महाराष्ट्र के सियासी दंगल में कुर्सी पर मचा घमासान खत्म हो गया.लंबे वक्त से इस बात पर सस्पेंस बना हुआ था कि महाराष्ट्र सरकार का चेहरा किसे चुना जाएगा.मगर अब इस बात से भी पर्दा उठ चुका है.और देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ तीसरी बार ली है.इसके साथ ही उनके सहयोगी दल यानि NCP (अजित पवार) और शिवसेना (शिंदे गुट) से अजित पवार और एकनाथ शिंदे ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली है.महाराष्ट्र की जीत को बीजेपी एक त्योहार की तरह मना रही है ताकि अपनी जीत की भव्यता से अपने विरोधियों के हार के जख्मों को हमेशा हरा ही रखा जाए.मगर अभी सरकार बनाने का सिरदर्द खत्म नहीं हुआ है. ऐसे कई सवाल हैं जो अभी भी सिर उठाए खड़े हैं और वो ये कि आखिर महाराष्ट्र सरकार में किस नेता को कौन सा विभाग दिया जाएगा या फिर इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि किस पार्टी के कोटे को कितने-कितने मंत्री पद मिलेंगे और कौन विभाग किसे मिलेगा
हालांकि इस बारे में कुछ भी कह पाना मुश्किल है और इसी बात को लेकर महायुति के तीनों ही घटक दलों के बीच शहमत का खेल जारी है.लेकिन सियासी गलियारों में महाराष्ट्र में पावर शेयरिंग के एक बड़े दिलचस्प फॉर्मूले की चर्चा सामने आई है और वो ये है कि हर पांच विधायकों पर एक मंत्री पद यानि किसी भी दल के जितने विधायक तो उसके हर पांच विधायकों की गिनती के हिसाब से उसे उतने मंत्री पद दिए जाएंगे.अगर इस हिसाब से गणित लगाया जाए तो बीजेपी के 132 विधायक हैं, तो उसके खाते में 22 से 23 मंत्री आते हैं.कुछ इसी तरह शिवसेना के 57 विधायक हैं तो उसके खाते में 11 से 12 मंत्री पद और 41 सीटें जीतने वाली NCP को 8 से 10 मंत्री पद मिल सकते हैं.
हालांकि इस फॉर्मूले के ऊपर मुहर लगी है या नहीं इस बारे में कोई औपचारिक खबर सामने नहीं आई है.मगर इतना तो तय है कि किंग और किंगमेकर्स में बिना किसी सेट फॉर्मूले के मंत्रालयों का बंटवारा तो नहीं हो सकता.लेकिन अब इस बारे में भी आपको बताते हैं कि वो कौन कौन से मंत्रालय हैं, जिन्हें बीजेपी के भागीदार अपने हिस्से में चाहते हैं.तो गृह, राजस्व, शहरी विकास, सिंचाई और सामाजिक न्याय जैसे विभागों पर सभी टकटकी लगाए बैठे हैं. एनसीपी अपने पास कम से कम वित्त मंत्रालय के साथ सहकारिता, कृषि, पंचायती, खाद्य और नागरिक आपूर्ति जैसे विभाग रखना चाहती है और डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे अपने पास गृह मंत्रालय रखना चाहते हैं. मंत्रालयों के बंटवारे पर लंबा चिंतन-मंथन हो सकता है.क्योंकि सीएम पद के चेहरे से पर्दा उठाने में ही महायुति ने लंबा समय लगा दिया था.
