“ये मुझसे एफिडेविट मांगते हैं, मैंने संविधान की शपथ ली।” राहुल गांधी ने चुनाव आयोग को लगाई तीखी फटकार
देशभर की राजनीति एक बार फिर हलचल में है क्योंकि राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर तीखे आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि आयोग उनसे एफिडेविट मांग रहा है—लेकिन उन्होंने याद दिलाया कि वह पहले ही संविधान की शपथ ले चुके हैं। इसके बाद चुनाव आयोग ने भी स्पष्ट किया कि यदि उन पर कोई कार्रवाई हुई, तो फायर कर दिया जाएगा। यह बयान राजनीति में नए मोड़ का संकेत बन चुका है।
राहुल गांधी का कड़ा आरोप
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राहुल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा:
“ये लोग मुझसे एफिडेविट क्यों मांगते हैं? मैंने संविधान की शपथ ली है—मेरे किसी भी कदम की जवाबदेही पहले ही तय कर दी गई है।”
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उनका यह बयान चुनाव आयोग की प्रक्रिया पर सवाल उठाता है कि क्या एक निर्वाचित नेता से एफिडेविट आदि मांगना आवश्यक है या यह राजनीति का दुरुपयोग है।

चुनाव आयोग का जवाब: “अगर कार्रवाई की, तो फायर करेंगे”
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चुनाव आयोग ने इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उनकी प्रक्रियाएं और नियम स्पष्ट हैं—
“यदि किसी भी उम्मीदवार ने नियमों का उल्लंघन किया है, तो कार्रवाई होगी, और यदि वह भाजपा के एजेंट की तरह काम कर रहे हैं, तो उन्हें हटाना हमारा काम है। अगर कार्रवाई होगी, तो संबंधित व्यक्ति को हम फायर भी कर सकते हैं।”
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यह बयान बताता है कि ईसी ने राहुल गांधी की टिप्पणियों को गंभीरता से लिया है और कानून के अनुसार जवाब देने की स्थिति में है।
राजनीतिक हलचल और प्रतिक्रियाएं
राहुल गांधी के समर्थकों ने इस बयान को लोकतंत्र की रक्षा की आवाज़ माना है। उनका मानना है कि संविधान की शपथ ही सबसे ऊँची जवाबदेही होती है।
वहीं, विपक्ष और विपक्षी नेताओं ने आयोग की इस जवाबदेही चेतावनी को भ्रष्टाचार-निवारण के नाम पर दबाव का नया माध्यम बताया।
क्या है एफिडेविट और चुनाव आयोग का दायरा?
चुनाव आयोग किसी भी उम्मीदवार से निम्न बातों की पुष्टि के लिए दस्तावेज मांग सकता है:
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सत्यनिष्ठ घोषणा (affidavit)
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संपत्ति का विवरण
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आपराधिक रिकॉर्ड
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शैक्षणिक योग्यता
हालांकि, राहुल का कहना है कि पेश शपथ, जो संविधान की रक्षा का वादा थी, वह सबसे अहम है—जिस पर किसी भी तरह का सवाल नहीं उठाया जाना चाहिए।

लोकतंत्र में जवाबदेही बनाम राजनीतिक हमला
यह पूरी घटना हमें एक प्रश्न पर विचार करने को मजबूर करती है:
क्या किसी निर्वाचित नेता से अतिरिक्त दस्तावेज़ मांगे जा सकते हैं, या यह लोकतंत्र के प्रति अविश्वास है?
राहुल गांधी की राय में—उनकी शपथ ही उनकी सर्वोच्च जवाबदेही है। लेकिन आयोग का पक्ष यह है कि सभी के लिए नियम बराबर होने चाहिए, चाहे शपथ पहले ली हो या नहीं।
राजनीति और संविधान में पर्याय हैं जवाबदेही और विश्वास।
यह मामला इस बात की याद दिलाता है कि हमें अपने नेताओं को आज़ादी तो देनी चाहिए, लेकिन जवाबदेही के नियमानुसार ही।
राहुल गांधी का बयान एक संवैधानिक मुद्दे पर सवाल है—क्या शपथ ही सर्वोच्च है, या नियम-प्रक्रियाएं अनिवार्य हैं? देशभर की राजनीति एक बार फिर हलचल में है क्योंकि राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर तीखे आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि आयोग उनसे एफिडेविट मांग रहा है—लेकिन उन्होंने याद दिलाया कि वह पहले ही संविधान की शपथ ले चुके हैं। इसके बाद चुनाव आयोग ने भी स्पष्ट किया कि यदि उन पर कोई कार्रवाई हुई, तो फायर कर दिया जाएगा। यह बयान राजनीति में नए मोड़ का संकेत बन चुका है। हालांकि, राहुल का कहना है कि पेश शपथ, जो संविधान की राहुल गांधी की राय में—उनकी शपथ ही उनकी सर्वोच्च जवाबदेही है। लेकिन आयोग का पक्ष यह है कि सभी के लिए नियम बराबर होने चाहिए, चाहे शपथ पहले ली हो या नहीं। रक्षा का वादा थी, वह सबसे अहम है—जिस पर किसी भी तरह का सवाल नहीं उठाया जाना चाहिए।
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⁃ theguardian.com thetimes.co.uk theaustralian.com.au












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