संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण अपने अंतिम दिनों में है और इसी बीच सरकार वक्फ संशोधन बिल(Waqf Bill) को पेश करने की तैयारी कर रही है। माना जा रहा है कि वक्फ संशोधन बिल(Waqf Bill) को 2 अप्रैल को संसद में पेश किया जा सकता है। सरकार पहले लोकसभा में बिल पेश करेगी। सत्र 4 अप्रैल तक चलेगा। वक्फ बिल(Waqf Bill) को लेकर सत्ताधारी दल और विपक्षी दलों के बीच मतभेद पहले से ही स्पष्ट हैं। सरकार जहां इसे आवश्यक सुधार की दिशा में एक कदम मान रही है, वहीं विपक्षी दल इसे लेकर अपनी असहमति जाहिर कर चुके हैं। अब देखना यह होगा कि सरकार किस तरह से इस बिल को संसद से पारित कराने में सफल होती है।
सदन में किस पलड़ा भारी, क्या है गणति?
- लोसकभा का गणित- लोकसभा में वर्तमान में 542 सदस्य उपस्थित हैं, जिनमें से 240 सदस्य भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के हैं, जिससे यह पार्टी सबसे बड़ी बनकर उभरी है। बीजेपी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के पास कुल 293 सांसद हैं, जो बहुमत में हैं। यह संख्या 272 के आवश्यक आंकड़े से अधिक है, जो किसी भी विधेयक को पारित कराने के लिए आवश्यक होता है। विपक्ष के संदर्भ में, कांग्रेस के पास 99 सांसद हैं। इंडिया ब्लॉक में शामिल सभी दलों की कुल संख्या 233 है, जो बहुमत से कम है. इसके अतिरिक्त, आजाद समाज पार्टी के एडवोकेट चंद्रशेखर और शिरोमणि अकाली दल की हरसिमरत कौर बादल जैसी कुछ पार्टियां हैं, जो न तो एनडीए का हिस्सा हैं और न ही इंडिया ब्लॉक का. इसके साथ ही, कुछ निर्दलीय सांसद भी हैं, जो किसी गठबंधन के साथ स्पष्ट रूप से नहीं जुड़े हुए हैं।
- राज्यसभा का गणित- राज्यसभा में कुल 236 सदस्य उपस्थित हैं, जिनमें से 98 सदस्य भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के हैं. यदि गठबंधनों की स्थिति पर गौर करें, तो राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के पास लगभग 115 सांसद हैं। इसके अतिरिक्त, 6 मनोनीत सदस्य भी हैं, जो प्रायः सरकार के पक्ष में मतदान करते हैं। इन सभी को मिलाकर एनडीए की कुल संख्या 121 हो जाती है, जो किसी भी विधेयक को पारित कराने के लिए आवश्यक 119 के आंकड़े से दो अधिक है। विपक्ष की स्थिति पर गौर करें तो कांग्रेस के पास 27 सांसद हैं, जबकि इंडिया ब्लॉक के अन्य दलों के 58 सदस्य हैं। इस प्रकार, विपक्ष के कुल सांसदों की संख्या 85 है. इसके अतिरिक्त, वाईएसआर कांग्रेस के 9, बीजेडी के 7 और एआईएडीएमके के 4 सदस्य राज्यसभा में उपस्थित हैं. कुछ छोटे दलों और निर्दलीय मिलाकर 3 सदस्य ऐसे हैं, जो न तो सत्ताधारी NDA का हिस्सा हैं और न ही विपक्षी इंडिया ब्लॉक में शामिल हैं।
क्या है वक्फ एक्ट जिसमें संसोधन की है तैयारी
संसद ने 1954 में बनाया था वक्फ एक्ट (Waqf Bill)वक्फ में मिलने वाली जमीन या संपत्ति की देखरेख के लिए कानूनी तौर पर एक संस्था बनी, जिसे वक्फ बोर्ड(Waqf Board) कहते हैं। 1947 में देश का बंटवारा हुआ तो काफी संख्या में मुस्लिम देश छोड़कर पाकिस्तान गए थे। वहीं, पाकिस्तान से काफी सारे हिंदू लोग भारत आए थे। 1954 में संसद ने वक्फ एक्ट(Waqf Act) 1954 के नाम से कानून बनाया। इस तरह पाकिस्तान जाने वाले लोगों की जमीनों और संपत्तियों का मालिकाना हक इस कानून के जरिए वक्फ बोर्ड को दे दिया गया। 1955 में यानी कानून लागू होने के एक साल बाद, इस कानून में संशोधन कर हर राज्यों में वक्फ बोर्ड बनाए जाने की बात कही गई। इस वक्त देश में अलग-अलग प्रदेशों के करीब 32 वक्फ बोर्ड हैं, जो वक्फ की संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन, देखरेख और मैनेजमेंट करते हैं। बिहार समेत कई प्रदेशों में शिया और सुन्नी मुस्लिमों के लिए अलग-अलग वक्फ बोर्ड हैं। वक्फ बोर्ड का काम वक्फ की कुल आमदनी कितनी है और इसके पैसे से किसका भला किया गया, उसका पूरा लेखा-जोखा रखना होता है। इसके पास किसी जमीन या संपत्ति को लेने और दूसरों के नाम पर ट्रांसफर करने का कानूनी अधिकार है। बोर्ड किसी व्यक्ति के खिलाफ कानूनी नोटिस भी जारी कर सकता है। किसी ट्रस्ट से ज्यादा पावर वक्फ बोर्ड के पास होती है।
