क्या राणा को मौत की सजा मिलेगी? भारतीय कानून के तहत उसे फांसी की सजा दी जा सकती है
तहव्वुर राणा और 26/11: क्या मिलेगा इंसाफ?
भूमिका
26/11 का हमला भारतीय इतिहास की सबसे भयानक आतंकी घटनाओं में से एक है। मुंबई पर हुए इस हमले में 166 लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हुए। इस आतंकी हमले का मास्टरमाइंड था डेविड कोलमैन हेडली, और उसके करीबी सहयोगी के रूप में नाम सामने आया तहव्वुर हुसैन राणा का। अब जब अमेरिका ने राणा के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है, सवाल उठता है – क्या राणा को मौत की सजा मिलेगी?
तहव्वुर राणा कौन है?
तहव्वुर राणा एक पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है, जो अमेरिका में रह रहा था। वह सेना में डॉक्टर रह चुका है और बाद में शिकागो में एक इमीग्रेशन सर्विस कंपनी चलाता था। यहीं से हेडली और राणा की गहरी दोस्ती शुरू हुई।
हेडली और राणा की जोड़ी
डेविड हेडली ने मुंबई हमलों से पहले भारत में कई बार यात्रा की, जहां उसने आतंकी हमले के लिए रेकी की। इन यात्राओं में राणा की कंपनी के फर्जी पहचानपत्रों और दस्तावेजों का इस्तेमाल किया गया। यह दावा किया गया कि राणा को हेडली की गतिविधियों की पूरी जानकारी थी।
भारत का आरोप
भारत सरकार का मानना है कि राणा को:
- हेडली की आतंकी गतिविधियों की जानकारी थी
- उसने इन गतिविधियों में सहयोग किया
- और वह खुद भी लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठन से सहानुभूति रखता था
पूर्व गृह सचिव गोपाल कृष्ण पिल्लई ने हाल ही में कहा कि राणा को सब कुछ पता था, और भारत में पूछताछ के बाद और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं।
अमेरिका की भूमिका
अमेरिका में राणा पर पहले से ही साजिश रचने और आतंकवाद में मदद के आरोप लगे थे, लेकिन उसे सीधे 26/11 में दोषी नहीं ठहराया गया था। हालांकि अब भारत के सबूतों और अनुरोधों के बाद, अमेरिकी अदालत ने प्रत्यर्पण की मंजूरी दे दी है।
क्या राणा को मौत की सजा मिलेगी?
यह सवाल अब सबके मन में है। यदि भारत में राणा पर मुकदमा चलता है और 26/11 हमले में उसकी भूमिका साबित होती है, तो:
- भारतीय कानून के तहत उसे फांसी की सजा दी जा सकती है
- लेकिन अमेरिका से प्रत्यर्पण कुछ शर्तों पर हुआ है, जिसमें मौत की सजा न देना शामिल हो सकता है
- इसलिए भारत को यह भी देखना होगा कि क्या अमेरिका के साथ कोई कानूनी सहमति हुई है या नहीं
तहव्वुर राणा की भारत में पेशी से बहुत से रहस्य सामने आ सकते हैं – हेडली से उसका संबंध, लश्कर के साथ उसकी भूमिका और पाकिस्तान की मिलीभगत। अगर न्यायिक प्रक्रिया में वह दोषी साबित होता है, तो यह 26/11 के पीड़ितों के लिए एक बड़ी जीत होगी।
