पाकिस्तानी हॉकी टीम आएंगी भारत, खेलेंगी दो टूर्नामेंट – क्या बदलेगा खेल कूटनीति का रंग?
“खेल राजनीति से परे होते हैं” — ये कहावत अब एक बार फिर सही साबित हो रही है। भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से चले आ रहे राजनीतिक तनावों के बीच एक बड़ी खबर सामने आई है। भारत सरकार ने पाकिस्तानी टीमों को भारत में दो टूर्नामेंट में हिस्सा लेने की अनुमति दे दी है।
खेल मंत्रालय ने इस फैसले को गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय से मंजूरी मिलने के बाद सार्वजनिक किया है। यह एक ऐतिहासिक और सकारात्मक संकेत माना जा रहा है, खासकर ऐसे समय में जब दोनों देशों के बीच रिश्तों में तल्खी बनी हुई है।
कौन-कौन से टूर्नामेंट में हिस्सा लेंगी पाकिस्तानी टीमें?
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SAARC महिला वॉलीबॉल टूर्नामेंट
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एशियन जूनियर ताइक्वांडो चैंपियनशिप
इन दोनों टूर्नामेंट का आयोजन भारत के अलग-अलग शहरों में होगा, जहां पाकिस्तान के अलावा बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल और अफगानिस्तान जैसी टीमें भी हिस्सा लेंगी।
यह फैसला क्यों है खास?
भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट समेत सभी द्विपक्षीय खेल संबंध कई सालों से ठंडे बस्ते में पड़े हैं। ऐसे में पाकिस्तान की किसी टीम का भारत आकर खेलना, एक नया अध्याय शुरू करने जैसा है।
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यह फैसला खेल को राजनीति से अलग रखने की नीति को दर्शाता है।
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इससे दक्षिण एशियाई खेल सहयोग को बढ़ावा मिलेगा।
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युवा खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रदर्शन का अवसर मिलेगा।
राजनीतिक पृष्ठभूमि और जोखिम
पाकिस्तान की किसी भी टीम को भारत में खेलने की इजाजत देना आसान फैसला नहीं होता। इसके लिए सुरक्षा एजेंसियों, खुफिया विभाग और केंद्र सरकार के कई मंत्रालयों की अनुमति लेना जरूरी होता है।
इस बार भी गृह मंत्रालय ने सुरक्षा व्यवस्था की विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है, ताकि इन टीमों के आने और खेलने में कोई बाधा न आए।
जनता और सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया
इस फैसले पर सोशल मीडिया पर मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। एक वर्ग इसे खेल के जरिए शांति और संवाद की दिशा में कदम मान रहा है, तो कुछ लोग इसे देश की सुरक्षा और स्वाभिमान से समझौता बता रहे हैं।
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क्या यह रिश्तों में नरमी की शुरुआत है?
यह कहना अभी जल्दबाजी होगी कि इससे भारत-पाक संबंधों में कोई ठोस सुधार आएगा, लेकिन इतना तय है कि खेलों के जरिए संवाद के दरवाज़े खुलते हैं।
अगर इन टूर्नामेंट्स में पाकिस्तानी खिलाड़ी भारत की सरज़मीं पर सकारात्मक अनुभव लेकर जाते हैं, तो यह दोनों देशों के युवाओं के बीच नई सोच को जन्म दे सकता है।
खिलाड़ियों का दृष्टिकोण
खिलाड़ियों के बीच अक्सर कोई दुश्मनी नहीं होती। स्पोर्ट्समैनशिप और आपसी सम्मान हमेशा खेल का हिस्सा रहा है। भारत और पाकिस्तान के खिलाड़ी जब भी आमने-सामने होते हैं, तो खेल का रोमांच चरम पर होता है।
हाल ही में पाकिस्तानी वॉलीबॉल टीम की कप्तान ने एक इंटरव्यू में कहा था,
“हम भारत आकर खेलने को लेकर उत्साहित हैं, उम्मीद है कि खेल हमें जोड़ने का माध्यम बनेगा, न कि अलग करने का।”
भारत सरकार का यह कदम खेलों को राजनीतिक तनाव से अलग रखकर एक स्वस्थ और सकारात्मक माहौल तैयार करने की दिशा में है।
भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में, कूटनीति और खेल दोनों को संतुलन में रखना ही सच्चा नेतृत्व दर्शाता है।
अब देखना यह होगा कि ये टूर्नामेंट सिर्फ खेलों तक सीमित रहते हैं या रिश्तों की नई इबारत लिखने का काम भी करते हैं।
- theguardian.com
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