अमेरिका-भारत टैरिफ विवाद: ट्रंप प्रशासन के रुख और भारत की रणनीति
भूमिका:
अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक संबंधों में हाल के वर्षों में टैरिफ (शुल्क) को लेकर कई उतार-चढ़ाव देखे गए हैं। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन के दौरान, अमेरिका ने विभिन्न देशों के साथ व्यापार संतुलन स्थापित करने के उद्देश्य से टैरिफ नीतियों में बदलाव किए, जिनका प्रभाव भारत पर भी पड़ा।
ट्रंप प्रशासन की टैरिफ नीतियां:
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने कार्यकाल में “पारस्परिक शुल्क” (reciprocal tariffs) की नीति अपनाई, जिसके तहत उन्होंने उन देशों पर टैरिफ लगाने की घोषणा की जो अमेरिकी उत्पादों पर उच्च शुल्क लगाते थे। उन्होंने विशेष रूप से भारत का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत अमेरिकी उत्पादों पर 100% तक शुल्क लगाता है, जो अमेरिका के लिए अनुचित है। ट्रंप ने चेतावनी दी कि यदि भारत ने अपने टैरिफ नहीं घटाए, तो अमेरिका 2 अप्रैल से भारत पर समान शुल्क लगाएगा।
भारत की प्रतिक्रिया और रणनीति:
भारत ने अमेरिकी टैरिफ से बचने और व्यापारिक संबंधों को संतुलित करने के लिए कई कदम उठाए
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टैरिफ में कटौती का प्रस्ताव: भारत ने अमेरिका से आयातित 23 अरब डॉलर मूल्य के 55% उत्पादों पर टैरिफ में कटौती करने का प्रस्ताव दिया। इसका उद्देश्य 2 अप्रैल से लागू होने वाले अमेरिकी प्रतिकूल शुल्कों से अपने 66 अरब डॉलर के निर्यात को सुरक्षित रखना था।
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डिजिटल सेवा कर (Google Tax) हटाना: भारत सरकार ने 1 अप्रैल से ऑनलाइन विज्ञापन सेवाओं पर लगने वाले 6% की इक्वलाइजेशन लेवी, जिसे ‘Google Tax’ कहा जाता है, को हटाने का निर्णय लिया। यह कदम अमेरिकी तकनीकी कंपनियों को राहत देने और व्यापार वार्ता में सकारात्मक संकेत देने के लिए उठाया गया।
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व्यापार वार्ता और समझौते: भारत और अमेरिका ने द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत शुरू की, जिसमें बाजार पहुंच बढ़ाने, टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं को कम करने, और सप्लाई चेन इंटीग्रेशन को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
परिणाम और वर्तमान स्थिति:
इन प्रयासों के बावजूद, ट्रंप प्रशासन ने 2 अप्रैल से आयातित कारों और ऑटो पार्ट्स पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की, जिसे उन्होंने ‘मुक्ति दिवस’ (Liberation Day) कहा। इस निर्णय का उद्देश्य अमेरिकी ऑटोमोबाइल उद्योग की रक्षा करना और विदेशी कंपनियों को अमेरिका में उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करना था।
हालांकि, ट्रंप प्रशासन ने संकेत दिए कि भारत के साथ अमेरिका के संबंध चीन या कनाडा जैसे अन्य देशों से अलग हैं, और भारत को कुछ रियायतें मिल सकती हैं। इसके बावजूद, भारत को टैरिफ से पूर्ण राहत मिलने की संभावना कम आंकी गई।
अमेरिका और भारत के बीच टैरिफ को लेकर गतिरोध ने दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों को प्रभावित किया। ट्रंप प्रशासन की ‘पारस्परिक शुल्क’ नीति के तहत, भारत ने अपने टैरिफ में कटौती और अन्य रियायतों के माध्यम से समाधान खोजने का प्रयास किया। हालांकि, पूर्ण समाधान न निकल पाने के कारण, यह विवाद दोनों देशों के आर्थिक हितों और कूटनीतिक संबंधों पर प्रभाव डालता रहा।
