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क्यों हो रहा संभल में विवाद? जानिए हरिहर मंदिर का इतिहास, पौराणिकता और अस्तित्व

संभल उत्तर प्रदेश का वह ऐतिहासिक और पौराणिक स्थल, जो अपने अंदर हजारों सालों की कहानियां समेटे हुए है। सत्यव्रत, महदगिरि, पिंगल और आज का संभल, यह स्थान केवल एक शहर नहीं, बल्कि इतिहास, संस्कृति और आस्था का प्रतीक है। क्या आप जानते हैं, इसी शहर को कलियुग में भगवान कल्कि के अवतरण की भूमि माना जाता है? आज हम आपको लेकर चलेंगे संभल की प्राचीनता से लेकर इसके वर्तमान तक, और जानेंगे कि क्यों यह शहर चर्चा का केंद्र बना हुआ है।

संभल इतिहास के पन्नों से

संभल की कहानी सतयुग से शुरू होती है, जब इसे सत्यव्रत कहा जाता था। त्रेता युग में इसे महदगिरि और द्वापर युग में पिंगल के नाम से जाना गया। और कलियुग में यह संभल कहलाता है।
यहां का हरिहर मंदिर, चंद्रशेखर शिवलिंग, भुबनेश्वर और सम्भलेश्वर शिवलिंग, न केवल धार्मिक आस्था के केंद्र हैं, बल्कि पौराणिक कथाओं का जीवंत प्रमाण भी हैं।
इतिहास के मध्यकाल में, यह शहर सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बन गया। बाबर, शेरशाह सूरी और सिकंदर लोदी जैसे शासकों ने इस पर शासन किया। यहां के कई मंदिरों और जैन मूर्तियों को तोड़ा गया, लेकिन संभल की पौराणिकता और पहचान कभी खत्म नहीं हुई।”

संभल का धार्मिक और पौराणिक महत्व

संभल केवल इतिहास का गवाह ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र भी है। यहां हरिहर मंदिर एक अद्भुत तीर्थ स्थल है। हर साल कार्तिक शुक्ल चतुर्थी और पंचमी के अवसर पर यहां मेला लगता है और भक्तगण इसकी परिक्रमा करते हैं। यह भी मान्यता है कि कलियुग में भगवान विष्णु का अंतिम अवतार, कल्कि, यहीं अवतरित होंगे। यह मान्यता संभल को विशेष धार्मिक महत्व प्रदान करती है।”संभल को कलियुग में भगवान कल्कि के अवतरण की भूमि माना जाता है, जिससे हिंदू समाज में इस स्थान की धार्मिक आस्था और गहरी हो जाती है।

संभल के हरिहर मंदिर का वर्तमान विवाद

यह मामला न केवल धार्मिक आस्था का विषय है, बल्कि यह एक सांप्रदायिक संतुलन की परीक्षा भी है। याचिका में मंदिर की भूमि को “असली मालिक” यानी हिंदू समुदाय को सौंपने की मांग की गई है। याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट से अपील की है कि यह क्षेत्र मंदिर के संरक्षण और पुनर्विकास के लिए सुरक्षित किया जाए।
इस मामले में सरकार पर भी सवाल उठ रहे हैं। आलोचकों का कहना है कि सरकार ने अभी तक स्थिति को संभालने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए हैं। वहीं, राजनीतिक पार्टियां इस विवाद को अपने-अपने एजेंडे के तहत भुनाने की कोशिश कर रही हैं। सरकार की प्रतिक्रिया धीमी लेकिन संतुलित रही है। अधिकारियों ने दोनों पक्षों के बीच बातचीत की कोशिश की है, लेकिन अभी तक कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है। कोर्ट के निर्देश के बाद, सरकार ने यह सुनिश्चित करने का वादा किया है कि क्षेत्र में शांति बनी रहे और किसी भी तरह की सांप्रदायिक हिंसा न हो।

हिंदू और मुस्लिम पक्ष के बीच विवाद

हिंदू पक्ष का कहना है कि यह भूमि भगवान विष्णु और भगवान शिव की पौराणिक स्थली है, और इसका संरक्षण हिंदू समाज की जिम्मेदारी है। वहीं, मुस्लिम पक्ष इसे अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा मानता है। विवाद को और अधिक जटिल बनाता है मंदिर के पास मौजूद बाबरी मस्जिद, जिसे मुगल काल में बनाया गया था। हिंदू समुदाय का कहना है कि मस्जिद के निर्माण के समय कई मंदिरों को तोड़ा गया था। मुस्लिम समुदाय इसे “इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश करने” का आरोप लगाता है। बाबर के सेनापतियों द्वारा मंदिरों को नुकसान पहुंचाने की घटनाएं ऐतिहासिक रूप से दर्ज हैं, जो विवाद की पृष्ठभूमि को और गहराई देती हैं।

संभल का महत्व और अस्तित्व

संभल केवल एक शहर नहीं, यह हमारी सभ्यता, संस्कृति और आस्था का केंद्र है। इतिहास और पौराणिकता से लेकर वर्तमान की जटिलताओं तक, यह शहर हमें यह सिखाता है कि हमारी धरोहर केवल संरक्षित करने के लिए नहीं, बल्कि समझने और संजोने के लिए है।

Mayank Dwivedi
Author: Mayank Dwivedi

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