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कब थमेगा बांगलादेश में हो रहे हिन्दुओं पर अत्याचार ? भारत की वजह से वजूद में आया था बांगलादेश

26 मार्च साल 1971 वो दिन जब बांग्लादेश वजूद में आया और वजूद में आया दुनिया के इतिहास का वो दिन जब एक नए राष्ट्र ने आजादी के पंख फैलाए,जिसमें योगदान भारत का था.भारत की सेना का योगदान रहा.यहां तक कि बांग्लादेश की आजादी के लिए न जाने कितने ही भारतीयों ने कुर्बानी भी दी.लेकिन कट्टरपंथ के बोए बीज की फसल ने सालों बाद जो फल दिए उनसे बांग्लादेश में रहने वाले हिन्दुओं का जीवन नर्क से भी खराब हो गया.

हाल ही तख्तापलट हुए बाग्लादेश में इस्कॉन मंदिर को बंद करने पर खूब जोर दिया जा रहा है, मगर सवाल उठता है क्यों? तो इसका जवाब जानने के लिए हमें कुछ वक्त पीछे चलना होगा. जब बांग्लादेश के चटगांव इस्कॉन पुंडरीक धाम के अध्यक्ष महंत चिन्मय कृष्ण दास को गिरफ्तार कर लिया गया. उनकी गिरफ्तारी ढाका अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर बांग्लादेश की खुफिया पुलिस ने की है.और ऐसा इसलिए क्योंकि चिन्मय प्रभु शेख हसीना सरकार की पतन के बाद से बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ मुखर होकर आवाज उठा रहे थे

अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने वालों की आवाज को ही बांग्लादेश के कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी ने दबाने का पूरा इंतजाम कर लिया है. हिन्दुओं का कत्लेआम हो रहा है. हिन्दुओं के नाम पूछ-पूछकर और ढूंढ-ढूंढकर मारा जा रहा है.और यहां तो वो कहावत भी उल्टी साबित हो रही है जिसमें कहा जाता है जैसे बोगे वैसा ही काटोगे, क्योंकि इस्कॉन ने बांग्लादेश में लोगों की मदद उस वक्त की थी जब वहां के लोगों को उम्मीद और सहारे की सबसे ज्यादा जरूरत थी. जब बांग्लादेश में बाढ़ पीड़ितों के नाम में हिन्दू मुस्लिम का फर्क किए बिना ही खाना, दवाइयां और पहनने के लिए कपडे दिए गए.मगर आज इन सभी बातों को भुला दिया गया है.सिर्फ इतना ही नहीं कोरोना काल में जहां लाखों की संख्या में मामले सामने आ रहे थे.चारों तरफ लाशों के ढेर थे.ऐसे वक्त में वो इस्कॉन ही था जिसने लोगों को मुफ्त में मास्क बांटे और लोगों को बिना भेदभाव के पेट भर खाना दिया और उसी संस्था से जुड़े शख्स के साथ ऐसा व्यवहार किया जा रहा है. बेहद अफसोस की बात है.

बता दें कि बांग्लादेश में जो हालात हैं उनपर दुनियाभर के देशों की नजर हैं.कई देशों ने इस मामले को united nations में उठाने की बात कही है.मगर हालात कब सुधरेंगे ये कह पाना मुश्किल है. तो वहीं इससे पहले भारत ने बयान जारी कर कहा था कि ‘हम बांग्लादेश में चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और उन्हें जमानत नहीं देने पर गहरी चिंता व्यक्त करते हैं.यह मामला बांग्लादेश में चरमपंथी तत्वों द्वारा हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों को लगातार निशाना बनाए जाने के बीच सामने आया है.अल्पसंख्यकों के घरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों में आगजनी और लूटपाट के साथ-साथ चोरी और तोड़फोड़ और हिंदू मंदिरों को अपवित्र करने के कई मामले सामने आए हैं. साथ ही यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हिंदू अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने वाले अपराधियों की बजाय, शांतिपूर्ण सभाओं के माध्यम से वैध मांगें रखने वाले एक हिंदू पुजारी के खिलाफ देशद्रोह का आरोप लगाया जा रहा है. हम चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हिंदू अल्पसंख्यकों पर हुए हमलों पर भी चिंता व्यक्त करते हैं. हम बांग्लादेश के अधिकारियों से हिंदुओं और सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह करते हैं, जिसमें शांतिपूर्ण सभा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार भी शामिल है.’

जिसपर बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया भी सामने आई थी. बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने एक बयान जारी कर कहा है कि यह उनके देश का ‘आंतरिक मामला’ है. उन्होंने आरोप लगाया कि भारत के बयान में तथ्यों को गलत तरीके से पेश किया गया है.अंतरिम सरकार ने यह भी कहा कि भारत का बयान मित्रता की भावना के विपरीत है.हालांकि ऐसे हालातों के बावजूद संभल जैसी घटनाओं पर बोलने वाले विपक्ष के बड़े नाताओं और स्वरा भास्कर जैसे लोगों की तरफ से एक भी बयान सामने न आना क्या इस देश के लिए भी चिंता की बात नहीं है.

बता दें बांग्लादेश में इस्कॉन के 65 मंदिर हैं और 50 हजार से अधिक फॉलोवर्स हैं.ढाका में जहां 13 इस्कॉन मंदिर हैं तो चटगांव में 14, सिलहाट में 9, खुलना में 8 और रंगपुर में 7 इस्कॉन मंदिर हैं.एक ओर जमात कार्यकर्ता इस्कॉन मंदिर को बंद करने चेतावनी दे रहे हैं , तो वहीं दूसरी ओर गुरुवार को इस्कॉन पर बैन की मांग वाली याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है. जमात के दबाव के आगे लाचार दिख रही बांग्लादेश की यूनुस सरकार ने कोर्ट ने इस्कॉन को कट्टरपंथी संगठन बताया है. अब देखना होगा कि बांग्लादेश की अदालत इन बेबुनियाद आरोपों पर क्या फैसला करती है.

Gargi Chandre
Author: Gargi Chandre

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