भारत का पड़ोसी देश चीन अपनी विस्तारवादी नीतियों से बाज नहीं आता है और भारतीय जमीन को कब्जाने की कोशिश करता रहता है। कुछ ऐसा ही अब वह लद्दाख के क्षेत्र में एक बार फिर कर रहा है, वह लद्दाख से सटे चीनी इलाके में दो काउंटीज बना रहा है। चीन की इन हरकतों पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने कड़ी आपत्ति जाहिर की है। भारत का कहना है कि जिन क्षेत्रों को जोड़कर ये काउंटी स्थापित होंगे, उनमें लद्दाख का हिस्सा भी है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने शुक्रवार को मीडिया ब्रीफिंग को संबोधित करते हुए कहा, ‘हमने चीन के होटन प्रान्त में दो नए काउंटी की स्थापना से संबंधित घोषणा देखी है. इन तथाकथित काउंटियों के अधिकार क्षेत्र के कुछ हिस्से भारत के केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में आते हैं।’
चीन ने की है झिजियांग उइगर क्षेत्र में दो कांउंटी बनाने की घोषणा
दरअसल, चीनी सरकारी मीडिया एजेंसी शिन्हुआ ने 27 दिसंबर को बताया था कि उत्तर-पश्चिमी चीन के झिजियांग उइगर क्षेत्र की सरकार ने दो नए काउंटी यानी हेआन हेकांग बनाने की घोषणा की है। इन काउंटियों में मौजूद कुछ इलाके भारत के केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख का हिस्सा हैं। भारत ने साफ-साफ कहा है कि ये इलाका भारत का अभिन्न हिस्सा है और चीन का दावा पूरी तरह से अवैध है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘हमने वहां भारतीय क्षेत्र पर अवैध चीनी कब्जे को कभी स्वीकार नहीं किया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘नए काउंटी बनाने से न तो क्षेत्र पर भारत की संप्रभुता के संबंध में दीर्घकालिक और सतत स्थिति पर कोई असर पड़ेगा और न ही इससे चीन के अवैध और जबरन कब्जे को वैधता मिलेगी।’’
ब्रह्मपुत्र नदी पर बनने वाले डैम को लेकर भी भारत ने जताया विरोध
वहीं, दूसरा मामला ब्रह्मपुत्र नदी से जुड़ा है। चीन ब्रह्मपुत्र नदी पर एक डैम बना रहा है, जिसे लेकर भारत ने आपत्ति जताई है। विदेश मंत्रालय (MEA) के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि भारत ने विशेषज्ञ स्तर और राजनयिक माध्यमों से चीन को अपनी चिंताओं से अवगत कराया है। भारत ने शुक्रवार को कहा कि वह निगरानी जारी रखेगा और अपने हितों की रक्षा के लिए आवश्यक उपाय करेगा। प्रस्तावित बांध के प्रति अपनी पहली प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए नयी दिल्ली ने बीजिंग से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि ब्रह्मपुत्र के ऊपरी इलाकों में गतिविधियों से नदी के प्रवाह के निचले क्षेत्रों में स्थित देशों को नुकसान नहीं पहुंचे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, ‘‘हम निगरानी जारी रखेंगे और अपने हितों की रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाएंगे।’’
बता दें कि चीन ने गत वर्ष 25 दिसंबर को, तिब्बत में भारत से लगी सीमा के निकट ब्रह्मपुत्र नदी पर विश्व का सबसे बड़ा बांध निर्मित करने की अपनी योजना की घोषणा की थी। परियोजना पर 137 अरब अमेरिकी डॉलर की लागत आने का अनुमान है। बांध के हिमालय पर्वतमाला क्षेत्र के पारिस्थितिकी रूप से नाजुक क्षेत्र में बनाने की योजना है।
