महाकुंभ को हिंदुओं के सबसे बड़े धार्मिक समागम के रूप में जाना जाता है…ये धार्मिक समागम हर 12 साल में उज्जैन, नासिक, हरिद्वार और प्रयागराज में आयोजित किया जाता है. इस बार महाकुंभ का आयोजन तिर्थों के राजा कहे जाने वाले प्रयागराज में 13 जनवरी से शुरू हुआ और 26 फरवरी तक चलेगा.
महाकुंभ में शाही स्नान की शुरुआत 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा से हो गई. पौष पूर्णिमा से शुरू हुए शाही स्नान महाशिवरात्रि पर समाप्त होगी…यही नहीं इस दिन शाही स्नान के साथ-साथ 45 दिनों चलने वाले महाकुंभ के धार्मिक समागम की भी समाप्ति हो जाएगी.चलिए आपको बताते हैं महाकुंभ के अंतिम शाही स्नान का शुभ मूहूर्त क्या है और स्नान के साथ-साथ और कौन से काम करने पर भोलेनाथ की कृपा प्राप्त होगी….
बता दें 26 फरवरी को मनाई जाएगी. महाकुंभ में साधु संत और श्रद्धालु इसी दिन इस धार्मिक समागम का अंतिम शाही स्नान करेंगे. महाशिवरात्रि पर शाही स्नान का ब्रह्म मुहूर्त 5 बजकर 9 मिनट पर शुरू होगा…वहीं ये मुहूर्त 5 बजकर 59 मिनट पर समाप्त भी हो जाएगा. इस दिन स्नान के साथ-साथ महादेव की पूजा का भी विधान है….साथ ही इस दान करना भी बहुत ही पुण्यकारी माना जाता है…इस दिन किसी जरुरतमंद को गेहूं, चावल, कच्चा दूध, घी, काले तिल और वस्त्रों का दान अवश्य करना चाहिए. ऐसा करने से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और कृपा करते हैं….महाशिवरात्रि का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है…इसे त्योहार को सबसे अधिक पवित्र माना जाता है. महाशिवरात्रि को भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन का प्रतीक भी माना जाता है. हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि पर भगवान शिव के जलाभिषेक को बहुत ही अहम माना गया है. जो भी इस दिन भगवान शिव का जलाभिषेक और पूजन, व्रत आदि करता है, भगवान भोलेनाथ उस पर प्रसन्न होते हैं और विशेष कृपा करते हैं.
