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Who is Aman Sahrawat: 11 साल की उम्र में मां-बाप को खोया, गुरू को हरकार मिला ओलंपिक का टिकट

भारतीय रेसलर अमन सहरावत ने शुक्रवार को मेंस फ़्रीस्टाइल 57 किलोग्राम भार वर्ग में कांस्य पदक जीता। अमन के इस जीत के साथ ओलंपिक में भारत के पदकों की संख्या छह हो गई। कांस्य पदक के लिए ज़रूरी मुक़ाबले में उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी प्यूर्टो रिको के डेरियन टोई क्रूज़ को 13-5 से हराया। अमन की इस जीत के बाद बधाइयों का तांता लग गया। 21 साले के अमन ने वो कर दिखाया जो हर किसी के बस में नहीं। जिस उम्र में हम बढ़ लिख के नौकरी की ओर देख रहे होते हैं उस उम्र में अमन ने विश्व पटल पर भारत का तिरंगा लहराया। अमन के लिए ये सफर आसान नहीं रहा। अमन के सर से 11 साल की उम्र में माँ बाप का साया सर से उठ गया। तमाम ग़रीबी झेलते हुए कुश्ती के दाँवपेंच सीखना शुरू किया। आज 21 साल की उम्र में ओलंपिक मेडलिस्ट है।

सुशील कुमार को प्रेरणा माना, छत्रसाल स्टेडियम ट्रेनिंग की

हरियाणा के झज्जर जिले के बीरोहार के रहने वाले अमन ने 2012 के समर ओलंपिक में सुशील कुमार की कुश्ती से प्रेरित होकर अखाड़े में आए। 10 साल की उम्र में उत्तरी दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में दाखिला लिया। ये वही छत्रसाल स्टेडियम है जहां से सुशील कुमार, योगेश्वर दत्त, रवि दहिया, बजरंग पुनिया जैसे कुश्ती के सितारों ने दुनिया में भारत का नाम जगमगाया। यहीं से अब अमन सहरावत ने कुश्ती के दांवपेंच सीख आज ओलंपिक में भारत का मान बढ़ाया है।

अपने गुरु को ही हराकर पाया ओलंपिक का टिकट

अमन की जिंदगी किसी फिल्मी स्टोरी से कम नहीं थी। जिसे गुरु माना उसे ही पटखनी देकर ओलंपिक का टिकट कटाया। दरअसल, अमन टोक्यो ओलंपिक में भारत के लिए सिल्वर मेडल जीतने वाले रवि दहिया को अपना गुरू मानते हैं और उनके साथ ही ट्रेनिंग करते हैं। लेकिन ओलंपिक ट्रायल्स में अमन के सामना उऩके गुरु रवि दहिया से हो गया। यहां अमन ने नेशनल ट्रायल्स में रवि दहिया को हराकर क्वालिफायर्स में जगह बनाई जिसके बाद उन्होंने पेरिस ओलंपिक का टिकट हासिल किया। इतना ही नहीं वह वह विश्व ओलंपिक क्वालीफायर के दौरान पेरिस 2024 कोटा जीतने वाले एकमात्र भारतीय पुरुष पहलवान भी बने थे।

16 साल में जीता एशियाई कैडेट चैंपियनशिप

अमन के कुश्ती करियर की बात करें तो वो नूर-सुल्तान में 2019 एशियाई कैडेट चैंपियनशिप में स्वर्ण जीतकर अपना लोहा मनवाया था। इसके दो साल बाद उन्होंने पहली बार राष्ट्रीय चैंपियनशिप जीती थी। अमन 2022 में अंडर-23 विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण जीतने वाले पहले भारतीय बने थे। अमन ने साल 2023 में भी शानदार प्रदर्शन किया था। उन्होंने अस्ताना में एशियाई चैंपियनशिप में स्वर्ण और साथ ही हांग्जो एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीता था।

‘अगर यह आसान होता तो हर कोई इसे कर लेता’

इतना ही नहीं अमन सहरावत के कमरे की एक तस्वीर भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल है.ये तस्वीर है अमन के कमरे की दीवार की जहांपर लिखा हुआ है कि अगर यह आसान होता तो हर कोई इसे कर लेता। इसके साथ ही वहां पर ओलंपिक का साइन और गोल्ड मेडल की तस्वीर लगी हुई है। देश के लाल ने 21 साल की उम्र में वो कर दिखाया जो हर कोई नहीं कर सकता। आशा है कि देश के लिए 2028 में अमन के पदक का रंग बदले और सोने जैसा चमचमाए।

Mayank Dwivedi
Author: Mayank Dwivedi

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