भारत को गंगा-यमुना तहजीब कहा जाता है.दोनों ही नदी पवित्र मानी जाती है. लेकिन दोनों के रंग में इतना अंतर क्यों जहां गंगा साफ पवित्र है.वहीं दूसरी तरफ यमुना से नाले जैसी बदबु आती है.बीजेपी इस बार यमुना का मुद्दा बनाकर अपने सियासी वनवास को खत्म करना चाहती है.तभी तो बीजेपी तमाम नेता यमुना के हाल का जिम्मेदार अरविंद केजरीवाल को ठहरा रहे हैं क्योंकि अरविंद केजरीवाल ने पहली बार जब दिल्ली की बागडोर अपने हाथ में संभाली थी तब उन्होंने वादा किया था की यमुना को वो इतना साफ बना देंगे की लोग इस नदी में डुबकी लगा सकेंगे.लेकिन आज जो यमुना का हाल है डुबकी तो दूर की बात है.इस पानी को कोई पी भी नहीं सकता.केजरीवाल के सत्ता में आए हुए ग्यारह साल हो चुके है यमुना का हाल क्या है इसे दिल्ली का बच्चा-बच्चा जानता है,बीजेपी ने जब यमुना की सफाई को लेकर आप की सरकार के घेरा तो केजरीवाल ने उल्टा बीजेपी को ही इसका जिम्मेदार ठहरा दिया और कहा हरियणा सरकार यमुना के पानी में जहर मिला रही है.अरविंद केजरीवाल के इस बयान को लेकर चुनाव आयोग ने उन्हें समन जारी किया था.जिस पर बुधवार (29 जनवरी) को अरविंद केजरीवाल ने जवाब भेजा था.केजरीवाल ने अपने जवाब में दिल्ली जल बोर्ड की रिपोर्ट का हवाला दिया था.केजरीवाल का कहना था कि दिल्ली जल बोर्ड के सीईओ ने अमोनिया बढ़ने को लेकर एक रिपोर्ट दी है, जो लोगों के लिए खतरा है.वहीं अरविंद केजरीवाल के इस बयान से चुनाव आयोग संतुष्ट नहीं है.आयोग ने केजरीवाल को जवाब देने का एक और मौका दिया है.इसके बाद से कहा जा रहा है कि चुनाव आयोग सही जवाब न मिलने पर अरविंद के खिलाफ एक्शन ले सकती है…इसके बाद आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल शुक्रवार सुबह 11 बजे चुनाव आयोग पहुंचे और यमुना नदी में जहर मिलाने वाले बयान पर आयोग के हर सवाल का जवाब दिया.केजरीवाल के साथ चुनाव आयोग के दफ्तर में दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान भी पहुंचे थे.अरविंद केजरीवाल ने अपने जवाब में मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) पर भी सवाल उठाए.उन्होंने कहा कि अगर CEC ने हरियाणा सरकार और बीजेपी के नेताओं पर यमुना को लेकर कार्यवाही नहीं कि तो ये माना जाएगा कि चुनाव आयोग जनता के हित के बजाए सत्ताधारी दल के हित में काम कर रही है.फिलहाल इलेक्शन कमीशन इस मामले की जांच कर रहा है.दिल्ली में पांच फरवरी को चुनाव है आठ फरवरी को परिणाम आएंगे.लेकिन उससे पहले दिल्ली में राजनीतिक पारा हाई है.बीजेपी हर किमत पर सत्ता पाने की कोशिश में लगी है.वहीं केजरीवाल अपनी सत्ता बचाने के लिए दिल्ली में हुए बुरे हाल के लिए बीजेपी को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं.
