संभाजी नगर से औरंगजेब की कब्र हटाने को लेकर पुणे से लेकर नागपुर तक जमकर प्रदर्शन: राजनीतिक बयानबाजी और हिंसक प्रदर्शन
हाल ही में महाराष्ट्र में एक विवादित मुद्दा उभरा, जब संभाजी नगर (जिसे पहले औरंगाबाद के नाम से जाना जाता था) से औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग उठी। इस मुद्दे ने राज्यभर में विवाद और प्रदर्शन का रूप लिया, और पुणे से लेकर नागपुर तक कई स्थानों पर हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए। इस मुद्दे को लेकर राज्य के नेताओं के बीच तीखी बयानबाजी देखने को मिली, और राजनीतिक दलों ने अपने-अपने दृष्टिकोण से इसे आगे बढ़ाया।
औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग
संभाजी नगर के स्थानीय लोग और कुछ राजनीतिक दलों ने दावा किया कि औरंगजेब, जो मुग़ल सम्राट था और जिसे भारतीय इतिहास में अत्याचारी शासक के रूप में देखा जाता है, की कब्र को शहर से हटाया जाना चाहिए। उनका कहना था कि यह कब्र भारतीय संस्कृति और मराठा इतिहास के खिलाफ है। वहीं, विरोधी पक्ष का कहना था कि यह इतिहास का हिस्सा है और इसे मिटाने से समाज में और अधिक हिंसा और नफरत फैल सकती है।
पुणे और नागपुर में विरोध प्रदर्शन
पुणे और नागपुर में इस मुद्दे को लेकर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए। प्रदर्शनकारियों ने संभाजी नगर में औरंगजेब की कब्र हटाने के पक्ष में नारेबाजी की और कई स्थानों पर हिंसक झड़पें भी हुईं। प्रदर्शनकारियों ने सड़कें जाम की, टायर जलाए और पुलिस से टकराव किया। कई जगहों पर सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुँचाने की भी खबरें आईं। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए लाठीचार्ज किया और प्रदर्शनकारियों को खदेड़ा।
राजनेताओं की प्रतिक्रिया
उद्धव ठाकरे (शिवसेना):
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “हमें इतिहास से कुछ नहीं हटाना चाहिए। औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग गलत है। हमें अपने इतिहास को समझकर उसे सम्मान देना चाहिए, चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक। अगर हम अतीत से कुछ हटा देंगे तो हम भविष्य में क्या कर पाएंगे?” ठाकरे ने यह भी कहा कि इस मुद्दे को तूल देकर समाज में और विभाजन फैलाने की कोशिश की जा रही है।
देवेंद्र फडणवीस (भा.ज.पा):
भा.ज.पा नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस मुद्दे पर तीखा बयान दिया। उन्होंने कहा, “अगर यह कदम हमारी संस्कृति और मराठा इतिहास की सुरक्षा के लिए उठाया जा रहा है, तो इसे सही ठहराया जा सकता है। औरंगजेब का इतिहास भारतीय जनता के लिए घृणा का कारण है, और यदि इस कब्र को हटाना समाज को शांति और सामंजस्य की ओर ले जाता है, तो इसका समर्थन किया जाना चाहिए।” फडणवीस के बयान ने इस मुद्दे को और भी तूल दिया और भाजपा समर्थकों के बीच इस पर चर्चा शुरू हो गई।
अजित पवार (एनसीपी):
एनसीपी नेता अजित पवार ने इस मामले में राजनीति करने पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा, “यह केवल एक राजनीतिक रणनीति है। यह मुद्दा समाज में घृणा और असहमति फैलाने के लिए उछाला जा रहा है। हमें अपने इतिहास का सम्मान करना चाहिए और किसी भी धर्म या जाति के खिलाफ किसी भी प्रकार की नफरत फैलाने से बचना चाहिए।” पवार ने यह भी कहा कि अगर यह मुद्दा सही दिशा में नहीं सुलझा, तो इसका खामियाजा समाज को भुगतना पड़ेगा।
राज ठाकरे (मनसे):
मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग का समर्थन किया, लेकिन साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि इसे सिर्फ राजनीति का हिस्सा नहीं बनाना चाहिए। राज ठाकरे ने कहा, “हमें अपने इतिहास से जुड़े ऐसे हिस्सों को हटाना चाहिए जो समाज में नफरत और असहमति फैलाते हों। औरंगजेब का इतिहास भारतीयों के लिए संघर्ष और अत्याचार का प्रतीक रहा है। हमें इसे अपने समाज से हटाकर एक नई दिशा की ओर बढ़ना चाहिए।”
समाज में गहरी खाई
यह मुद्दा समाज में गहरी खाई पैदा करने का कारण बन गया है। कुछ लोगों का कहना है कि इतिहास को फिर से लिखने की कोई आवश्यकता नहीं है, जबकि अन्य का मानना है कि यह कदम भारतीय संस्कृति और मराठा गौरव की रक्षा के लिए जरूरी है। इसके अलावा, यह मुद्दा धार्मिक संवेदनाओं को भी भड़का रहा है, और कुछ इलाकों में सांप्रदायिक तनाव बढ़ गया है।
पुलिस की कार्रवाई
पुलिस ने स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए कई जगहों पर लाठीचार्ज किया और प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर किया। पुलिस ने चेतावनी दी कि अगर प्रदर्शनकारियों ने हिंसा की, तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। पुलिस की इस कार्रवाई से प्रदर्शनकारी और गुस्से में आ गए, और कुछ जगहों पर संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो गई।
संभाजी नगर से औरंगजेब की कब्र हटाने का मुद्दा महाराष्ट्र में एक नया विवाद बन चुका है। राजनेताओं के बीच तकरार, प्रदर्शनकारियों की हिंसक प्रतिक्रिया, और समाज में बढ़ती खाई इस मुद्दे को और जटिल बना रही है। इस मुद्दे को हल करने के लिए किसी ठोस और विचारशील कदम की आवश्यकता है ताकि समाज में शांति बनी रहे और किसी भी प्रकार की हिंसा को रोका जा सके।
