नागपुर हिंसा: फडणवीस का बयान और सियासी घमासान
नागपुर, 17 मार्च 2025: महाराष्ट्र के नागपुर में सोमवार रात को हुई हिंसा ने राज्य की सियासत को भी उबाल दिया है। घटना के बाद शहर में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया है, और इस हिंसा के कारण राजनीतिक बयानबाजी का सिलसिला भी तेज हो गया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के उस बयान ने विवाद पैदा कर दिया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि फिल्म छावा ने औरंगजेब के खिलाफ लोगों के गुस्से को भड़काया है। इस बयान की कड़ी आलोचना कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने की है।
फडणवीस ने हाल ही में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कहा था कि फिल्म छावा ने औरंगजेब के खिलाफ लोगों के गुस्से को और बढ़ावा दिया। उनका यह बयान उस हिंसा के संदर्भ में था, जो नागपुर में हुई थी। मुख्यमंत्री के इस बयान का तात्पर्य था कि फिल्म में दिखाई गई औरंगजेब के खिलाफ की गई बातें समाज में नफरत और तनाव को बढ़ा सकती हैं, जिससे ऐसे हिंसक घटनाएं होती हैं।
कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने फडणवीस के बयान की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री को ऐसे विवादित बयानों से बचना चाहिए था, जो समाज को और भी ज्यादा बांटते हैं। श्रीनेत ने कहा कि यह बयान केवल औरंगजेब जैसे ऐतिहासिक व्यक्तित्व पर नहीं बल्कि समाज के विभिन्न समुदायों के बीच तनाव पैदा करने का काम कर रहा है। उनका कहना था कि मुख्यमंत्री को अपने पद की गरिमा बनाए रखते हुए जिम्मेदार बयान देना चाहिए था, न कि समाज को और भी ज्यादा उकसाने का काम करना चाहिए था।
नागपुर में हुई हिंसा के बाद प्रशासन और राज्य सरकार पर सवाल उठने लगे हैं। घटनास्थल पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया है, लेकिन राज्य सरकार की ओर से अभी तक इस हिंसा के बारे में कोई स्पष्ट बयान नहीं आया है। कई मानवाधिकार संगठनों और राजनीतिक नेताओं ने राज्य सरकार से मांग की है कि हिंसा की न्यायिक जांच कराई जाए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
राज्य सरकार के खिलाफ यह आरोप भी लग रहे हैं कि यदि समय रहते इस प्रकार की उकसाने वाली बातें की जाती हैं, तो हिंसा जैसे घटनाएं बढ़ सकती हैं। यह समय है जब सभी राजनीतिक नेताओं को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए और ऐसे बयान देने से बचना चाहिए, जो समाज में और तनाव पैदा करें।
कांग्रेस पार्टी ने फडणवीस के बयान को पूरी तरह से गलत और समाज में विद्वेष फैलाने वाला बताया है। पार्टी के प्रवक्ताओं ने कहा कि यह बयान एकतरफा और भड़काऊ है, जो किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं किया जा सकता। कांग्रेस ने यह भी कहा कि राज्य में बढ़ती हिंसा और असमंजस की स्थिति के लिए केवल फिल्में और बयान नहीं, बल्कि सरकार की नाकामी भी जिम्मेदार है, जो समाज में शांति बनाए रखने में असफल रही है।
नागपुर हिंसा ने राज्य में शांति और कानून-व्यवस्था की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। कई क्षेत्रों में अब भी तनाव का माहौल बना हुआ है। यह घटना न केवल नागपुर के स्थानीय नागरिकों के लिए चिंता का कारण बनी है, बल्कि पूरे राज्य में इसके दूरगामी प्रभाव हो सकते हैं। खासकर, जब यह हिंसा विभिन्न धर्मों और समुदायों के बीच तनाव को बढ़ाने वाली हो सकती है, तो राज्य सरकार की भूमिका और अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है।
नागपुर की हिंसा ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि समाज में तनाव और हिंसा को बढ़ावा देने वाली किसी भी घटना या बयान का असर लंबे समय तक जारी रह सकता है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का बयान एक संवेदनशील मुद्दा बन चुका है, और इस पर राजनीति का गर्मा-गर्मी बढ़ने के बजाय इस बात पर ध्यान दिया जाना चाहिए कि ऐसे उकसाने वाले बयान समाज में और असहमति और हिंसा को बढ़ावा न दें। राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह ऐसे मामलों में तुरंत कार्रवाई करे और समाज में शांति बनाए रखने के लिए ठोस कदम उठाए।