ओरेंगज़ेब की क़ब्र पर सियासत: VHP की कार सेवा और भारतीय राजनीति में हलचल
हाल ही में, भारत में एक बड़ा विवाद उभरा है, जो मुग़ल सम्राट और भारतीय इतिहास में विवादास्पद व्यक्ति रहे, औरंगजेब की क़ब्र को लेकर सियासी सरगर्मियों को बढ़ा रहा है। इस विवाद के बीच, विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने औरंगजेब की क़ब्र के खिलाफ ‘कार सेवा’ शुरू करने की घोषणा की है। इस कदम के पीछे कई राजनीतिक और धार्मिक कारक हैं, जो देश में सियासत के नए रंग दिखा रहे हैं। आइए जानते हैं इस पूरे विवाद की विस्तार से।
औरंगजेब (1658-1707) मुग़ल साम्राज्य का छठा सम्राट था, जिसे भारतीय इतिहास में कई विवादों के कारण जाना जाता है। औरंगजेब के शासनकाल में धार्मिक असहिष्णुता, हिंदू मंदिरों का ध्वंस, और धार्मिक नीति के कठोर कदमों के कारण उसकी छवि आलोचनाओं के घेरे में रही। खासकर, उसकी नीतियां और हिंदू धर्म के प्रति उसकी प्रतिकूलता ने उसे एक क्रूर शासक के रूप में पेश किया।
इसके बावजूद, औरंगजेब का प्रशासनिक कौशल और सैन्य सफलता को भी माना जाता है, लेकिन उसकी धार्मिक नीतियों ने उसे विवादों के केंद्र में ला दिया। औरंगजेब की क़ब्र भारत के अहम शहर औरंगाबाद में स्थित है, और इसे लेकर कई सालों से राजनीतिक, सांस्कृतिक और धार्मिक बहसें चलती रही हैं।
हाल ही में, विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने औरंगजेब की क़ब्र पर कार सेवा शुरू करने का ऐलान किया। VHP का कहना है कि औरंगजेब की क़ब्र को एक सांस्कृतिक और धार्मिक प्रतीक के रूप में देखा जाता है, जो भारतीय इतिहास के एक काले अध्याय का प्रतीक है। उनके अनुसार, औरंगजेब ने हिंदू धर्म के खिलाफ कई अत्याचार किए थे, और उसकी क़ब्र को श्रद्धा की जगह नहीं, बल्कि संघर्ष और धार्मिक असहिष्णुता की याद दिलाने वाला स्थल मानते हैं।
VHP का यह अभियान हिंदू समुदाय के बीच एक संदेश देना है कि औरंगजेब की क़ब्र को धार्मिक सशक्तिकरण और राष्ट्रवाद के प्रतीक के रूप में न देखा जाए। वे इस अभियान को एक प्रकार की ‘सजगता’ और ‘जागृति’ के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं, ताकि समाज और राजनीति में धार्मिक समानता और भाईचारे का माहौल बने।
इस अभियान के सामने आते ही, भारतीय राजनीति में इसे लेकर तीव्र प्रतिक्रियाएँ आईं। भाजपा के कई नेता और VHP के समर्थक इस कदम को समर्थन दे रहे हैं, जबकि विपक्षी दलों और अन्य धार्मिक समुदायों ने इस पर कड़ी आलोचना की है।
इस विवाद के केंद्र में औरंगजेब की क़ब्र और उसकी ऐतिहासिक छवि है। जहां एक वर्ग इसे धार्मिक स्वतंत्रता और हिंदू संस्कृति के खिलाफ एक प्रतीक मानता है, वहीं दूसरे वर्ग के लिए यह सिर्फ एक ऐतिहासिक स्थल है, जो अतीत की कहानी बयान करता है।
धार्मिक संगठनों के अलावा, कई इतिहासकार भी इस विवाद में शामिल हैं। उनका कहना है कि औरंगजेब का इतिहास एक जटिल और बहुआयामी विषय है, और उसे केवल एक धर्म के दृष्टिकोण से नहीं देखा जा सकता। कुछ इतिहासकार इसे एक बड़े राजनीतिक और साम्राज्यवादी संदर्भ में देखने की बात करते हैं, जबकि कुछ अन्य उसकी नीतियों की आलोचना करते हैं।
इस तरह के विवाद चुनावी राजनीति में भी अपनी भूमिका अदा करते हैं। भारत में आगामी चुनावों को देखते हुए, यह संभावना जताई जा रही है कि इस विवाद का इस्तेमाल विभिन्न दल अपने चुनावी हितों के लिए कर सकते हैं। धार्मिक और सांस्कृतिक मुद्दे हमेशा से भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते आए हैं, और इस मामले में भी इसका असर चुनावी रणनीतियों पर पड़ेगा।
ओरेंगज़ेब की क़ब्र पर VHP का ‘कार सेवा’ अभियान निश्चित रूप से भारतीय समाज और राजनीति में एक नया विवाद पैदा कर चुका है। यह विवाद केवल ऐतिहासिक नहीं है, बल्कि इसका धार्मिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक आयाम भी है। इसके प्रभाव भारतीय समाज पर लंबे समय तक पड़ सकते हैं, और यह देखना होगा कि सियासी दल इस मुद्दे को किस दिशा में ले जाते हैं।
यह मुद्दा केवल इतिहास से जुड़ा नहीं है, बल्कि यह आज की राजनीति, धार्मिक अस्मिता और भारतीय समाज में सामूहिक विचारधारा पर गहरा असर डालने वाला है।