ट्रम्प ट्रेड वॉर के बीच भारत इस देश के साथ बहुत बड़ी डील करने जा रहा हैं, ट्रम्प फिर लगी मिर्ची ?
भारत और सिंगापुर के बीच रिश्तों में एक नया अध्याय जुड़ने जा रहा है। इस हफ्ते दोनों देशों के मंत्रियों की बैठक में करीब 10 अहम समझौते (MoUs) को अंतिम रूप दिया जाएगा। इन समझौतों में टेक्नोलॉजी, डिजिटल कनेक्टिविटी, कौशल विकास, और सौर ऊर्जा परियोजनाओं जैसे अहम क्षेत्र शामिल हैं।
सबसे चर्चित प्रोजेक्ट है — भारत से सिंगापुर तक समुद्र के नीचे केबल बिछाना। यह केबल न सिर्फ डेटा कनेक्टिविटी को तेज़ करेगी बल्कि सौर ऊर्जा को भी सिंगापुर तक पहुंचाने का काम करेगी। यह पहल दोनों देशों के बीच ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने और टेक्नोलॉजिकल सहयोग को एक नए स्तर पर ले जाएगी।
🤝 क्यों खास है यह बैठक?
भारत और सिंगापुर पहले से ही मजबूत आर्थिक और रणनीतिक साझेदार हैं। लेकिन इस बार का एजेंडा सिर्फ व्यापार तक सीमित नहीं है।
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ग्रीन एनर्जी सहयोग: सौर ऊर्जा ट्रांसमिशन के लिए हाई-टेक अंडरसी केबल।
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टेक्नोलॉजी पार्टनरशिप: AI, ब्लॉकचेन, साइबर सिक्योरिटी जैसे क्षेत्रों में संयुक्त प्रोजेक्ट।
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डिजिटल कनेक्टिविटी: दोनों देशों के बीच हाई-स्पीड इंटरनेट कनेक्शन से डेटा ट्रांसफर में क्रांति।
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कौशल विकास: भारतीय युवाओं के लिए स्किल ट्रेनिंग और रोजगार के नए अवसर।

☀️ सौर ऊर्जा का नया रास्ता
सबसे महत्वाकांक्षी पहल है — सौर ऊर्जा को सिंगापुर तक पहुंचाना। भारत के पास विशाल सौर ऊर्जा क्षमता है, खासकर राजस्थान, गुजरात और दक्षिणी राज्यों में। अब इस ऊर्जा को सिंगापुर तक पहुंचाने के लिए समुद्र के नीचे ट्रांसमिशन लाइन बिछाई जाएगी।
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इससे कार्बन उत्सर्जन कम होगा।
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स्वच्छ ऊर्जा का आदान-प्रदान बढ़ेगा।
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ऊर्जा क्षेत्र में भारत की वैश्विक भूमिका और मजबूत होगी।
📡 डिजिटल कनेक्टिविटी: इंटरनेट होगा और तेज़
अंडरसी केबल का एक और फायदा है हाई-स्पीड इंटरनेट और डेटा ट्रांसफर।
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बिज़नेस प्रोसेसिंग, फाइनेंशियल सर्विसेज और टेक्नोलॉजी कंपनियों के लिए गेम-चेंजर।
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भारत और सिंगापुर के बीच डेटा एक्सचेंज और क्लाउड सर्विस की क्षमता कई गुना बढ़ेगी।
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5G और भविष्य की 6G टेक्नोलॉजी के लिए मजबूत आधार।
🏗️ कौशल विकास और रोजगार के अवसर
दोनों देशों में एक समझौता स्किल डेवलपमेंट को लेकर होगा।
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भारतीय युवाओं को सिंगापुर में नई टेक्नोलॉजी और इंडस्ट्री-फोकस ट्रेनिंग का मौका मिलेगा।
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IT, डिजिटल मार्केटिंग, AI, और ब्लॉकचेन जैसे क्षेत्रों में रोजगार की संभावनाएं।
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स्टार्टअप्स को फंडिंग और ग्लोबल नेटवर्किंग का लाभ।
💹 आर्थिक असर
ये 10 समझौते भारत और सिंगापुर के बीच द्विपक्षीय व्यापार को नई ऊंचाई पर ले जाएंगे।
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वर्तमान में दोनों देशों के बीच सालाना व्यापार 30 अरब डॉलर के आसपास है।
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नए प्रोजेक्ट्स से यह आंकड़ा आने वाले 5 साल में 50 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है।
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निवेश, टेक्नोलॉजी और इनोवेशन के आदान-प्रदान से GDP में भी सीधा योगदान होगा।
भारत और सिंगापुर के बीच होने वाले ये समझौते सिर्फ कागज़ी दस्तावेज़ नहीं होंगे, बल्कि आने वाले समय में एशिया के आर्थिक और तकनीकी भविष्य की दिशा तय करेंगे। ग्रीन एनर्जी, डिजिटल कनेक्टिविटी और स्किल डेवलपमेंट जैसे क्षेत्रों में सहयोग दोनों देशों के लोगों के लिए नए अवसर खोलेगा।
यह साझेदारी दिखाती है कि भारत अब सिर्फ एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था नहीं, बल्कि वैश्विक टेक और ग्रीन एनर्जी लीडर के रूप में अपनी पहचान बना रहा है।
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⁃ theguardian.com thetimes.co.uk theaustralian.com.au












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