बांग्लादेश में तख्तापलट और पूरे देश में अराजकता और हिंसात्मक माहौल के बीच नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को गठित होने वाली अंतरिम सरकार का नेता चुन लिया गया है। राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन की अध्यक्षता में बंगा भवन (राष्ट्रपति भवन) में हुई बैठक के दौरान यह निर्णय लिया गया। ग्लोबल माइक्रोक्रेडिट आंदोलन के संस्थापक और नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना का प्रमुख प्रतिपक्षी माना जाता है। प्रदर्शनकारी छात्रों ने मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का प्रमुख बनने का प्रस्ताव मान लिया है। इस बैठक में आरक्षण आंदोलन के प्रमुख छात्र नेताओं के साथ-साथ तीनों सेनाओं के प्रमुख भी मौजूद थे।
कौन हैं नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस?
84 साल के यूनुस को 2006 में गरीब लोगों, विशेषकर महिलाओं की मदद के लिए माइक्रोक्रेडिट में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, जबकि ग्रामीण बैंक, जिसकी उन्होंने स्थापना की थी, ने भी उसी अवसर पर पुरस्कार हासिल किया था। 1974 में जब बांग्लादेश में अकाल पड़ा तब युनुस चटगांव यूनिवर्सिटी में इकोनॉमिक्स पढ़ाते थे। इस अकाल में हजारों लोग मारे गए थे। तब युनुस ने देश की विशाल ग्रामीण आबादी की मदद के लिए कोई बेहतर तरीका खोजने की सोची। उन्होंने गांव में रहने वाले गरीबों को 100 डॉलर से कम के छोटे-छोटे कर्ज दिलाकर लाखों लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में मदद की थी। इन गरीबों को बड़े बैंकों से कोई मदद नहीं मिल पाती थी।
बांग्लादेश में हिंदू समुदाय खतरे में
बांग्लादेश में हिंदू समुदाय काफी असुरक्षित हो चुका है. 24 घंटे पहले शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद उपद्रवी बेकाबू हो गए हैं। कई हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ की गई है. हिंदू परिवारों के दुकानों को लूटा गया. कट्टरपंथियों की भीड़ चुन-चुनकर हिंदुओं को निशाना बना रही है। पंचगढ़, दिनाजपुर, बोगुरा, रंगपुर, शेरपुर किशोरगंज, सिराजगंज, मुगरा, नरैल, पश्चिम जशोर, पटुआखली, दक्षिण-पश्चिम खुलना, मध्य नरसिंगड़ी, सतखीरा, तंगैल,फेनी चटगांव, उत्तर-पश्चिम लक्खीपुर और हबीगंज जैसी जगहों पर भीड़ का आतंक जारी है. वो यहां रहने वाले हिंदुओं पर न सिर्फ हमले कर रहे हैं, बल्कि उनकी संपत्तियों को भी लूट कर ले जा रहे हैं।
