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Jagannath Rath Yatra 2024: सदियों पुरानी है रथ यात्रा की कहानी, जानिए भगवान जगन्नाथ से कुछ अनसुने रहस्यों के बारे में

जगन्नाथ पुरी की रथ यात्रा पूरी दुनिया प्रसिद्ध है। यहां हर साल बड़े ही धूमधाम के साथ भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जाती है। पूर 10 दिन तक चलने वाले इस भव्य यात्रा में शामिल होने के लिए भक्त दूर-दूर से आते हैं। इस बार जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरुआत 07 जुलाई से हो रही है। तो आइए जानते हैं जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा से जुड़ी कुछ रोचक रहस्यों के बारे में।

अपनी मौसी के घर गुंडिचा मंदिर जाते हैं प्रभु जगन्नाथ

परंपरा अनुसार, भगवान जगन्नाथ, बलभद्र जी और बहन सुभद्रा अपनी मौसी के घर गुंडिचा मंदिर जाते हैं। जहां उनके बेहद उत्साह के साथ लोग स्वागत करते हैं। वह मौसी के घर कुछ दिन विश्राम कर पुनः अपने घर लौट आते हैं। रथ यात्रा के लिए 3 रथ बनाए जाते हैं।

भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र अलग-अलग रथ पर सवार होते हैं। भगवान जगन्नाथ के रथ का रंग लाल और पीला रंग में रंगा होता है। इस यात्रा में भगवान जगन्नाथ का रथ सबसे आगे होता है उसके पीछे बालभद्र और सुभद्रा का रथ होता है।

884 पेड़ों की लकड़ियों की मदद से बनाया जाता है रथ

कहा जाता है कि इन रथों को 884 पेड़ों की लकड़ियों की मदद से बनाया जाता है। इन रथों को बनाने के लिए किसी भी धातु और कील का प्रयोग नहीं किया जाता है। भगवान जगन्नाथ के रथ में 16 पहिये होते हैं। रथ को शंखचूड़ रस्सी से खींचा जाता है।

मान्यताओं के अनुसार जब से जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरुआत हुई है तब से ही राजाओं के वंशज पारंपरिक रूप से रथ यात्रा के सामने झाड़ू लगाते हैं। इस झाड़ू की खास बात ये होती है कि ये कोई सामान्य झाड़ू नहीं होती है बल्कि ये एक सोने के हत्थे वाली झाड़ू होती है। जिसे सोने के झाड़ू के नाम से भी जाना जाता है।

रथ यात्रा में शामिल होने से 100 यज्ञों के बराबर पुण्य फल की प्राप्ति

जगन्नाथ रथ यात्रा को भक्तों में यह मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु इस शुभ रथ यात्रा में सम्मिलित होते हैं उन्हें 100 यज्ञों के बराबर पुण्य फल की प्राप्ति होती है। इस यात्रा के दर्शन मात्र से ही व्यक्ति के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है माना जाता है कि इस रथ यात्रा में कि स्वयं भगवान जगन्नाथ अपने भक्तों के मध्य विराजमान रहते हैं।

जब भी जगन्नाथ पुरी यात्रा होती है तो उस दौरान बारिश जरूर होती है। पुरी यात्रा आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष में होती है। जानकारों की मानें तो आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ है कि जगन्नाथ पुरी की यात्रा निकली हो और बारिश न हुई हो।

अपनी प्रजा का हाल जानने निकलते हैं महाप्रभु जगन्नाथ

भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा देश के अलावा विश्वभर में बेहद प्रसिद्ध है। यात्रा भगवान जगन्नाथ को समर्पित है, जो जगत के पालनहार भगवान विष्णु अवतार माने जाते हैं। मान्यता यह भी है कि भगवान जगन्नाथ गर्भगृह से निकलकर अपनी प्रजा का हाल जानने निकलते हैं।

जगन्नाथ यात्रा को भारतीय संस्कृति और धर्म का महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है और यह यात्रा पुरी नगर के बाहर से आने वाले भक्तों को सामूहिक आनंद और भक्ति का अनुभव कराती है. इसके अलावा यह यात्रा प्राकृतिक और सांस्कृतिक विरासत के रूप में भी महत्वपूर्ण मानी जाती है. माना जाता है कि जो लोग भी सच्चे भाव से इस यात्रा में शमिल होते हैं, उनकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती है।

Mayank Dwivedi
Author: Mayank Dwivedi

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