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आजादी के किस्से: आजादी के दीवाने भगत सिंह की कहानी, घर में ही मिली देशभक्ति की प्रेरणा

देश को आजादी दिलवाने में भगत सिंह का बहुत बड़ा योगदान रहा। भगत सिंह को आजादी के दिवाने के नाम से जाना जाता है। जो महज 23 साल की उम्र में हंसते हंसते फांसी के फंदे पर लटकना कबूस किया लेकिन अंग्रेजों की एक भी चाल नहीं चलने दी।

भगत सिंह का जब जन्म हुआ पिता जेल में थे

भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर, 1907 को  पाकिस्तान के बंगा में हुआ था जो उस वक्त भारत का हिस्सा था। उनके पिता का नाम किशन सिंह और माता का नाम विद्यावती था। जब उनका उनका जन्म हुआ था तब उनके पिता किशन सिंह, चाचा अजीत और स्वर्ण सिंह 1906 में लागू किए गए औपनिवेशीकरण विधेयक के खिलाफ प्रदर्शन के चलते जेल में थे।

घर में ही मिली देशभक्ति की प्रेरणा

भगत सिंह को हमेशा से ही अपने घर पर ही देश भक्ति का माहौल मिला था।इसी चिंगारी के साथ उन्होंने अपना बचपन जिया।भगत सिंह ने अपनी पांचवीं तक पढ़ाई  गांव में ही की। उसके बाद वो लाहौर के दयानंद एंग्लो वैदिक हाई स्कूल में चले गए।भगत सिंह ने छोटी उम्र में ही महात्मा गांधी द्वारा शुरू किए गए असहयोग आंदोलन का पूरी निष्ठा के साथ पालन करना शुरू कर दिया था।

चन्द्रशेखर आजाद के साथ गदर दल में शामिल हुए भगत सिंह

भगत सिंह पहले महात्‍मा गांधी द्वारा चलाए जा रहे आंदोलन और भारतीय नेशनल कॉन्फ्रेंस के सदस्‍य थे। 1921 में जब चौरा-चौरा हत्‍याकांड के बाद गांधीजी ने किसानों का साथ नहीं दिया तो भगत सिंह पर उसका गहरा प्रभाव पड़ा। उसके बाद चन्द्रशेखर आजाद के नेतृत्‍व में गठित हुई गदर दल के हिस्‍सा बन गए।

चंद्रशेखर आजाद के साथ मिल शुरु किया अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन

उन्‍होंने चंद्रशेखर आजाद के साथ मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया। 9 अगस्त, 1925 को शाहजहांपुर से लखनऊ के लिए चली 8 नंबर डाउन पैसेंजर से काकोरी नामक छोटे से स्टेशन पर सरकारी खजाने को लूट लिया गया। यह घटना काकोरी कांड नाम से इतिहास में प्रसिद्ध है।

संसद में बम विस्फोट में पकड़े गए भगत सिंह, हुई फांसी

भगत सिंह ने अंग्रेज़ों की संसद में बम विस्फोट किया था।जिसके बाद उन्हें पकड़ लिया गया और फांसी की सजा सुनाई गयी।लेकिन इसके पहले उन्हें जिस जेल में रखा गया था वो जेल आज भी मौजूद है। 23 मार्च 1931 को क्रांतिकारी भगत सिंह,सुखदेव और राजगुरू को एक साथ फांसी दे दी गयी।आज भी वो जेल वैसे ही है।दरअसल भगत सिंह को और उनके साथियों को 14 जून 1929  जेल में बंद किया गया था

 

 

Mayank Dwivedi
Author: Mayank Dwivedi

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