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ट्रंप के टैरिफ से चीन में हड़कंप:जिनपिंग के एक्सपोर्टर्स बीच समंदर में माल छोड़कर भाग रहे हैं

ट्रंप के टैरिफ से चीन में हड़कंप: बीच समंदर में माल छोड़कर भाग रहे हैं जिनपिंग के एक्सपोर्टर्स

चीन और अमेरिका के बीच व्यापारिक संघर्ष में एक नया मोड़ आया है, जब अमेरिका ने चीन के उत्पादों पर भारी टैरिफ (शुल्क) लगाना शुरू किया। यह टैरिफ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शासनकाल में लागू किए गए थे, और इनका असर न सिर्फ चीन के व्यापारियों, बल्कि पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ा है। विशेषकर, चीन के एक्सपोर्टर्स की स्थिति बहुत ही तनावपूर्ण हो गई है, जिससे न केवल चीन की घरेलू अर्थव्यवस्था प्रभावित हो रही है, बल्कि दुनिया भर के व्यापार पर भी इसका असर दिखाई दे रहा है।

1. ट्रंप के टैरिफ का प्रारंभ

डोनाल्ड ट्रंप ने 2018 में अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध की शुरुआत की थी, जब उन्होंने चीन के उत्पादों पर भारी टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। इस कदम का उद्देश्य था चीन के खिलाफ अमेरिका के व्यापार घाटे को कम करना और चीन से हो रहे व्यापारिक अनुशासनहीनता को नियंत्रित करना। ट्रंप का दावा था कि चीन अमेरिका के व्यापारिक अधिकारों का उल्लंघन कर रहा है, जैसे कि बौद्धिक संपत्ति अधिकारों की चोरी, विदेशी कंपनियों से टेक्नोलॉजी का बलात्कारी तरीका से हस्तांतरण, और बाजार में समान प्रतिस्पर्धा नहीं देना।

टैरिफ का लक्ष्य चीन के 500 बिलियन डॉलर से अधिक के निर्यात पर शुल्क लगाना था, जो अमेरिका के बाजार में आ रहे थे। ट्रंप ने कई चीनी उत्पादों पर 25% से लेकर 30% तक टैरिफ लगाया। इसके परिणामस्वरूप, चीनी उत्पाद महंगे हो गए और अमेरिकी उपभोक्ताओं को इन वस्तुओं की उच्च कीमतों का सामना करना पड़ा।

2. चीन के एक्सपोर्टर्स की मुश्किलें

चीन के एक्सपोर्टर्स ने इस टैरिफ के कारण भारी नुकसान उठाया। पहले ही उत्पादों की प्रतिस्पर्धी कीमतें अमेरिका में चीनी माल की बढ़ती मांग को आकर्षित करती थीं, लेकिन टैरिफ लगने से उनकी कीमतें बढ़ गईं, जिससे इन उत्पादों की बिक्री में गिरावट आई।

एक्सपोर्टर्स ने कई बार विरोध किया और मांग की कि चीन सरकार इस मुद्दे का हल निकाले, लेकिन इसके बावजूद अमेरिकी टैरिफ की नीति जारी रही। कई छोटे और मंझले आकार के चीनी एक्सपोर्टर्स ने तो अपना व्यापार बंद कर दिया, जबकि कुछ बड़े उद्योगों ने व्यापार की रणनीतियों में बदलाव किया, जैसे कि माल को दूसरे देशों में भेजकर इन टैरिफ से बचने की कोशिश की।

3. समंदर में माल छोड़ने की घटना

चीन के लिए सबसे बड़ी परेशानी तब आई जब उनकी उत्पादों के लिए अंतरराष्ट्रीय मांग में गिरावट आनी शुरू हो गई। कुछ रिपोर्ट्स में यह बताया गया कि कई जहाजों पर लादे गए माल को समुद्र में छोड़ने की घटना सामने आई। चीन के एक्सपोर्टर्स ने समुद्र में अपने माल को छोड़कर उन जहाजों को वापस भेजने का निर्णय लिया। इसका कारण यह था कि अमेरिका में माल पहुंचने पर वहां की बढ़ी हुई टैरिफ दरों के कारण ये उत्पाद महंगे हो जाते थे, जिससे बिक्री में भारी गिरावट हो रही थी।

चीन के समुद्री मार्गों पर यह स्थिति चिंताजनक थी, क्योंकि एक्सपोर्टर्स के लिए माल का भुगतान और वितरण करना और भी मुश्किल हो गया था। इससे न केवल व्यापारियों को नुकसान हुआ, बल्कि चीन की अर्थव्यवस्था पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ा।

4. चीन की प्रतिक्रिया और रणनीति में बदलाव

चीन ने इस संकट से निपटने के लिए कई कदम उठाए। एक तरफ तो उसने अमेरिका से व्यापारिक तनाव को कम करने के प्रयास किए, वहीं दूसरी तरफ उसने अपनी घरेलू अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए विभिन्न उपायों पर भी ध्यान दिया। चीन ने अपनी मुद्रा, युआन, के मूल्य में गिरावट करने की कोशिश की ताकि उसके उत्पादों को वैश्विक बाजार में और सस्ता और आकर्षक बनाया जा सके। इसके अलावा, चीन ने अपने निर्यात को अन्य देशों, जैसे कि भारत, यूरोप, और दक्षिण-पूर्व एशिया में बढ़ाने का प्रयास किया।

5. वैश्विक व्यापार पर प्रभाव

ट्रंप के टैरिफ न केवल चीन बल्कि पूरी दुनिया के व्यापार पर असर डाल रहे थे। चीन का अमेरिका के साथ व्यापार बहुत बड़ा था, और जब इस पर टैरिफ लगाए गए, तो न केवल चीनी एक्सपोर्टर्स को नुकसान हुआ, बल्कि अमेरिकी उपभोक्ताओं को भी महंगे उत्पादों का सामना करना पड़ा। इसके साथ ही, अन्य देशों के उत्पादों को भी चीन के बाजार में प्रवेश करने में दिक्कतें आईं। इसका असर वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं पर पड़ा और उत्पादन की लागत बढ़ी, जिससे कई कंपनियों को अपनी रणनीतियों में बदलाव करना पड़ा।

6. अमेरिका और चीन के बीच समझौता

हालांकि, ट्रंप के राष्ट्रपति रहते हुए व्यापार युद्ध जारी रहा, लेकिन 2020 के अंत में अमेरिका और चीन के बीच “फेज़ 1” व्यापार समझौता हुआ। इस समझौते के तहत चीन ने अमेरिका से कृषि उत्पादों की खरीदारी बढ़ाने का वादा किया और कुछ व्यापारिक विवादों को सुलझाने की दिशा में कदम उठाए। हालांकि, यह समझौता पूर्ण समाधान नहीं था, लेकिन इससे कुछ राहत मिली और व्यापार में थोड़ी बहुत स्थिरता आई।

चीन में ट्रंप के टैरिफ ने जिस तरह से व्यापारियों को परेशान किया और समुद्र में माल छोड़ने जैसी घटनाएं हुईं, उसने वैश्विक व्यापार के प्रति चीन की स्थिति को कमजोर किया। हालांकि चीन ने इस संकट से निपटने के लिए कई रणनीतियां अपनाई, लेकिन यह स्पष्ट है कि व्यापार युद्ध का असर अभी भी जारी है और चीन को भविष्य में और भी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।

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Author: newsviewss

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