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“राधिका यादव मर्डर केस: ३ गोलियों से पिता ने मर्डर कर दिया  “बेटी की कमाई से लोग ताने देते थे -पिता” 

राधिका यादव मर्डर केस

“राधिका यादव मर्डर केस: ३ गोलियों से पिता ने मर्डर कर दिया  “बेटी की कमाई से लोग ताने देते थे -पिता” 

“मेरी बेटी कमाती थी, मैं खाता था… लोग यही कहते थे। लेकिन अब वो चली गई है। अब कौन खाएगा?”
ये शब्द उस पिता के हैं जिसकी होनहार बेटी राधिका यादव अब इस दुनिया में नहीं रही।

टेनिस खिलाड़ी राधिका यादव की हत्या ने पूरे देश को झकझोर दिया है। वो सिर्फ एक बेटी नहीं थी, बल्कि एक सपनों से भरी युवती थी, जिसने देश के लिए खेलने की तमन्ना पाल रखी थी। लेकिन अब उसके पिता दीपक यादव की आंखों में केवल आंसू और सवाल हैं। सवाल उन लोगों से जो ताने मारते थे, सवाल उस समाज से जो लड़की की सफलता को पचा नहीं पाया, और सवाल खुद से — “क्या मैं कुछ कर सकता था?”


🌟 कौन थीं राधिका यादव?

राधिका यादव एक प्रतिभावान टेनिस खिलाड़ी थीं। वह अपनी मेहनत और काबिलियत के दम पर धीरे-धीरे नेशनल सर्किट में अपनी पहचान बना रही थीं। सोशल मीडिया पर भी उनकी अच्छी खासी फैन फॉलोइंग थी। राधिका युवाओं के लिए एक प्रेरणा बन रही थीं — खासकर उन लड़कियों के लिए जो छोटे शहरों से निकलकर बड़ा सपना देखती हैं।


🥀 मौत से पहले की चेतावनियाँ

राधिका के पिता दीपक यादव ने बताया कि पिछले कुछ समय से समाज में उन्हें लेकर अजीब तरह की बातें हो रही थीं।
कुछ लोग ताना मारते थे कि “बेटी कमा रही है, और बाप आराम से बैठा है।”
ये वही समाज है जो एक तरफ बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की बात करता है, और दूसरी तरफ बेटियों की मेहनत को उनके परिवार पर बोझ बताता है।

दीपक यादव ने बताया कि राधिका सोशल मीडिया पर बहुत सक्रिय थी, जिससे कुछ रिश्तेदार और पड़ोसी भी नाराज रहते थे। उन्हें लगता था कि एक लड़की का इस तरह से सार्वजनिक जीवन में होना, खुले विचारों के साथ सामने आना, ‘ठीक नहीं है’।


🩸 हत्या या साजिश?

राधिका की मौत अब तक रहस्यमयी बनी हुई है। शुरुआती रिपोर्ट्स के मुताबिक यह एक हत्या है, लेकिन उसके पीछे की वजहें अब भी पूरी तरह सामने नहीं आई हैं। पुलिस जांच कर रही है, लेकिन कई सवाल अनुत्तरित हैं:

  • क्या यह किसी करीबी की साजिश थी?

  • क्या यह समाज के तानों और दबाव का परिणाम था?

  • या फिर राधिका किसी मानसिक तनाव से जूझ रही थी?


💔 पिता का टूटा हुआ मन

“उसे मार दिया गया… वो किसी से कुछ नहीं कहती थी। पर जब भी किसी ने उसे या मुझे कुछ कहा, वो चुप रह जाती थी।”

दीपक यादव का दर्द साफ झलकता है। समाज के ताने न केवल राधिका को अंदर ही अंदर खा गए, बल्कि अब उसके पिता को भी सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। उन्हें अब भी लोग ताना देते हैं — “अब क्यों रो रहे हो?”


📣 समाज को कब समझ आएगा?

ये कोई पहला मामला नहीं है। जब भी कोई लड़की सफल होती है, उसके पहनावे, रहन-सहन, सोशल मीडिया एक्टिविटी, कमाई — हर चीज को सवालों के दायरे में रखा जाता है। ऐसा क्यों?

क्या एक लड़की का कमाना, सोशल मीडिया पर एक्टिव रहना या अपने करियर को महत्व देना अपराध है?

समाज को ये समझना होगा कि एक बेटी की सफलता पूरे परिवार की शान होती है, न कि शर्म।


अब क्या होना चाहिए?

  • कड़ी जांच: राधिका की मौत की निष्पक्ष और गहराई से जांच होनी चाहिए ताकि सच सामने आ सके।

  • मानसिक स्वास्थ्य पर जागरूकता: खासकर युवाओं और महिला खिलाड़ियों को समाज के दबाव से लड़ने के लिए मानसिक सहारा मिलना चाहिए।

  • समाज में सोच में बदलाव: हमें बेटियों की सफलता को गर्व से देखने की आदत डालनी होगी।

 

 

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Author: newsviewss

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