रूस से तेल खरीदना जारी रखेगी ONGC: ट्रंप टैरिफ विवाद के बीच बड़ा बयान, जानिए पूरा मामला!
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में रूस से जुड़े देशों पर नए टैरिफ और पेनाल्टी लगाने की बात कही है. इस बयान के बाद दुनियाभर में ऊर्जा बाज़ार में हलचल बढ़ गई है. लेकिन इसी बीच भारत की सरकारी कंपनी ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन (ONGC) ने साफ कर दिया है कि वो रूस से तेल खरीदना बंद नहीं करेगी. कंपनी का कहना है कि भारत की ऊर्जा ज़रूरतें इतनी बड़ी हैं कि किसी एक देश या राजनीति के दबाव में आकर फैसले नहीं किए जा सकते.
भारत की बढ़ती ऊर्जा ज़रूरतें
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है. देश में प्रतिदिन लाखों बैरल कच्चे तेल की खपत होती है. ऐसे में भारत के लिए सस्ता और स्थिर ऊर्जा स्रोत ढूंढना बेहद ज़रूरी है. रूस से मिलने वाला कच्चा तेल भारत के लिए आर्थिक रूप से फायदेमंद साबित हुआ है. रूस ने पिछले दो सालों में डिस्काउंट पर भारत को कच्चा तेल सप्लाई किया, जिससे न सिर्फ विदेशी मुद्रा की बचत हुई बल्कि घरेलू अर्थव्यवस्था पर भी सकारात्मक असर पड़ा.
अमेरिका का दबाव और ट्रंप का टैरिफ
ट्रंप का कहना है कि रूस से तेल और गैस खरीदना अप्रत्यक्ष रूप से रूस को मज़बूत करता है, जिससे वैश्विक राजनीति पर असर पड़ता है. उन्होंने उन देशों पर पेनाल्टी और टैरिफ की चेतावनी दी है जो रूस से ऊर्जा संसाधन खरीदते हैं. हालांकि, भारत के लिए यह स्थिति आसान नहीं है. एक तरफ अमेरिका भारत का बड़ा रणनीतिक साझेदार है, वहीं दूसरी तरफ रूस दशकों से भारत का भरोसेमंद ऊर्जा और रक्षा सहयोगी रहा है.
ONGC का बयान
ONGC के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “भारत की प्राथमिकता अपनी ऊर्जा सुरक्षा है. रूस से तेल आयात तब तक जारी रहेगा जब तक यह हमारे लिए आर्थिक रूप से लाभकारी है. हमें अपने देश की ज़रूरतें पहले देखनी होंगी.” उन्होंने यह भी साफ किया कि कंपनी अंतरराष्ट्रीय दबाव में आकर कोई भी निर्णय नहीं लेगी.
रणनीतिक संतुलन
भारत हमेशा से संतुलन की नीति अपनाता आया है. रूस से सस्ता तेल खरीदने के साथ-साथ भारत अमेरिका और खाड़ी देशों के साथ भी मज़बूत ऊर्जा संबंध बनाए रखता है. यही रणनीति भारत को वैश्विक ऊर्जा बाज़ार में लचीलापन देती है. विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर भारत रूस से तेल खरीदना बंद कर देता है तो घरेलू बाज़ार पर इसका बड़ा असर पड़ेगा और पेट्रोल-डीजल की कीमतें तेज़ी से बढ़ सकती हैं.
उपभोक्ताओं पर असर
आम उपभोक्ताओं के लिए तेल आयात का सीधा असर पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर पड़ता है. पिछले कुछ सालों में जब रूस से सस्ते दामों पर तेल आया, तब भारतीय उपभोक्ताओं को थोड़ी राहत मिली. अगर ONGC रूस से तेल लेना बंद कर दे तो यह राहत खत्म हो सकती है. यही वजह है कि कंपनी पर घरेलू दबाव भी है कि सस्ता तेल खरीदना जारी रखा जाए.
अंतरराष्ट्रीय छवि और चुनौतियां
भारत को अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दोहरी चुनौती झेलनी पड़ रही है. एक तरफ अमेरिका और पश्चिमी देशों की आलोचना, दूसरी तरफ घरेलू स्तर पर बढ़ती मांग और महंगाई का दबाव. हालांकि, भारत की विदेश नीति हमेशा अपनी स्वतंत्रता पर जोर देती है और यही कारण है कि सरकार ने अब तक रूस से तेल खरीदने के फैसले पर पीछे हटने का कोई संकेत नहीं दिया.
आगे क्या?
अंतरराष्ट्रीय राजनीति और वैश्विक ऊर्जा बाज़ार के बदलते हालात में यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत कितने समय तक इस संतुलन को बनाए रख पाता है. फिलहाल इतना तय है कि ONGC और भारत सरकार ने साफ कर दिया है कि देश की ऊर्जा ज़रूरतें सबसे बड़ी प्राथमिकता हैं.
भारत की यह नीति दर्शाती है कि वो न तो अमेरिका के दबाव में पूरी तरह झुकने वाला है और न ही रूस पर पूरी तरह निर्भर रहने वाला है. आने वाले महीनों में यह मुद्दा और गर्मा सकता है क्योंकि वैश्विक राजनीति में ऊर्जा संसाधन हमेशा अहम भूमिका निभाते हैं.
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