भारत पर ट्रंप की व्यापारिक चोट: 25% टैरिफ का ऐलान, दुनिया की नज़र अब वॉशिंगटन पर ,दोस्त दोस्त ना रहा!
“भारत हमारा दोस्त है, लेकिन…”
डोनाल्ड ट्रंप की यह एक लाइन इन दिनों पूरी दुनिया के व्यापारिक गलियारों में हलचल मचा रही है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और आगामी चुनावों में रिपब्लिकन पार्टी के प्रमुख चेहरा डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म “ट्रुथ सोशल” पर भारत के खिलाफ 25% टैरिफ लगाने की बात कही है।
हालांकि, यह ऐलान चुनावी गर्मी के बीच आया है, लेकिन इसके दूरगामी प्रभाव भारत-अमेरिका के व्यापारिक संबंधों पर पड़ सकते हैं।

क्या कहा ट्रंप ने?
अपने पोस्ट में ट्रंप ने कहा:
“भारत हमारा दोस्त है, लेकिन बीते कुछ सालों में हमने उसके साथ अपेक्षाकृत कम व्यापार किया है क्योंकि उसके टैरिफ बहुत ज्यादा हैं। अब समय आ गया है कि हम भी जवाब दें। मैं राष्ट्रपति बनते ही भारत से आने वाले कुछ प्रमुख उत्पादों पर 25% का टैरिफ लगाऊंगा।”
यह बयान न सिर्फ भारत के लिए चिंता का विषय बन गया है, बल्कि अमेरिकी उद्योगपतियों और वैश्विक निवेशकों के बीच भी एक नई बहस छेड़ दी है।
भारत को क्यों निशाने पर लिया गया?
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भारत के टैरिफ स्ट्रक्चर को ट्रंप पहले भी ‘अनफेयर’ कह चुके हैं।
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ट्रंप का मानना है कि अमेरिकी कंपनियों को भारत में व्यापार करने में काफी बाधाएं झेलनी पड़ती हैं।
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अमेरिका में घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने की ट्रंप नीति का हिस्सा है यह कदम।
टैरिफ का असर किन-किन क्षेत्रों पर पड़ सकता है?
यदि यह 25% टैरिफ लागू होता है, तो सबसे अधिक असर इन भारतीय उत्पादों पर देखा जा सकता है:
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जेम्स एंड ज्वेलरी (हीरे, सोना, चांदी)
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टेक्सटाइल और रेडीमेड गारमेंट्स
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मशीनरी और इंजीनियरिंग गुड्स
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फार्मास्युटिकल्स
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ऑटो पार्ट्स और टायर
इसका मतलब है कि भारत के एक्सपोर्ट उद्योग को सीधा झटका लग सकता है, खासकर उन छोटे और मंझोले कारोबारों को जो अमेरिका को सामान भेजते हैं।
भारत की ओर से क्या प्रतिक्रिया मिली?
अब तक भारत सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन वाणिज्य मंत्रालय और विदेश मंत्रालय दोनों स्थिति पर नज़र बनाए हुए हैं। माना जा रहा है कि यदि ट्रंप सत्ता में आते हैं और यह टैरिफ लागू होता है, तो भारत कूटनीतिक और व्यापारिक स्तर पर इसका जवाब देगा।
क्या यह चुनावी बयान है या वास्तविक नीति बनने की दिशा में कदम?
ट्रंप के बयानों को अक्सर चुनावी स्टंट भी माना जाता है, खासकर जब वह अपने ट्रेड-फर्स्ट अजेंडे को जोर-शोर से प्रचारित करते हैं।
लेकिन अतीत में उन्होंने जो कहा, वो किया भी है —
2018-19 में चीन पर टैरिफ लगाया, NAFTA को फिर से लिखा, और भारत को GSP (Generalized System of Preferences) से बाहर कर दिया था।
इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि अगर ट्रंप फिर से राष्ट्रपति बने, तो यह टैरिफ हकीकत में बदल सकता है।
भारत-अमेरिका संबंधों पर असर
ट्रंप के इस बयान के बाद भारत-अमेरिका के रणनीतिक संबंधों पर भी सवाल उठने लगे हैं।
जहां एक ओर दोनों देश चीन के प्रभाव को संतुलित करने के लिए कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं, वहीं दूसरी ओर व्यापार के मोर्चे पर तनाव खड़ा होता दिख रहा है।
क्या यह द्विपक्षीय रिश्तों में दरार ला सकता है?
यह आने वाला समय ही बताएगा।
निष्कर्ष: अब क्या आगे?
भारत को जल्द ही इस मुद्दे पर व्यापारिक और कूटनीतिक स्तर पर तैयारी करनी होगी। ट्रंप की नीति “America First” है, और वह किसी भी देश को व्यापारिक रियायत देने को तैयार नहीं दिखते, चाहे वह “मित्र” ही क्यों न हो।
हमें अपने घरेलू बाजार को मजबूत करना होगा, और साथ ही नए एक्सपोर्ट गंतव्यों की ओर देखना होगा। अमेरिका एक बड़ा बाजार है, लेकिन वह अकेला विकल्प नहीं है।
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क्या आप इस पर क्या सोचते हैं?
क्या ट्रंप सही हैं? क्या भारत को भी सख्ती दिखानी चाहिए?
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भारत पर ट्रंप की व्यापारिक चोट: 25% टैरिफ का ऐलान, दुनिया की नज़र अब वॉशिंगटन पर ,दोस्त दोस्त ना रहा!












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