13 जनवरी से प्रयागराज में’महाकुंभ 2025′ रोज नए इतिहास रच रहा है। अब इस भव्य-दिव्य समागम ने एक और महारिकॉर्ड बना दिया है। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर जारी डाटा के अनुसार प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में अबतक यानी 14 फरवरी तक 50 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगाई है। यह संख्या भारत और चीन को छोड़कर दुनिया के बाकी देशों की आबादी से ज्यादा है। यह 50 करोड़ से अधिक की संख्या किसी भी धार्मिक, सांस्कृतिक या सामाजिक आयोजन में मानव इतिहास की अब तक की सबसे बड़ी सहभागिता बन चुकी है। 45 दिनों तक चलने वाले महाकुंभ के अभी 12 दिन और बचे हैं।
कई देशों की जनसंख्या से ज्यादा लोग महाकुंभ में पहुंचे
प्रयागराज में महाकुंभ मेले की मेजबानी कर रही उत्तर प्रदेश सरकार ने एक बयान में दावा किया कि यह मानव इतिहास में किसी भी धार्मिक, सांस्कृतिक या सामाजिक आयोजन के लिहाज से ‘सबसे बड़ा जनसमूह’ है। सरकार के इस डाटा के मुताबिक अमेरिका और चीन की कुल आबादी के बाद तीसरी सबसे बड़ी आबादी के बराबर लोग प्रयागराज पहुंचे हैं। इतना ही नहीं ब्राजील के रियो फेस्टिवल या जर्मनी के अक्टूबर फेस्ट में आने वाली भीड़ इसके मुकाबले कुछ नहीं है। रियो कार्निवल 9 फरवरी से शुरू हुआ है जो 17 फरवरी तक चलेगा, इसमें रोज करीब 20 लाख लोग पहुंचते हैं। वहीं 16 दिनों तक चलने वाले जर्मनी के अक्टूबर फेस्ट में करीब 70 लाख लोग पहुंचते हैं।
मौनी अमावस्या को रिकॉर्ड 8 करोड़ ने लोगों ने लगाई थी डुबकी
महाकुंभ की शुरुआत से पहले सरकार ने अनुमान लगाया था कि इसमें 40 से 45 करोड़ श्रद्धालु आएंगे। सीएम योगी ने पहले ही अनुमान जताया था कि इस बार जो भव्य और दिव्य महाकुंभ का आयोजन हो रहा है, वह स्नानार्थियों की संख्या का नया रिकॉर्ड स्थापित करेगा। उन्होंने शुरुआत में ही 45 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना जताई थी। पिछली 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के पावन अवसर पर एक ही दिन में महाकुंभ में पवित्र स्नान के लिए रिकॉर्ड आठ करोड़ श्रद्धालु पहुंचे थे, जबकि 3.5 करोड़ श्रद्धालुओं ने मकर संक्रांति के अवसर पर अमृत स्नान किया था। 1 फरवरी और 30 जनवरी को 2-2 करोड़ के पार और पौष पूर्णिमा पर 1.7 करोड़ श्रद्धालुओं ने पुण्य डुबकी लगाई, इसके अलावा बसंत पंचमी पर 2.57 करोड़ श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगाई थी। माघी पूर्णिमा के महत्वपूर्ण स्नान पर्व पर भी 2 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने संगम में पावन स्नान किया था।
