पुतिन का भारत दौरा कंफर्म: एनएसए अजीत डोभाल ने क्या कहा? ट्रंप के टैरिफ एक्शन के बीच बड़ी खबर!
नई दिल्ली: वैश्विक घटनाक्रम के बीच, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का भारत दौरा अब लगभग तय माना जा रहा है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने मास्को में पुष्टि की है कि पुतिन जल्द ही भारत आएंगे। यह दौरा ऐसे वक्त में हो रहा है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर भारी टैरिफ लगाने का ऐलान किया है, खासतौर से रूस से होने वाले तेल व्यापार को लेकर।

भारत-रूस के रिश्तों की मजबूती
अजीत डोभाल ने साफ तौर पर कहा, “भारत और रूस के बीच संबंध ऐतिहासिक, गहरे और स्वर्णिम हैं, जिनका हमारे लिए खास महत्व है।” मास्को में आयोजित द्विपक्षीय वार्ता के दौरान उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच रक्षा, ऊर्जा और तकनीकी क्षेत्र में सहयोग को और भी आगे बढ़ाया जाएगा।
भारत और रूस की दोस्ती दशकों पुरानी है। चाहे रक्षा सौदों की बात हो या ऊर्जा जरूरतों की, दोनों देशों ने हमेशा एक-दूसरे का समर्थन किया है। भारत S-400 मिसाइल सिस्टम से लेकर ब्रह्मोस जैसी जॉइंट प्रोजेक्ट्स में सक्रिय भागीदार है।
कब आ सकते हैं पुतिन?
मीडिया रिपोर्ट्स और इंटरफैक्स न्यूज एजेंसी के मुताबिक, पुतिन का दौरा अगस्त 2025 के आख़िर में होने की संभावना है। NSA डोभाल की मौजूदगी में लगभग कंफर्म हो गया है कि इसी महीने दोनों देशों के शीर्ष नेता मिल सकते हैं। यह व्लादिमीर पुतिन की दिसंबर 2021 के बाद पहली भारत यात्रा होगी।
ट्रंप के टैरिफ और वैश्विक दबाव
हाल ही में ट्रंप सरकार द्वारा भारत पर 50% तक का टैरिफ लगाया गया है, खासतौर से रूस से हुए तेल व्यापार के चलते। अमेरिका का आरोप है कि भारत रूसी तेल खरीदकर वैश्विक बाजार को प्रभावित कर रहा है और युद्ध के माहौल में रूस की मदद कर रहा है। भारत ने इस आरोप को सिरे से खारिज करते हुए इसे ‘अनुचित और अनुचित’ बताया है।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी कहा, “हम अपने राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखते हुए स्वतंत्र विदेश नीति का अनुसरण करेंगे।”
NSA डोभाल की यात्रा का एजेंडा
डोभाल की रूस यात्रा का मुख्य फोकस रक्षा, ऊर्जा और रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करना है। चर्चा में S-400 मिसाइल सिस्टम, रूस से सस्ते तेल की खरीद, और आगे की सामरिक साझेदारी जैसे मुद्दे प्रमुख रहेंगे। सूत्रों के मुताबिक, भारत और रूस नई रक्षा परियोजनाओं पर भी विचार कर रहे हैं।
इसके अलावा, भारत का लक्ष्य है कि पश्चिमी दबाव के बावजूद वह अपनी ‘स्ट्रेटेजिक ऑटोनॉमी’ बरकरार रखे। रूस ने भी दोहराया है कि भारत-रूस की दोस्ती बाहरी देशों के हस्तक्षेप से मुक्त रहेगी।
आगे क्या?
इस उच्चस्तरीय दौरे की तैयारियों के बीच भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी अगस्त के तीसरे हफ्ते में रूस जाएंगे, जहाँ दोनों देशों के बीच तकनीक, व्यापार और ऊर्जा सहयोग को लेकर और समझौतों पर चर्चा होगी।
पुतिन का भारत दौरा न सिर्फ दोनों देशों के संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने वाला है, बल्कि यह अमेरिका-भारत-रूस समीकरण में भी बड़ा बदलाव ला सकता है। ट्रंप के टैरिफ के चलते जहां दबाव बढ़ा है, वहीं भारत-रूस साझेदारी वैश्विक राजनीति में मजबूत होती दिख रही है।
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