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Bihar: नीतीश सरकार ने लैंड सर्वे की समय सीमा और बढ़ाई, लाखों लोगों को राहत, जानिए नई डेडलाइन

मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई बिहार कैबिनेट की बैठक में कई अहम फैसले लिए गए। जिनमें सबसे अहम लैंड सर्वे के लिए समय सीमा को बढ़ाना। कैबिनेट के फैसले के अनुसार बिहार सरकार ने जमीन मालिकों के लिए संपत्ति से जुड़े स्व-घोषणा पत्र अपलोड करने की समय सीमा बढ़ा दी है। नई समय सीमा अब मार्च 2025 कर दी गई है,जो पिछली कट-ऑफ अगस्त 2024 की जगह लेगी। इसका मतलब जमीन मालिक अब राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर अपना सेल्‍फ डिक्‍लेरेशन फॉर्म (स्व-घोषणा प्रपत्र) फरवरी 2025 तक अपलोड कर सकते हैं।

कैबिनेट की बैठक में लगी डेडलाइन बढ़ाने पर मुहर

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में यह फैसला लिया गया। बिहार में 20 अगस्त से शुरू हुए जमीन सर्वेक्षण को सुचारू रूप से पूरा करने के लिए कैबिनेट ने स्वघोषणा की अवधि को 180 दिनों तक बढ़ा दिया है। सेल्फ डेक्लिरेशन के लिए मिला 180 कार्य दिवस, रैयत का दावा करने के लिए 60 कार्य दिवस और दावे के निपटारा के लिए 60 कार्य दिवस का समय मिलेगा। इस फैसले से जमीन मालिकों को पर्याप्त समय मिलेगा और विवादों के समाधान की प्रक्रिया को मजबूती मिलेगी। इससे पहले विभागीय मंत्री दिलीप जायसवाल ने विधानसभा में कहा था कि सर्वे को लेकर बिहार के लोगों को परेशान नहीं होने दिया जाएगा। जबतक जनता को सारा कागजात उपलब्ध नहीं करा देंगे, तब तक कोई भी कर्मचारी और पदाधिकारी बिहार की जनता को सर्वे के कारण कोई दिक्कत नहीं देगा। इस दौरान उन्होंने ये भी ऐलान किया था कि सरकार भूमि सर्वे के नियमों में बदलाव करेगी और जल्द ही कैबिनेट में इसको लेकर प्रस्ताव लाया जाएगा। इसके साथ ही ।

भूमि विवादों को कम करना सरकार का लक्ष्य

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने बताया कि इस कदम से दस्तावेजों को अपलोड करने में होने वाली कठिनाइयों से बचने में मदद मिलेगी। सरकार का प्राथमिक लक्ष्य इस सर्वेक्षण के माध्यम से भूमि विवादों को कम करना है,जिसके अगस्त 2025 तक समाप्त होने की उम्मीद है। यह विस्तार बिहार में चल रहे विशेष भूमि सर्वेक्षण का हिस्सा है,जिसका उद्देश्य भूमि अभिलेखों को अद्यतन करना है। आखिरी व्यापक सर्वेक्षण 1911 में ब्रिटिश शासन के दौरान किया गया था।

बता दें कि बिहार में लाखों भू-स्वामियों को जरूरी दस्तावेज जुटाने में बहुत ही ज्यादा कठिनाइयां आ रही हैं। इसमें काफी समय लग रहा है। बिहार के लाखों लोग प्रदेश से बाहर काम करते हैं। ऐसे में उनके लिए यह डेडलाइन बढ़ना बड़ी राहत की तरह है। जमीन सर्वेक्षण की अवधि को छह महीने बढ़ाने का यह फैसला आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए लिया गया है। सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि जमीन से जुड़े विवादों का समाधान समय पर हो और सर्वेक्षण प्रक्रिया में जनता की भागीदारी बढ़े।

Mayank Dwivedi
Author: Mayank Dwivedi

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