विज्ञापन के लिए संपर्क करें

Mahakumbh Mela 2025: क्या है नागा साधु का इतिहास, क्यों हैं मोह माया से दूर ?

नागा साधु भारतीय आध्यात्मिक परंपरा का अहम हिस्सा हैं. ये साधु सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर भगवान शिव की साधना करते हैं.भस्म का लेप, निर्वस्त्र जीवन और लंबी जटाएं उनकी विशेष पहचान होती है.उनका जीवन कठिन तप और त्याग का उदाहरण है.नागा साधु बनने के लिए व्यक्ति को परिवार, धन और सांसारिक जीवन का पूरी तरह त्याग करना पड़ता है. दीक्षा की प्रक्रिया भी काफी कठिन होती है, जिसमें गुरु द्वारा नए जीवन की दीक्षा दी जाती है. इसके बाद साधु कठोर तपस्या और साधनानागा साधु मुख्य रूप से शैव और वैष्णव परंपराओं के विभिन्न अखाड़ों से जुड़े होते हैं. अखाड़े साधुओं के संगठन हैं, जो उनकी आध्यात्मिक और सामाजिक गतिविधियों का प्रबंधन करते हैं. महाकुंभ के दौरान इन अखाड़ों का विशेष महत्व होता है.महाकुंभ में नागा साधु शाही स्नान का नेतृत्व करते हैं, जिसे कुंभ मेले का सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है. महाकुंभ में उनका स्नान आध्यात्मिक ऊर्जा और धार्मिक परंपराओं के सम्मान का प्रतीक है.नागा साधुओं का महाकुंभ और संगम से गहरा संबंध होता है. ये आयोजन उन्हें आध्यात्मिक शक्ति का प्रदर्शन और सनातन परंपरा का प्रचार-प्रसार करने का मौका देता है. संगम पर नागा साधु गंगा, यमुना और सरस्वती के मिलन को दिव्य ऊर्जा का स्रोत मानते हैं, जहां वे स्नान कर अपनी साधना को और ऊर्जावान बनाते हैं.नागा साधु महाकुंभ के दौरान धर्म, तपस्या और त्याग का संदेश समाज को देते हैं. वे धर्म रक्षा और आध्यात्मिक जागृति के प्रतीक माने जाते हैं. अपने अस्त्र-शस्त्र और भस्म से वे इस संदेश को और भी प्रभावी बनाते हैं. उनकी उपस्थिति कुंभ मेले को और भी भव्य और पवित्र बना देती है.

Gargi Chandre
Author: Gargi Chandre

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *