वेस्ट बैंक विवाद पर अब्राहम समझौते पर संकट: इजरायल को अरब दोस्त की चेतावनी
मध्य पूर्व की राजनीति एक बार फिर गरमाती नज़र आ रही है। इजरायल के वेस्ट बैंक प्लान को लेकर अब उसका ‘नया दोस्त’ कहे जाने वाला एक मुस्लिम देश खुलकर विरोध में आ गया है। इस देश ने साफ चेतावनी दी है कि अगर इजरायल ने वेस्ट बैंक में कब्ज़ा बढ़ाने की कोशिश की तो यह अब्राहम समझौते की आत्मा के खिलाफ होगा और हालात बेकाबू हो सकते हैं।
अब्राहम समझौता क्या है?
सितंबर 2020 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता से अब्राहम समझौता हुआ था। इसके तहत इजरायल और कई अरब देशों—जैसे यूएई, बहरीन, मोरक्को और सूडान—ने कूटनीतिक रिश्ते सामान्य किए। इस समझौते को पश्चिम एशिया की राजनीति में ऐतिहासिक माना गया क्योंकि दशकों से अरब देश इजरायल को मान्यता देने से बचते रहे थे।
नया विवाद क्यों?
हाल ही में इजरायल की सरकार ने संकेत दिया कि वह वेस्ट बैंक के कुछ हिस्सों में बस्तियों को और मज़बूत करने का प्लान बना रही है। इस पर अब्राहम समझौते से जुड़े एक प्रमुख मुस्लिम देश ने नाराज़गी जताते हुए कहा कि यह कदम “हद से आगे जाने” जैसा होगा।
उसने चेतावनी दी कि अगर इजरायल ने यह योजना आगे बढ़ाई तो दोनों देशों के बीच बने रिश्तों पर गंभीर असर पड़ेगा।
इजरायल का रुख
इजरायल का कहना है कि वेस्ट बैंक उसकी सुरक्षा के लिए अहम है और वहां बस्तियां बनाना उसका अधिकार है। प्रधानमंत्री नेतन्याहू की सरकार पहले भी इस मुद्दे पर आक्रामक रुख अपनाती रही है। हालांकि, इस बार मामला थोड़ा अलग है क्योंकि विरोध करने वाला कोई दुश्मन नहीं बल्कि वही देश है जिसने कुछ साल पहले रिश्ते सामान्य किए थे।
अरब देशों की दुविधा
अरब देशों के लिए यह स्थिति असहज है। एक तरफ उन्होंने अमेरिका और इजरायल के साथ मिलकर रिश्ते सुधारने की कोशिश की थी, वहीं दूसरी तरफ फिलिस्तीन मुद्दे पर अपने ही समाज और जनता के दबाव का सामना करना पड़ रहा है। वेस्ट बैंक और गाज़ा के हालात खराब होने से अरब जनता में गुस्सा बढ़ा है और सरकारों को मजबूरी में सख्त बयान देना पड़ रहा है।
अमेरिका की भूमिका
अब्राहम समझौता ट्रंप प्रशासन की बड़ी उपलब्धि मानी जाती थी। बाइडेन सरकार भी इसे आगे बढ़ाने के पक्ष में है। लेकिन अगर इजरायल अपने प्लान पर अड़ा रहा तो अमेरिका को एक मुश्किल कूटनीतिक संतुलन साधना पड़ेगा—एक ओर उसका करीबी सहयोगी इजरायल, और दूसरी ओर अरब देश, जिनके साथ रिश्ते अमेरिका की रणनीति के लिए ज़रूरी हैं।
फिलिस्तीन की स्थिति
फिलिस्तीनी नेतृत्व पहले से ही अब्राहम समझौते का विरोध करता आया है। उनका कहना है कि अरब देशों ने इजरायल को मान्यता देकर फिलिस्तीन के साथ विश्वासघात किया। अब अगर इजरायल वेस्ट बैंक में नए कदम उठाता है, तो यह फिलिस्तीन के गुस्से को और भड़का देगा और संघर्ष तेज़ हो सकता है।
वेस्ट बैंक विवाद ने एक बार फिर अब्राहम समझौते की मजबूती पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह समझौता पश्चिम एशिया में शांति और सहयोग की नई शुरुआत माना गया था, लेकिन इजरायल की आक्रामक नीतियां और फिलिस्तीन की नाराज़गी इसे अस्थिर कर सकती हैं।
आने वाले दिनों में अमेरिका, इजरायल और अरब देशों के बीच कूटनीतिक गतिविधियां तेज़ होंगी। सवाल यही है—क्या यह समझौता टिक पाएगा या वेस्ट बैंक की राजनीति इसे फिर से दरक देगी?
Sunita Williams ने धरती पर रखा कदम, जानिए उनके इस 9 महीने की अद्वितीय साहस की कहानीHathras का अय्याश प्रोफेसर! 30 से ज्यादा छात्राओं को अपने जाल में फंसायाजस्टिन ट्रूडो का इस्तीफा: नए राष्ट्रपति बने मार्क कार्नीक्या रोहित शर्मा का ये आख़िरी वनडे हैं ? सूत्रों के हवाले से ये बड़ी खबर आ रही हैं Mohammad Shami के एनर्जी ड्रिंक पर बवाल, मौलवी बोले- वो गुनाहगार…अपराधी
⁃ theguardian.com thetimes.co.uk theaustralian.com.au












Users Today : 7
Views Today : 11