शी जिनपिंग की EU से अपील: ट्रंप की टैरिफ ‘दादागीरी’ के खिलाफ वैश्विक एकजुटता की पुकार
विश्व राजनीति और व्यापार जगत में एक बार फिर हलचल मच गई है जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीनी उत्पादों पर 145% तक के टैरिफ लगाने की बात कही। इस बयान के बाद चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने यूरोपीय संघ (EU) से एक विशेष अपील की है—वह अमेरिका की ‘एकतरफा दादागीरी’ के खिलाफ एकजुट होकर खड़ा हो। यह अपील न केवल व्यापारिक संघर्ष को दर्शाती है, बल्कि बदलते वैश्विक समीकरणों की भी एक झलक देती है।
ट्रंप का टैरिफ कार्ड: अमेरिका फर्स्ट या वैश्विक टकराव?
डोनाल्ड ट्रंप का “अमेरिका फर्स्ट” एजेंडा कोई नई बात नहीं है। पहले भी उनके कार्यकाल में उन्होंने चीन पर कई तरह के प्रतिबंध और भारी टैरिफ लगाए थे। अब, 145% टैरिफ की बात कर उन्होंने यह संकेत दे दिया है कि अगर वह फिर से सत्ता में आते हैं, तो चीन-अमेरिका व्यापार युद्ध और उग्र रूप ले सकता है। इस कदम से न केवल चीनी अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा, बल्कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाएं भी प्रभावित होंगी।
शी जिनपिंग की EU से अपील: एकजुटता या रणनीति?
शी जिनपिंग की यह अपील सिर्फ एक औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं है, बल्कि एक रणनीतिक चाल भी है। वह जानते हैं कि अमेरिका-चीन की खींचतान में यूरोपीय संघ एक ‘झूलते हुए’ खिलाड़ी की तरह है।
अगर EU अमेरिका की ओर झुकता है, तो चीन के लिए मुश्किलें बढ़ेंगी। लेकिन अगर EU चीन के साथ सहयोग करता है या न्यूट्रल रहता है, तो अमेरिका को वैश्विक मंच पर अकेले पड़ने की नौबत आ सकती है।
चीनी राष्ट्रपति ने EU से कहा,
“यह समय है जब हम मिलकर एकतरफा निर्णयों के खिलाफ आवाज उठाएं। टैरिफ के नाम पर दादागीरी स्वीकार नहीं की जा सकती।”
यह बयान यह संकेत देता है कि चीन अब केवल बचाव नहीं, बल्कि प्रतिरोध की रणनीति अपना रहा है।
यूरोपीय संघ की स्थिति: धर्मसंकट में फंसा साथी
EU के लिए यह स्थिति आसान नहीं है। एक ओर अमेरिका उसका पारंपरिक सहयोगी है, वहीं दूसरी ओर चीन एक प्रमुख व्यापारिक भागीदार है। EU को अपने आर्थिक हितों, राजनीतिक स्थिरता और वैश्विक छवि—तीनों का संतुलन साधना होगा।
कुछ यूरोपीय राष्ट्रों की चीन के साथ गहरी व्यापारिक साझेदारी है (जैसे जर्मनी की ऑटो इंडस्ट्री), वहीं अमेरिका के साथ भी उनकी सुरक्षा और कूटनीतिक साझेदारी दशकों पुरानी है।
टैरिफ की ‘दादागीरी’: वैश्विक व्यापार पर संभावित असर
यदि ट्रंप वाकई 145% टैरिफ लागू करते हैं, तो यह इन संभावनाओं को जन्म देगा:
- चीन से अमेरिका को होने वाले निर्यात में भारी गिरावट।
- चीनी कंपनियों को वैकल्पिक बाजार खोजने की जरूरत।
- EU और एशियाई देशों के लिए नए अवसर और चुनौतियां।
- महंगाई और वस्तुओं की कीमतों में अस्थिरता।
- वैश्विक व्यापार संगठन (WTO) की भूमिका पर सवाल।
शी जिनपिंग की EU से की गई यह अपील केवल अमेरिका के खिलाफ एक प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि वैश्विक नेतृत्व के लिए एक नई लड़ाई का संकेत है।
दुनिया एक ऐसे मोड़ पर है जहाँ हर राष्ट्र को तय करना है कि वह दादागीरी के खिलाफ खड़ा होता है या चुपचाप सहमति देता है।
आने वाले समय में EU क्या रुख अपनाता है, यह केवल व्यापार की दिशा नहीं, बल्कि वैश्विक शक्ति संतुलन को भी तय करेगा। एक बात तय है—दुनिया अब पुरानी राहों पर नहीं चलेगी, और हर निर्णय वैश्विक राजनीति की नई इबारत लिखेगा।
आपका क्या मत है? क्या EU को चीन का साथ देना चाहिए या अमेरिका की नीतियों का समर्थन करना चाहिए? कमेंट करके बताइए!
