1 फरवरी को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण अपना लगातार 8वां बजट पेश करने वाली हैं और सभी की निगाहें मध्यम वर्ग को मिलने वाली बहुप्रतीक्षित टैक्स राहत पर होंगी. सीतारमण ने साल 2019 में अपना पहला बजट पेश करते हुए बजट दस्तावेजों को ले जाने के लिए दशकों से इस्तेमाल किए जा रहे चमड़े के ब्रीफकेस को लाल कपड़े में लिपटे पारंपरिक ‘बही-खाता’ से बदल दिया था. इस साल का बजट पिछले तीन वर्षों की तरह डिजिटल रूप में ही जारी किया जाएगा.बजट के आने से पहले ही यहां कुछ आंकड़े पेश किए जा रहे हैं, जो 1 फरवरी को आने वाले बजट को समझना आसान कर देंगे. इन आंकड़ों पर नजर डालते ही आपको अर्थव्यवस्था की सारी तस्वीर साफ हो जाएगी. भारतीय इकनॉमी को आगे ले जाने के लिए इस बार के बजट में किन चीजों पर फोकस किया जाना चाहिए, इसका अंदाजा भी आपको इन आंकड़ों से हो जाएगा.
2024-25 के बजट में सकल कर राजस्व 38.40 लाख करोड़ रुपये आंका गया था, जो वित्त वर्ष 2023-24 की तुलना में 11.72 प्रतिशत अधिक है. इसमें प्रत्यक्ष करों से 22.07 लाख करोड़ रुपये और अप्रत्यक्ष करों से 16.33 लाख करोड़ रुपये का राजस्व शामिल है.
2024-25 में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह 11 प्रतिशत बढ़कर 10.62 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है. वित्त वर्ष 2025-26 के जीएसटी राजस्व अनुमानों पर नजर रखी जाएगी, क्योंकि चालूवित्त वर्ष में पिछले तीन महीनों में राजस्व वृद्धि धीमी रही है.
वित्तमंत्री ने अपने 2024-25 के बजट भाषण में कहा था कि 2026-27 से आगे राजकोषीय घाटे को जीडीपी के प्रतिशत के रूप में लगातार कम किया जाएगा. इस बार बाजार की ऋण समेकन मसौदे पर नजर रहेगी. वर्ष 2024 में सामान्य सरकारी ऋण-जीडीपी अनुपात 85 प्रतिशत था, जिसमें केंद्र सरकार का ऋण 57 प्रतिशत है.
वित्तवर्ष 2024-25 में सरकार का सकल उधार बजट 14.01 लाख करोड़ रुपये था. सरकार अपने राजकोषीय घाटे की भरपाई करने के लिए बाजार से उधार लेती है. उधारी संख्या पर बाजार की नजर रहेगी.
