नेपाल में इस समय राजशाही की वापसी को लेकर प्रदर्शन हो रहे हैं। पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाही के सैकड़ों समर्थकों ने राजधानी में पूर्व राजा के स्वागत में एक रैली का आयोजन किया था। इसी बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने भारत पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने दावा किया है कि भारत ने देश के राजशाही समर्थक आंदोलन में भूमिका निभाई है। साथ ही उन्होंने संसद में इसे उजागर करने की कसम खाई है।
ओली ने पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह को गिरफ़्तार करवाने की कसम खाई!
दरअसल तीन दिन पहले नेपाल की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी ‘नेपाल-UML’ की एक मीटिंग हुई थी। इस मीटिंग में पार्टी के वो सभी लोग मौजूद थे, जो वर्तमान सरकार में किसी पद को संभाल रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, इसी मीटिंग के दौरान केपी ओली ने राजशाही आंदोलन में भारत की कथित भूमिका और उसे एक्सपोज़ करने की बात कही। इस बारे में ओली की पार्टी के एक वरिष्ठ सदस्य ने मीडिया को जानकारी दी। बैठक में मौजूद यूएमएल के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि ओली ने पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह को गिरफ़्तार करवाने की कसम खाई है। पार्टी सदस्य ने ओली के हवाले से यह भी कहा कि वह बुधवार को संसद में भारत को नेपाल के राजशाही समर्थक आंदोलन में उसकी भूमिका के लिए बेनकाब करेंगे।
राजा ज्ञानेंद्र को जनता का मिल रहा समर्थन
इससे पहलेजब नेपाल के पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र शाह पोखरा प्रवास से काठमांडू लौटे थे तो उनके स्वागत में एयरपोर्ट पर हजारों लोगों की भीड़ जमा हुई थी। इन लोगों ने नारायणहिटी खाली गर, हाम्रो राजा आउंदै छन,’ यानी कि नारायणहिती (राजा का महल) खाली करो, हमारे राजा आ रहे हैं’ का नारा लगा रहे थे। 23 मार्च को भी पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह ने गोरखा के मनकामना मंदिर में पूजा-अर्चना की। साथ ही नुवाकोट में उनका भव्य स्वागत किया गया। नेपाल में राजनीतिक पार्टियां पूर्व में रही राजशाही के विरोध में उतर रही हैं। पूर्व राजा के खिलाफ देश की तीन सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टियां एक संयुक्त मोर्चा बनाकर मोर्चा खोले हुए हैं। हालांकि, इन तीनों पार्टियों में सबसे बड़ी साझेदार नेपाली कांग्रेस ने संयुक्त मोर्चा बनाने से इनकार कर दिया।
नेपाल के नागरिक समाज के नेताओं के एक समूह ने सोमवार को राजशाही बहाल करने की कोशिश के लिए पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह की कड़ी आलोचना की। उन्होंने ज्ञानेंद्र पर इसके लिए भारत के धार्मिक कट्टरपंथियों का समर्थन लेने का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि ज्ञानेंद्र भारत के राजनीतिक प्रतिष्ठानों से नेपाल में सिंहासन वापस पाने के लिए लॉबिंग कर रहे हैं। सिविल सोसायटी के इस बयान में उन्होंने दावा किया है कि ज्ञानेंद्र “नेपाल में गद्दी पर वापस आने के लिए भारत के राजनीतिक तत्वों की पैरवी ले रहे हैं। सिविल सोसायटी ने चेतावनी दी है कि भारत के हिंदुत्व कट्टरपंथियों के समर्थन से राजशाही में वापसी का कोई भी कदम नेपाल की संप्रभुता और स्वतंत्रता को कमजोर करता है। इसमें यह भी कहा गया है कि उत्तर प्रदेश के भाजपा मुख्यमंत्री आदित्यनाथ, जिन्होंने ज्ञानेंद्र की लखनऊ में कई यात्राओं की मेजबानी की है, ने “सार्वजनिक रूप से नेपाल में राजशाही की वापसी की इच्छा व्यक्त की है।
