दिल्ली-NCR समेत उत्तर भारत प्रदूषण के कहर से जूझ रहा है। दिल्ली-एनसीआर में हालात बेहद गंभीर हैं, पूरा दिल्ली गैस चैंबर में तब्दील हो गया है। प्रदूषण पर कंट्रोल करने के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने दिल्ली-NCR में ग्रेडेड रिस्पांस एक्श प्लान (GRAP)-4 लागू कर दिया है। स्कूल-कॉलेजों ने ऑनलाइन क्लासेस शुरू कर दी हैं। दिल्ली और आसपास के इलाकों में अधिकांश जगहों पर हवा की गुणवत्ता का सूचकांक ‘गंभीर से भी आगे’ श्रेणी में रहा और 500 के आंकड़े को छू गया। दिल्ली-एनसीआर के प्रदूषण को देखकर सुप्रीम कोर्ट का भी माथा ठनक गया और उसने सरकार को जमकर फटकार लगाई। इसी बीच दिल्ली सरकार में पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री को कृत्रिम वर्षा कराने के लेकर चिट्ठी लिखी है।
आर्टिफिशियल रेन प्रदूषण का एकमात्र समाधान-गोपाल राय
गोपाल राय ने कृत्रिम बारिश के लिए केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव को लिखी चिट्ठी में कहा है कि दिल्ली में प्रदूषण बेहद गंभीर श्रेणी में है और इससे निपटने के लिए कृत्रिम बारिश कराने की जरूरत है। दिल्ली के प्रदूषण पर गोपाल राय ने कहा कि उत्तर भारत इस समय स्मॉग की परतों में लिपटा हुआ है। आर्टिफिशियल रेन ही इस स्मॉग से पीछा छुड़ाने का एकमात्र समाधान है। यह मेडिकल इमरजेंसी है। इस स्मॉग से पूरा उत्तर भारत का दम घुट रहा है। गोपाल राय ने आगे कहा कि हम लगातार काम कर रहे हैं। पहले वाहनों के प्रदूषण के लिए, BS3 पेट्रोल और BS4 डीजल वाहनों पर पाबंदी लगाई। दफ्तरों का समय बदला. स्कूलों को बंद कर दिया गया है, जो हमारे हाथ में हैं वो सब हम कर रहे हैं। जो जो सुझाव आ रहे हैं उनपर काम कर रहे हैं। ये सोर्स प्रदूषण को कम तो कर सकते हैं, लेकिन धुंध की चादर को हटा नहीं सकता। उसके लिए या तो तेज हवा चले या फिर बारिश कराई जाए।
क्या होती कृत्रिम बारिश?
कृत्रिम बारिश क्लाउड सीडिंग के जरिए मौसम में बदलाव करने की एक वैज्ञानिक तरीका है। क्लाउड सीडिंग की प्रक्रिया के दौरान छोटे-छोटे विमानों को बादलों के बीच से गुजारा जाता है जो वहां सिल्वर आयोडाइड, पोटेशियम आयोडाइड और शुष्क बर्फ (ठोस कार्बन डाइऑक्साइड) को छोड़ते हुए निकल जाते हैं। इसके बाद बादलों में पानी की बूंदें जमा होने लगती हैं, जो बारिश के रूप में धरती पर बरसने लगती हैं। क्लाउड सीडिंग के जरिए करवाई गई आर्टिफिशियल बारिश सामान्य बारिश की तुलना में ज्यादा तेज होती है। इस तकनीक के अनुसार, हवा में रसायनिक यौगिकों को छिड़ककर नमी के कणों को एकत्रित किया जाता है, जिससे बादल बनते हैं और बारिश होती है। IIT कानपुर के वैज्ञानिकों ने पिछले साल कृत्रिम वर्षा का सफल प्रयोग किया था। उनके अनुसार अगर मौसम की स्थिति जैसे हवा और नमी अनुकूल हो तो एक दिन के भीतर बड़े क्षेत्र में बादल बनाए जा सकते हैं। उन्होंने अनुमान लगाया है कि 1 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में बादल बनाने में लगभग 1 लाख रुपये का खर्च आता है।
दिल्ली-NCR में का एक्यूआई लेवल गुरुवार के 500 पार
फिलहाल दिल्ली-NCR में एक्यूआई लेवल गुरुवार को 500 पार कर गया है। घना कोहरे और धुंध से दिल्ली की हालत खराब हो गई है. वायु प्रदूषण से दिल्लीवालों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है। ऐसा लग रहा है कि पूरा दिल्ली-एनसीआर गैस चैंबर बन चुका है। दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद से लेकर गुरुग्राम तक प्रदूषण ही प्रदूषण है। वायु गुणवत्ता खतरनाक लेवल पर है। प्रदूषण के इस खतरनाक स्तर के कारण लोगों को सांस लेने में कठिनाई, आंखों में जलन और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। वायु प्रदूषण को लेकर हालात बहुत ही चिंताजनक हो गए हैं। लोग अब मास्क पहनकर घर से बाहर निकल रहे हैं, ताकि वह प्रदूषण से बच सकें।
