हाथरस में सत्संग के दौरान हुए हादसे ने पूरे देश को दहला कर रख दिया है। मंगलवार को सत्संग के दौरान मची भगदड़ के कारण अब तक 121 लोगों की मौत हो चुकी है। सीएम योगी ने हादसे के दोषियों पर कड़ी कार्रवाई के आदेश दिए हैं। धार्मिक समागम में मची भगदड़ के पीछे अलग-अलग वजहें बताई जा रही हैं। फिलहाल, इस मामले में पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है। लेकिन पुलिस की इस एफआईआर पर भी सवाल उठ रहे हैं। क्योंकि इसमें सत्संग करने वाले भोले बाबा का नाम शामिल नहीं है। पुलिस ने सत्संग कार्यक्रम के मुख्य सेवादार देवप्रकाश मधुकर और अन्य आयोजकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। आरोपियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 105/110/126(2)/223/238 के अंतर्गत FIR दर्ज की गई है। केस दर्ज करने के बाद पुलिस द्वारा मामले की जांच पड़ताल शुरू कर दी गई है और आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए जगह-जगह दबिश भी दी जा रही है।
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प्रशासन की व्यवस्था और स्वास्थ्य विभाग की भी खुली पोल
अधिकारियों के मुताबिक, सत्संग के आयोजन के लिए अनुमति ली गई थी, लेकिन पुलिस से 80000 श्रद्धालुओं के शामिल होने की ही अनुमति मांगी गई थी. इसी के हिसाब से कार्यक्रम स्थल पर प्रशासन ने इंतजाम किए थे। मंगलवार को सत्संग में ढाई लाख से अधिक श्रद्धालु आए. आयोजकों ने पुलिस से श्रद्धालुओं की संख्या को छिपाया। लेकिन इस पर भी सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि सुबह से आयोजन हो रहा था और पुलिस ढाई लाख लोगों की भीड़ कैसे नहीं देख पाई। इस हादसे ने पुलिस और प्रशासन की व्यवस्था की भी पोल खोल कर रख दी। भगदड़ के दौरान पुलिसकर्मी लाचार दिखाई दिए। वहीं जब शव हाथरस के ट्रॉमा सेंटर पहुंचने लगे तो वहां पर कोई व्यवस्था ही नहीं थी। एक श्रद्धालु ने बताया कि जब वह ट्रॉमा सेंटर में गया तो एक जूनियर डॉक्टर और एक ही फार्मासिस्ट मौजूद थे। सीएमओ भी मौजूद नहीं थे। वह डेढ़ घंटे बाद अस्पताल पहुंचे। शुरुआत में डॉक्टर स्टेचर पर ही घायलों का प्राथमिक उपचार कर रहे थे। अगर स्थिति गंभीर थी तो उसे रेफर कर दिया गया।
सत्संग के बाद भगदड़ में 124 लोगों की मौत
दरअसल, हाथरस जनपद के थाना क्षेत्र सिकन्दराराऊ में ग्राम फुलरई मुगलगढी के मध्य जीटी रोड के पास नारायण साकार विश्व हरि भोले बाबा के एक सत्संग का आयोजन मंगलवार को किया गया था। सत्संग का आयोजन मुख्य सेवादार देव प्रकाश मधुकर सहित अन्य लोगों द्वारा कराया गया था। इस सत्संग में शामिल होने के लिए हाथरस और एटा के साथ ही उत्तर प्रदेश के अन्य जनपदों के अलावा उत्तर प्रदेश आसपास के राज्यों से भी काफी संख्या में अनुयाई पहुंचे थे। सत्संग समाप्त होने के बाद यहां से जैसे भी भीड़ निकलना शुरू हुई तो भगदड़ मच गई। कार्यक्रम में शामिल होने आए 124 लोगों की इस हादसे में मौत हो गई।
