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प्रयागराज महाकुंभ में प्रशासन से कहां हुई चूक? मौनी अमावस्या का ये है कारण !

मौनी अमावस्या का दिन, तारीख 29 जनवरी, साल 2025, समय रात के करीबन 1 से दो बजे के बीच.. महाकुंभ से खबर आती है कि भगदड़ मची है.. भगदड़ ऐसी कि कई लोगों के घायल होने की खबर सामने आती है.आशंका जताई जाती है कि 15से 18 लोगों की मौत हुई है, खैर महाकुंभ में हालात नियंत्रण में हैं.. लेकिन क्या आप जानते हैं कुँभ मेले में इससे पहले भी ऐसी भगदड़ की घटनाएं सामने आई हैं.तारीख 3 फरवरी, साल 1954 का, सुबह करीब 8 बजे के आसपास का वक्त रहा होगा, जब प्रयागराज में लगे कुंभ मेले में मौनी अमावस्या के लिए लाखों की भीड़ उमड़ी थी.अचानक कुछ अफवाहें पैदा हुईं, जिससे भगदड़ मच गई। 45 मिनट तक चले मौत के तांडव में करीब 800 श्रद्धालुओं की मौत की खबर सामने आती है… चलिए आपको बताते हैं पूरी कहानी देश की आजादी के बाद लगे पहले कुंभ की, साथ ही जानेंगे कि आखिर इन हादसों की क्या वजह होती हैं.1954 में 2 और 3 फरवरी की दरमियानी रात को गंगा में अचानक पानी का लेवल बढ़ जाता है.. संगम किनारे साधु-संतों के आश्रम में पानी पहुंचने लगा। इस घटना से लोग घबरा जाते हैं और इससे अफरा-तफरी में भगदड़ मच जाती है.1954 से पहले भी कुंभ मेले में भगदड़ मची थी.साल 1992 में उज्जैन के सिंहस्थ कुंभ मेले के दौरान मची भगदड़ में 50 से ज्यादा श्रद्धालुओं की मौत हुी थी.महाराष्ट्र के नासिक में 2003 के कुंभ मेले के दौरान 27 अगस्त को भगदड़ मची थी। इस भगदड़ में 39 लोगों की मौत हुई थी.0 उत्तराखंड के हरिद्वार में 2010 में कुंभ मेले के दौरान 14 अप्रैल को भगदड़ मची थी और इसमें 7 लोगों की मौत की खबर थी.इसी तरह प्रयागराज में 2013 में भी कुंभ मेले का आयोजन हुआ.यह घटना मौनी अमावस्या पर 10 फरवरी को अमृत स्नान के दौरान घटी थी.प्रयागराज रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ में 36 लोगों की मौत हुई थी. अब बात करते हैं आजाद भारत के सबसे पहले कुंभ मेले की.यह भारत की स्वतंत्रता के बाद पहला कुंभ मेला भी था.इस वजह से भी बड़ी संख्या में लोग उस वक्त के इलाहाबाद में पहुंचे थे.कुंभ का अंतरराष्ट्रीयकरण भी तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने ही किया था.इस मौके को लेकर देश-विदेश में नेहरू के कई लेख भी छपे. उस साल कुंभ मेले में करीब 50 लाख श्रद्धालु पहुंचे थे.कहा जाता है कि 1954 के कुंभ में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू भी शामिल हुए थे.अमावस्या के एक दिन पहले नेहरू पहुंचे थे और उन्होंने संगम में स्नान भी किया था, लेकिन उसी दिन वो तैयारियों से संतुष्ट होकर वापस लौट गए थे. जब भगदड़ मची तो उसके बाद नेहरू ने न्यायमूर्ति कमलाकांत वर्मा की अध्यक्षता में जांच कमेटी बनाई. हादसे के बाद नेहरू ने नेताओं और अतिविशिष्ट लोगों से स्नान पर्वों पर कुंभ न जाने की अपील की थी.उस घटना के बाद से अरसे तक कुंभ में भगदड़ नहीं मची थी.लेकिन अब साल 2025.तारीख 29 जनवरी की जब फिर एक बार भगदड़ मचती है की लोगों के घायल होने की खबर और अलग अलग कहानियां सामने आती हैं.हालांकि हालात अब नियंत्रण में हैं और मौत के आंकड़ों की अभी प्रशासन की ओर से पुष्टि नहीं की गई है.

Gargi Chandre
Author: Gargi Chandre

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