एक साल बाद एक बार फिर देश की राजधानी दिल्ली में किसान अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन करने वाले हैं। रविवार को ही किसानों ने ‘दिल्ली चलो’ का नारा बुलंद किया। किसान अब संसद का घेराव करना चाहते हैं। आज 2 दिसंबर को किसान के 10 संगठन दिल्ली के लिए नोएडा के महामाया फ्लाईओवर से मार्च तो निकालेंगे। वहीं किसान मजदूर मोर्चा (KMM) और संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम, गैर-राजनीतिक) ने 6 दिसंबर से दिल्ली की ओर पैदल मार्च करने की अपनी योजना की घोषणा की है। किसानों के प्रदर्शन की वजह से नोएडा से दिल्ली आने वाले रास्तों पर लंबा जाम नजर आ रहा है। किसानों के दिल्ली मार्च की सूचना पर दिल्ली पुलिस के साथ गौतमबुद्ध नगर पुलिस अलर्ट हो गई। इसी के साथ दिल्ली बॉर्डर पर चेकिंग शुरू हो गई। गौतमबुद्ध नगर से दिल्ली जाने वाले सभी मार्गों पर बैरियर लगाया गया है, जिससे जाम की स्थिति बन गई है। गौतमबुद्ध नगर पुलिस ने इस परिस्थिति को देखते हुए वाहन चालकों के लिए एडवाइजरी जारी की थी।
50 हजार किसान करेंगे दिल्ली का घेराव
बीते 27 नवंबर से किसान ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर और इसके बाद 28 नवंबर से 1 दिसंबर तक यह यमुना प्राधिकरण पर धरना और प्रदर्शन किया, अब आंदोलन के तीसरे और अंतिम चरण यानी आज 2 दिसंबर को वे संसद सत्र के दौरान दिल्ली कूच करने जा रहे हैं। यूपी के गौतमबुध नगर, बुलंदशहर अलीगढ़, आगरा समेत कई जिलों के किसान दिल्ली कूच मार्च में शामिल हो रहे हैं. बताया जा रहा है कि इसमें 40 से 45 हजार किसान शामिल हो सकते हैं. ये दिल्ली कूच 14 किसान संगठनो ने बुलाया है। किसानों का लक्ष्य संसद का घेराव करना है। इसके लिए किसान सोमवार को नोएडा के महामाया फ्लाईओवर के पास दोपहर 12 बजे तक एकत्र होंगे और यहीं से दिल्ली कूच करेंगे। फिलहाल यह सभी किसान बीते चार दिनों से यमुना प्राधिकरण के सामने धरने पर बैठे हैं।
पांच सूत्रीय मांगों को लेकर किसानों ने की थी महापंचायत
एक दिन पहले ही किसानों और प्रशासन के बीच हाईलेवल मीटिंग हुई थी। जिसमें किसानों ने अपनी पांच सूत्रीय मांगों को लेकर प्राधिकरण के सामने महापंचायत की थी, जिसमें उनकी मुख्य मांगे हैं कि पुराने भूमि अधिग्रहण कानून के तहत प्रभावित किसानों को 10 प्रतिशत प्लॉट और 64.7 प्रतिशत बढ़ा हुआ मुआवजा मिले। 1 जनवरी 2014 के बाद अधिग्रहित भूमि पर बाजार दर का चार गुना मुआवजा और 20 प्रतिशत प्लॉट दिया जाए। इसके साथ ही सभी भूमिधर और भूमिहीन किसानों के बच्चों को रोजगार और पुनर्वास लाभ भी मिले। हाई पावर कमेटी द्वारा पास किए गए मुद्दों पर सरकारी आदेश जारी किया जाए। इसके अलावा आबादी क्षेत्र का उचित निस्तारण किया जाना चाहिए। बता दें कि किसान इसी साल 13 फरवरी से शंभू और खनौरी बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं। अब लगभग 297 दिनों बाद किसानों ने एक बार फिर से दिल्ली चलो का ऐलान किया है। बॉर्डर पर बैठे किसान 12 अन्य मांगों के साथ न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लिए कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं।
