बलूचिस्तान के नाम पर ट्रंप को फंसा देंगे आसिम मुनीर? एक्सपर्ट बोले- पाकिस्तान फिर से अमेरिका को अफगानिस्तान की दलदल में धकेलेगा
पाकिस्तान और अमेरिका के रिश्ते हमेशा उतार-चढ़ाव भरे रहे हैं। कभी दोनों एक-दूसरे के सबसे करीबी सहयोगी रहे तो कभी कट्टर विरोधी। अब एक बार फिर हालात ऐसे बन रहे हैं, जब पाकिस्तान की सेना के चीफ जनरल आसिम मुनीर अमेरिका को अपने साथ जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। हाल ही में मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि आसिम मुनीर ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से बातचीत में बलूचिस्तान के दुर्लभ खनिज और तेल की खुदाई में निवेश करने का प्रस्ताव दिया है।

बलूचिस्तान पर क्यों टिकी है पाकिस्तान की नजर?
बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है और प्राकृतिक संसाधनों से बेहद समृद्ध है। यहां तेल, गैस और दुर्लभ खनिज बड़ी मात्रा में मौजूद हैं। पाकिस्तान लंबे समय से चाहता है कि इन संसाधनों का दोहन कर देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जाए। लेकिन राजनीतिक अस्थिरता, आतंकी घटनाओं और बलूचिस्तान में जारी विद्रोह ने इसे संभव नहीं होने दिया।
पाकिस्तान की सेना जानती है कि अकेले यह काम करना आसान नहीं है, इसलिए वह अमेरिका जैसे बड़े साझेदार को इसमें शामिल करना चाहती है।
आसिम मुनीर की रणनीति
सूत्रों के मुताबिक, आसिम मुनीर ने डोनाल्ड ट्रंप को भरोसा दिलाने की कोशिश की है कि अगर अमेरिका बलूचिस्तान में निवेश करता है तो न सिर्फ उसे खनिज और तेल से फायदा होगा, बल्कि यह कदम चीन के प्रभाव को भी कमजोर करेगा।
-
पाकिस्तान चाहता है कि अमेरिका “सुरक्षा साझेदारी” के नाम पर दोबारा इस क्षेत्र में अपनी मौजूदगी दर्ज कराए।
-
ट्रंप के लिए यह सौदा चीन को चुनौती देने और मध्य एशिया में पैर जमाने का मौका हो सकता है।
-
लेकिन यही रणनीति अमेरिका को फिर से अफगानिस्तान जैसी उलझन में धकेल सकती है।
एक्सपर्ट क्यों कर रहे हैं चेतावनी?
कई अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान की यह चाल अमेरिका के लिए खतरनाक साबित हो सकती है।
-
बलूचिस्तान में विद्रोह – यहां दशकों से अलगाववादी आंदोलन चल रहा है। अमेरिका अगर इस क्षेत्र में निवेश करता है, तो वह विद्रोहियों के सीधे निशाने पर आ सकता है।
-
आतंकी खतरा – पाकिस्तान में तालिबान और अन्य आतंकी संगठनों की जड़ें गहरी हैं। ऐसे हालात में अमेरिकी निवेशक और कंपनियां सुरक्षा संकट में फंस सकती हैं।
-
अफगानिस्तान की यादें – विशेषज्ञ मानते हैं कि पाकिस्तान की यही रणनीति अमेरिका को फिर से उस दलदल में खींच ले जाएगी, जहां से निकलने में उसे 20 साल लग गए।
चीन का फैक्टर
बलूचिस्तान चीन के लिए भी बेहद अहम है। चीन ने पहले से ही CPEC (चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा) के तहत यहां अरबों डॉलर का निवेश कर रखा है। अगर अमेरिका इस क्षेत्र में उतरता है तो यह चीन बनाम अमेरिका की जंग का नया मैदान बन सकता है।
-
चीन इसे अपने हितों पर हमला मान सकता है।
-
पाकिस्तान के लिए यह “बैलेंसिंग गेम” का हिस्सा होगा, लेकिन इससे क्षेत्रीय तनाव और बढ़ सकता है।
ट्रंप की दुविधा
डोनाल्ड ट्रंप हमेशा से “अमेरिका फर्स्ट” की नीति पर चलते रहे हैं। उनके लिए यह फैसला आसान नहीं होगा।
-
अगर वे पाकिस्तान के साथ जाते हैं तो उन्हें बड़े आर्थिक लाभ मिल सकते हैं।
-
लेकिन इसका राजनीतिक और सुरक्षा जोखिम भी बहुत बड़ा है।
-
अमेरिका की जनता भी यह सवाल उठाएगी कि आखिर क्यों एक बार फिर देश को दक्षिण एशिया की जटिल राजनीति में धकेला जा रहा है।
भारत की नजर
भारत इस पूरे घटनाक्रम को गहरी नजर से देख रहा है।
-
बलूचिस्तान में अमेरिकी दखल को भारत अपने हितों के खिलाफ मान सकता है।
-
भारत पहले ही पाकिस्तान की दोगली नीति और आतंकवाद पर उसका समर्थन उजागर करता रहा है।
-
अगर अमेरिका पाकिस्तान के जाल में फंसता है, तो यह भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी पर भी असर डाल सकता है।
जनरल आसिम मुनीर का यह दांव पाकिस्तान की कमजोर अर्थव्यवस्था और बढ़ते कर्ज से निकलने का तरीका हो सकता है, लेकिन अमेरिका के लिए यह सौदा “सुनहरी जाल” साबित हो सकता है। बलूचिस्तान की खनिज संपदा आकर्षक है, लेकिन वहां की जमीनी हकीकत बेहद खतरनाक है।
विशेषज्ञ साफ चेतावनी दे रहे हैं कि पाकिस्तान एक बार फिर अमेरिका को उसी गलती की तरफ धकेल रहा है, जिससे उसने बड़ी मुश्किल से छुटकारा पाया था। सवाल यह है कि क्या डोनाल्ड ट्रंप इस जाल में फंसेंगे, या “अमेरिका फर्स्ट” की नीति पर चलते हुए इससे दूरी बनाए रखेंगे?
Sunita Williams ने धरती पर रखा कदम, जानिए उनके इस 9 महीने की अद्वितीय साहस की कहानीHathras का अय्याश प्रोफेसर! 30 से ज्यादा छात्राओं को अपने जाल में फंसायाजस्टिन ट्रूडो का इस्तीफा: नए राष्ट्रपति बने मार्क कार्नीक्या रोहित शर्मा का ये आख़िरी वनडे हैं ? सूत्रों के हवाले से ये बड़ी खबर आ रही हैं Mohammad Shami के एनर्जी ड्रिंक पर बवाल, मौलवी बोले- वो गुनाहगार…अपराधी
theguardian.com thetimes.co.uk theaustralian.com.au












Users Today : 9
Views Today : 13