पर #KishtwarCloudBurst, #Chashoti और #PrayForKishtwar ट्रेंड करने लगे हैं। देशभर से लोग पीड़ित परिवारों के लिए दुआएं कर रहे हैं और मदद भेजने की अपील कर रहे हैं।
चशोती में बादल फटने की यह घटना हमें एक बार फिर याद दिलाती है कि प्रकृति के सामने इंसान कितना असहाय है। ऐसे समय में जरूरी है कि हम प्राकृतिक चेतावनियों को गंभीरता से लें और पहाड़ी इलाकों में सुरक्षित निर्माण और आपदा प्रबंधन पर खास ध्यान दें।
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