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मालेगांव बम धमाके में प्रज्ञा ठाकुर की बाइक का दावा फेल, NIA कोर्ट बोला — वो दो साल पहले ही बन चुकी थीं सन्न्यासी!

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मालेगांव बम धमाके में प्रज्ञा ठाकुर की बाइक का दावा फेल, NIA कोर्ट बोला — वो दो साल पहले ही बन चुकी थीं सन्न्यासी!


करीब 17 वर्षों तक इस केस की कानूनी लड़ाई चली, लेकिन आज (31 जुलाई, 2025) एक विशेष NIA कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित और अन्य अभियुक्तों को पूर्णतः बरी कर दिया। कोर्ट का कहना है कि prosecution ने प्रत्येक आरोप साबित करने में मौलिक कमी की है।


🔍 बाइक का दावा क्यों टूटा?

  • कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि जिस बाइक को धमाके में इस्तेमाल बताया गया, वह प्रज्ञा ठाकुर की थी, ऐसा प्रमाण नहीं मिला

  • जांच टीम ने बाइक का यूनीक चेसिस नंबर पूरी तरह से recover नहीं किया; इसलिए ‘ownership’ की पूर्ति नहीं हो सकी।

  • प्रज्ञा ठाकुर ने दावा किया कि उन्होंने गया बाइक 2006 में बेच दी थी, जबकि धमाका हुआ था 2008 में।

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🌿 सन्न्यासी बन चुकी थीं प्रज्ञा – 2 साल पहले ही

  • न्यायाधीश AK Lahoti ने केस सुनाते हुए कहा कि प्रज्ञा ठाकुर देर से पूर्व ही सन्न्यासी बन चुकी थीं, और सभी भौतिक possessions निकाल दी थीं
    अदालत ने यह मान्यता दी कि उनके पास ना तो बाइक थी, ना ही कोई ऐसा साक्ष्य कि वह धमाके में शामिल थे


👥 अन्य आरोपियों की कहानी – पुरोहित सहित सभी बरी

  • Lt Col Prasad Purohit को भी कोर्ट ने निर्दोष माना। आरोप था कि उन्होंने RDX का इंतजाम किया था और बम तैयार करवाया था — कोर्ट ने इसे “unproven” कहा।

  • साथ ही Major (Retd) Ramesh Upadhyay, Ajay Rahirkar, Sudhakar Dwivedi, Sudhakar Chaturvedi, Sameer Kulkarni को भी कोर्ट ने दोषमुक्त किया, क्योंकि prosecution की evidence chain पूरी नहीं थी।


⚖️ 17 साल की लड़ाई, क्या सच्चाई हुई उजागर?

  • कोर्ट ने अनुभवों की कमी, forensic रिपोर्टों में गड़बड़ी, मेETING–PANCHNAMA में खामियां, और गवाहों की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए।

  • UAPA की धाराएं भी सही तरीके से लागू नहीं की गईं क्योंकि sanction orders में खामियां थीं

  • कोर्ट ने कहा कि “terrorism has no religion” और आरोपियों को benefit of doubt मिलना चाहिए था।


🗣️ प्रज्ञा ठाकुर और पुरोहित की प्रतिक्रिया

  • प्रज्ञा ठाकुर ने कहा कि इसे सिर्फ उनका नहीं, बल्कि ‘साफ़ा’ और हिंदुत्व की जीत माना जाए। उन्होंने आरोप लगाया कि उनका जीवन इस केस की वजह से बर्बाद हो गया।

  • Lt Col Purohit ने अदालत को शुक्रिया कहा कि उन्हें निष्पक्ष सुनवाई का मौका मिला, और कहा कि उनकी “conviction never changed”।


🧭 विवाद अभी खत्म नहीं

  • AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बम धमाका धार्मिक आधार पर निशाना था, और investigation में जानबूझ कर कमी की गई।

  • पीड़ित परिवारों ने हाई कोर्ट में अपील करने की बात कही है — सवाल है: अगर ये निर्दोष थे, तो सच कौन खोजेगा?


क्या यह न्याय की जीत है या जनता की?

मालेगांव मामले ने दिखा दिया कि 17 साल लम्बे मुकदमे में धैर्य बरतने से सच्चाई सामने आ सकती है, लेकिन साथ ही यह सवाल भी उठता है कि क्या सत्ता और मीडिया दबाव में दोषियों को न्यायिक समझ से पहले पीटा गया?

अब जब अदालत ने सबको निर्दोष बताया, तो जनता को देखना है कि इन फैसलों से विश्वसनीय न्याय व्यवस्था का संदेश जाता है या फिर यह भी भूल जाएगें?

मालेगांव बम धमाके में प्रज्ञा ठाकुर की बाइक का दावा फेल, NIA कोर्ट बोला — वो दो साल पहले ही बन चुकी थीं सन्न्यासी!

 

 

 

 

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Author: newsviewss

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