बिहार में शराब बंद है लेकिन जहरीली शराब से मौतों की खबर हर साल आ जाते हैं। हाल ही में सिवान-छपरा के सीमावर्ती इलाकों में जहरीली शराब पीने से 50 से ज्यागा लोगों की मौत हो चुकी है। कई लोगों की आंखों की रौशनी जा चुकी है। इससे पहले भी बैकुंठपुर में पांच और नगर थाना क्षेत्र के खजुरबानी में 16 लोगों की मौत हो चुकी है। इसके बावजूद लोग जहरीली शराब का सेवन करने से बाज नहीं आ रहे हैं।
2022 में छपरा में 71 लोगों की जान गई थी
बिहार में आठ साल से शराबबंदी है। लेकिन गांव-गांव में यह धड़ल्ले से मिलती है और हर महीने किसी न किसी जिले में जहरीली शराब कहर बरपाती है। स्थानीय प्रशासन मौतों का आंकड़ा छिपाने के लिए शव को चुपचाप जला देने की फिराक में लग जाती है और यहां भी वैसा ही प्रतीत हो रहा है। शराबबंदी के दौरान छपरा में सबसे बड़ा कांड 14 दिसंबर, 2022 को हुआ था। जिसमें करीब 71 लोगों की जान चली गई थी। इसमें सबसे अधिक मशरख में 44 लोगों की मौत हुई थी। जबकि, अमनौर और मढ़ौरा में भी मौतें हुई थी।
2016 में शराब की बिक्री और सेवन पर लगा था पूर्ण प्रतिबंध
नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने 5 अप्रैल 2016 को शराब की बिक्री और सेवन पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था। हालांकि, इसके बाद खुद बिहार सरकार ने स्वीकार किया था कि अप्रैल 2016 में राज्य में शराबबंदी लागू होने के बाद अवैध शराब पीने से 150 से अधिक लोगों की जाना जा चुकी है। इतना ही नहीं बिहार में जहरीली शराब से हुई मौतों को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कई बार उच्च स्तरीय समीक्षा करने के निर्देश दिये हैं लेकिन वो सारे निर्देश कागजों तक ही सीमित रह जाते हैं।
गांव-गांव में धड़ल्ले से बिक रही शराब
बिहार के हर गांव-गांव में शराब की धड़ल्ले से बिक्री हो रही है. बिहार में शराब बंदी से हर महीने प्रदेश के किसी न किसी शहर या जिले में जहरीली शराब कहर बरपाती है। स्थानीय प्रशासन फिर भी तमाशबीन बनी रहती है। इस मामले में अगर कार्रवाई की बात करें तो, इलाके के तीन चौकीदारों को निलंबित किया गया है और 5 पुलिस अफसरों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। वहीं, प्रदेश के मुखिया नीतीश कुमार ने इस मामले में संबंधित अधिकारियों को इसमें संलिप्त लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
कांग्रेस राजद और जनसुराज ने सरकार पर बोला हमला
सरकार शराब माफियाओं के हाथों में चली गई है-कांग्रेस
विपक्ष बिहार सरकार पर हमलावर है, विपक्ष का दावा है कि बिहार सरकार शराब माफियाओं के हाथों में चली गई है। कांग्रेस का कहना है कि ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का सुशासन का मॉडल है। जहरीली शराब पीने से लगातार कई बार मौतें हो चुकी हैं। लेकिन, सरकार की चिंता इस ओर नहीं दिखाई दे रही है।
बिहार में कथित शराबबंदी है-तेजस्वी यादव
पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने कहा, “सरकार के संरक्षण में जहरीली शराब की वजह से 27 लोगों की हत्या कर दी गयी है। दर्जनों की आंखों की रौशनी चली गईं। बिहार में कथित शराबबंदी है, लेकिन सत्ताधारी नेताओं, पुलिस और माफिया के गठजोड़ की वजह से हर चौक-चौराहों पर शराब आसानी से उपलब्ध है।”
शराबबंदी सिर्फ दुकानों पर ही बंद है-प्रशांत किशोर
जन सुराज पार्टी चीफ प्रशांत किशोर ने कहा कि, ‘बिहार में शराबबंदी कहीं लागू हुई नहीं है। शराबबंदी केवल नेताओं के भाषण में है, लेकिन घर-घर में शराब बिक रही है. बिहार का कोई ऐसा जिला नहीं है जहां जहरीली शराब से लोगों की मौत न हुई हो। बहुत सी घटनाओं की रिपोर्ट भी नहीं हुई है सरकार को यह समझना होगा कि शराबबंदी सिर्फ दुकानों पर ही बंद है। बाकी बिहार के हर घर में शराब बिक रही है।
