थाईलैंड-कंबोडिया विवाद गहराया: सीमा पर मार्शल लॉ, चीन की मध्यस्थता ठुकराई | जानें पूरी कहानी
एक बार फिर सुलगने लगी है थाईलैंड-कंबोडिया सीमा
दक्षिण-पूर्व एशिया के दो पड़ोसी देशों — थाईलैंड और कंबोडिया — के बीच एक बार फिर तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई है। दोनों देशों के बीच वर्षों पुराना सीमा विवाद एक बार फिर उभरकर सामने आया है। हालात इतने बिगड़ गए कि थाईलैंड को अपने 8 सीमावर्ती जिलों में मार्शल लॉ (सैन्य शासन) लागू करना पड़ा। वहीं, चीन द्वारा पेश की गई मध्यस्थता की पेशकश को थाईलैंड ने सिरे से ठुकरा दिया।
यह केवल दो देशों के बीच की लड़ाई नहीं है, बल्कि इसके पीछे छिपे भू-राजनीतिक समीकरणों, ऐतिहासिक विवादों और बड़े वैश्विक खिलाड़ियों की रणनीति भी है।
क्या है विवाद की जड़?
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा विवाद नया नहीं है। यह विवाद प्रेअह विहेयर मंदिर (Preah Vihear Temple) को लेकर दशकों पुराना है, जो दोनों देशों के बीच की सीमा पर स्थित है। साल 1962 में इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस ने इस मंदिर को कंबोडिया का हिस्सा माना था, लेकिन इसके आसपास की जमीन पर अब भी थाईलैंड और कंबोडिया के बीच मतभेद बने हुए हैं।
हाल के सप्ताहों में दोनों देशों के नागरिकों के बीच झड़पें हुई हैं और कुछ स्थानों पर सीमा सुरक्षा बलों के बीच भी तनातनी देखने को मिली है।
थाईलैंड की सख्त प्रतिक्रिया: 8 जिलों में मार्शल लॉ
थाईलैंड की सरकार ने स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए कंबोडिया की सीमा से सटे 8 जिलों में मार्शल लॉ लागू कर दिया है। इसका अर्थ है कि इन क्षेत्रों में अब नागरिक प्रशासन के बजाय सेना का सीधा नियंत्रण होगा।
इसका उद्देश्य है:
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सीमा पर अराजकता को रोकना
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संभावित कंबोडियाई घुसपैठियों को सीमित करना
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असामाजिक तत्वों पर नियंत्रण रखना
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स्थानीय नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करना
चीन की मध्यस्थता को थाईलैंड ने ठुकराया
चीन, जो कि इस क्षेत्र में खुद को एक शांतिदूत के रूप में पेश करना चाहता है, ने दोनों देशों के बीच मध्यस्थता की पेशकश की थी। लेकिन थाईलैंड ने इस प्रस्ताव को साफ शब्दों में खारिज कर दिया।
थाई सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा, “यह हमारा द्विपक्षीय मुद्दा है, जिसे हम स्वयं हल करेंगे। किसी तीसरे पक्ष की आवश्यकता नहीं है।”
विशेषज्ञों का मानना है कि थाईलैंड चीन के इरादों को लेकर आश्वस्त नहीं है और नहीं चाहता कि वह इस संघर्ष को अपने हितों के लिए उपयोग करे।

इस पूरे घटनाक्रम के 10 बड़े अपडेट्स
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थाईलैंड ने सीमा से लगे 8 जिलों में मार्शल लॉ लागू किया।
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कंबोडिया की सेना ने अपने सीमावर्ती ठिकानों पर तैनाती बढ़ा दी है।
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स्थानीय नागरिकों में भय और अफवाहों का माहौल बना हुआ है।
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प्रेअह विहेयर मंदिर क्षेत्र में तनाव सबसे अधिक है।
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थाईलैंड ने सीमावर्ती व्यापार अस्थायी रूप से रोक दिया है।
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दोनों देशों की सीमाओं पर भारी सैन्य गतिविधियां देखी जा रही हैं।
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चीन ने मध्यस्थता की पेशकश की लेकिन थाईलैंड ने इसे ठुकरा दिया।
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अमेरिका और ASEAN देशों की भी इस मुद्दे पर निगाहें टिकी हुई हैं।
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कई अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों ने सीमावर्ती पर्यटन स्थलों से दूरी बना ली है।
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थाईलैंड की सेना ने कहा है कि नागरिकों की सुरक्षा प्राथमिकता है।
क्या यह तनाव युद्ध में बदलेगा?
फिलहाल दोनों देशों ने संयम बरतने की बात कही है, लेकिन लगातार सैन्य तैनाती और सीमा पर बढ़ती झड़पें चिंता का विषय हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि जल्द ही कोई राजनयिक हल नहीं निकाला गया, तो यह तनाव एक सीमित युद्ध का रूप ले सकता है, जिससे पूरे दक्षिण-पूर्व एशिया की स्थिरता खतरे में पड़ सकती है।

अब आगे क्या?
थाईलैंड और कंबोडिया को चाहिए कि वे अपने मतभेदों को बातचीत के जरिए हल करें, ताकि क्षेत्र में शांति बनी रहे। वहीं वैश्विक शक्तियों को भी इस स्थिति को और भड़काने के बजाय, द्विपक्षीय समाधान को प्राथमिकता देनी चाहिए।
चीन के हस्तक्षेप को ठुकराकर थाईलैंड ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को लेकर समझौता नहीं करेगा।
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