जीएसटी की बैठक में बड़ा फैसला: अब होंगे सिर्फ दो टैक्स स्लैब – 5% और 18% – PM मोदी ने दिया बड़ा तोहफ़ा!
भारत की अर्थव्यवस्था से जुड़ा एक बड़ा फैसला जीएसटी काउंसिल ने लिया है। अब तक जीएसटी में कई तरह के टैक्स स्लैब मौजूद थे, जिससे आम उपभोक्ता से लेकर कारोबारियों तक को उलझन का सामना करना पड़ता था। लेकिन ताजा बैठक में तय हुआ है कि अब सिर्फ दो स्लैब – 5% और 18% – लागू होंगे। यह कदम टैक्स सिस्टम को आसान और पारदर्शी बनाने की दिशा में ऐतिहासिक माना जा रहा है।
पहले क्या था और अब क्या बदलेगा?
अभी तक जीएसटी में 0%, 5%, 12%, 18% और 28% के कई स्लैब थे। 28% वाले स्लैब में लग्जरी और सिन टैक्स वाली चीजें आती थीं। वहीं 12% और 18% के स्लैब में बहुत सारी रोजमर्रा की चीजें शामिल थीं, जिसकी वजह से अक्सर भ्रम की स्थिति बनती थी।
नए फैसले के बाद अब इनको समेटकर सिर्फ दो दरें रह जाएंगी। यानी साधारण और आवश्यक वस्तुएं 5% के स्लैब में आएंगी और ज्यादातर वस्तुएं और सेवाएं 18% टैक्स के दायरे में रहेंगी।
उपभोक्ताओं पर असर
आम लोगों के लिए यह फैसला राहत और चुनौती दोनों ला सकता है।
-
राहत इसलिए कि अब टैक्स स्ट्रक्चर आसान होगा और लोगों को यह समझने में दिक्कत नहीं होगी कि किस वस्तु पर कितना जीएसटी देना है।
-
चुनौती इसलिए कि कई चीजों पर टैक्स बढ़ सकता है, खासकर वे उत्पाद जो अभी 12% वाले स्लैब में आते थे और अब सीधे 18% में चले जाएंगे।
कारोबारियों पर असर
व्यापारियों और छोटे कारोबारियों के लिए यह सिस्टम ज्यादा सरल होगा। बिलिंग और टैक्स फाइलिंग आसान हो जाएगी। अब उन्हें अलग-अलग स्लैब की गुत्थी सुलझाने की जरूरत नहीं होगी।
हालांकि, जिन सेक्टर्स में टैक्स बढ़ेगा, वहां शुरुआती विरोध हो सकता है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि लंबे समय में यह व्यवस्था कारोबार के लिए बेहतर होगी।
सरकार को क्या फायदा होगा?
सरकार का लक्ष्य टैक्स अनुपालन को बढ़ाना और राजस्व में सुधार करना है। अभी तक कई स्लैब की वजह से टैक्स चोरी की संभावनाएं भी बनी रहती थीं। एकरूपता आने से टैक्स वसूली ज्यादा प्रभावी होगी और कलेक्शन भी बढ़ सकता है।
विपक्ष और विशेषज्ञों की राय
विपक्ष का कहना है कि सरकार यह फैसला बिना तैयारी के कर रही है और इसका असर महंगाई पर पड़ेगा। वहीं आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि जीएसटी का मूल उद्देश्य ही यही था कि टैक्स सिस्टम सरल और पारदर्शी बने। यह बदलाव उसी दिशा में बड़ा कदम है।
आम जनता की चिंताएं
लोगों के मन में सबसे बड़ा सवाल यही है कि रोजमर्रा के सामान पर कितना टैक्स लगेगा। अगर खाने-पीने की चीजें और दवाइयां 5% वाले स्लैब में रहती हैं तो आम आदमी को ज्यादा परेशानी नहीं होगी। लेकिन अगर इनमें भी बदलाव होता है तो जेब पर असर पड़ना तय है।
वैश्विक नजरिए से क्यों अहम है?
दुनिया के कई देशों में जीएसटी या वैट जैसी टैक्स व्यवस्था में एक या दो ही दरें होती हैं। भारत में भी लंबे समय से इसकी मांग हो रही थी कि टैक्स ढांचा आसान किया जाए। इस फैसले से भारत का टैक्स सिस्टम अंतरराष्ट्रीय मानकों के करीब पहुंच जाएगा।
आगे की राह
जीएसटी काउंसिल ने फैसला तो कर लिया है, लेकिन इसे लागू करने के लिए राज्यों की सहमति जरूरी होगी। आने वाले महीनों में इस पर और चर्चा होगी। उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2025-26 से यह नया स्ट्रक्चर लागू हो सकता है।
जीएसटी के स्लैब कम करना न सिर्फ टैक्स सिस्टम को आसान बनाएगा बल्कि देश की अर्थव्यवस्था में भी स्थिरता लाएगा। हालांकि, शुरुआत में कुछ सेक्टरों को झटका लग सकता है, लेकिन लंबे समय में यह सुधार आम जनता और कारोबारियों दोनों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
Sunita Williams ने धरती पर रखा कदम, जानिए उनके इस 9 महीने की अद्वितीय साहस की कहानीHathras का अय्याश प्रोफेसर! 30 से ज्यादा छात्राओं को अपने जाल में फंसायाजस्टिन ट्रूडो का इस्तीफा: नए राष्ट्रपति बने मार्क कार्नीक्या रोहित शर्मा का ये आख़िरी वनडे हैं ? सूत्रों के हवाले से ये बड़ी खबर आ रही हैं
theguardian.com thetimes.co.uk theaustralian.com.au












Users Today : 7
Views Today : 10