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Digital Arrest: डिजिटल अरेस्ट जिस पर पीएम मोदी ने जताई चिंता, मन की बात कार्यक्रम में कही ये बात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात कार्यक्रम का 117वें एपिसोड में डिजिटल अरेस्ट का विषय का जिक्र किया। पीएम ने इससे बचने के लिए ‘रुको, सोचो और एक्शन लो’ का मंत्र साझा किया। इसके अलावा पीएम ने लोगों से इस संबंध में अधिक से अधिक जागरूक बनने और जागरूकता फैलाने का आह्वान भी किया। दरअसल, बीते कुछ समय से देश में डिजिटल अरेस्ट चर्चा का विषय रही हैं। कई राज्यों में डिजिटल अरेस्ट कर धोखाधड़ी की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। ऐसे में पीएम मोदी ने इसको लेकर चिंता जाहिर की है। साथ ही उन्होंने डिजिटल अरेस्ट से बचाव के उपाय को भी साझा किया है।

“ये सिर्फ Fraud है, फरेब है, झूठ है, बदमाशों का गिरोह है”

प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि जांच एजेंसियां कभी भी फोन कॉल या वीडियो नहीं करती हैं। साथ ही उन्होंने इस स्कैम से सभी भारतीयों को सावधान रहने को कहा। मन की बात में प्रधानमंत्री ने कहा कि Digital arrest जैसी कोई व्यवस्था कानून में नहीं है, ये सिर्फ Fraud है, फरेब है, झूठ है, बदमाशों का गिरोह है और जो लोग ऐसा कर रहे हैं, वो समाज के दुश्मन हैं। Digital arrest के नाम पर जो फरेब चल रहा है, उससे निपटने के लिए तमाम जांच एजेंसियां, राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम कर रही हैं।

पीएम मोदी ने कहा, ‘ डिजिटल अरेस्ट के शिकार होने वालों में हर वर्ग, हर उम्र के लोग हैं। लोगों ने डर की वजह से अपनी मेहनत से कमाए हुए लाखों रुपए गवां दिए हैं। कभी भी आपको इस तरह का कोई कॉल आए तो आपको डरना नहीं है। आप को पता होना चाहिए कोई भी जांच एजेंसी, फोन कॉल या वीडियो कॉल पर इस तरह पूछताछ कभी भी नहीं करती।

PM ने आगे कहा कि ऐसे मामलों में सबसे पहले आपको घबराना नहीं है, शांत रहना है। जल्दबाजी में कोई कदम ना उठाएं। किसी को अपनी व्यक्तिगत जानकारी न दें। संभव हो तो स्क्रीनशॉट लें और रिकॉर्डिंग जरूर करें। अगर डर लगे तो समझिए कुछ गड़बड़ है। पीएम ने लोगों से ऐसे मामलों में राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाइन 1930 पर डायल करने और साइबर क्राइम डॉट जीओवी डॉट इन पर शिकायत करने के अलावा परिवार और स्थानीय पुलिस को तत्काल सूचना देने की बात भी कही।

 क्या होता है डिजिटल अरेस्ट?

  • डिजिटल अरेस्ट साइबर अपराधियों का फ्रॉड करने का एक नया तरीका है। इसमें जालसाज द्वारा पुलिस, ईडी, कस्टम ऑफिसर, इनकम टैक्स, सीबीआई और नारकॉटिक्स अधिकारी बनकर पीड़ित के पास कॉल करते हैं।
  • इस दौरान उनके द्वारा अवैध गतिविधियों या आपराधिक घटनाओं में शामिल होने की बात कही जाती है। जिसके तुरंत निपटारे के लिए जालसाजों द्वारा वीडियो कॉल करने की मांग की जाती है। ऐसे में उनको वीडियो कॉल या कॉल पर ही डिजिटली अरेस्ट कर डराया जाता है। पीड़ित को फर्जी दस्तावेज दिखाकर गिरफ्तारी करने से बचने के लिए जुर्माने की मांग करते हैं।
  • इस दौरान साइबर अपराधी जुर्माने की राशि नहीं देने पर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का दबाव डालते हैं। दरअसल, डिजिटल अरेस्ट के अंतर्गत जालसाज फर्जी पुलिस या अधिकारी बनकर पीड़ित को धमकाने का काम करते हैं।
Mayank Dwivedi
Author: Mayank Dwivedi

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