तहव्वुर हुसैन राणा NIA की पूछताछ में बार बार झूट बोल रहा हैं! NIA का अब नया एक्शन
**भारत को दहला देने वाले 26/11 मुंबई आतंकी हमले को एक दशक से ज्यादा समय बीत गया है, लेकिन इसकी परछाई अब भी सुरक्षा एजेंसियों की प्राथमिकता बनी हुई है। इस हमले में शामिल एक अहम साजिशकर्ता तहव्वुर राणा एक बार फिर जांच एजेंसियों के निशाने पर है।**
🧨 **26/11: इतिहास का वो काला दिन**
26 नवम्बर 2008 की रात जब पूरा भारत अपने काम में व्यस्त था, तभी समुद्र के रास्ते आए दस पाकिस्तानी आतंकवादियों ने मुंबई को खून से रंग दिया। ताज होटल, ओबेरॉय, लियोपोल्ड कैफे, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस और नरीमन हाउस जैसे प्रतिष्ठित स्थान निशाने पर थे। इस हमले में 166 लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हुए।
इस हमले की साजिश पाकिस्तान में रची गई थी, लेकिन इसमें कई विदेशी नागरिकों और एजेंटों की भूमिका भी उजागर हुई – जिनमें से एक नाम था **तहव्वुर हुसैन राणा**।
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🕵️♀️ **कौन है तहव्वुर राणा?**
तहव्वुर राणा एक पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है, जो पहले आर्मी डॉक्टर था और बाद में अमेरिका में मेडिकल वीजा सर्विस एजेंसी चलाता था। राणा, **डेविड हेडली** का करीबी था – वही हेडली जिसने मुंबई हमलों की रेकी की थी और सारी इनसाइड जानकारी लश्कर-ए-तैयबा तक पहुँचाई थी।
हेडली ने अमेरिकी अदालत में राणा के खिलाफ गवाही दी थी कि उसने राणा की मदद से भारत में यात्रा की और हमले की योजना को अंजाम देने में उसे सहयोग मिला।
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### 🧾 **NIA की नई रणनीति: झूठ पकड़ा जाएगा सबूत से**
अब जबकि तहव्वुर राणा अमेरिका में बंद है और भारत उसके प्रत्यर्पण की कोशिश में जुटा है, **NIA (राष्ट्रीय जांच एजेंसी)** ने एक नई रणनीति अपनाई है। सूत्रों के मुताबिक, राणा लगातार पूछताछ में **झूठ बोल रहा है**, अपने जुर्म से मुकर रहा है, और जांच में सहयोग नहीं कर रहा।
इसलिए अब **NIA ने राणा के वॉयस सैंपल और हैंडराइटिंग सैंपल लेने की तैयारी शुरू कर दी है**। ये सैंपल उसके पूर्व संवादों, दस्तावेज़ों और ऑडियो क्लिप्स से मिलान कराए जाएंगे, जिससे यह पुष्टि की जा सके कि हमले की योजना में उसका प्रत्यक्ष योगदान था।
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🧬 **वॉयस और हैंडराइटिंग सैंपल क्यों हैं महत्वपूर्ण?**
1. **वॉयस एनालिसिस**: राणा की किसी बातचीत की रिकॉर्डिंग अगर उपलब्ध है, तो वॉयस सैंपल से यह पुष्टि की जा सकती है कि बातचीत उसी ने की थी।
2. **हैंडराइटिंग मिलान**: अगर किसी दस्तावेज़ या चिट्ठी में राणा की हैंडराइटिंग पाई जाती है, तो यह कानूनी तौर पर बेहद मजबूत सबूत बन सकता है।
इन साक्ष्यों के आधार पर भारत अमेरिकी अदालत में उसके प्रत्यर्पण की मजबूत दलील दे सकेगा।
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⚖️ **क्या होगा अगला कदम?**
अगर अमेरिका की अदालत भारत के सबूतों को मजबूत मानती है, तो तहव्वुर राणा को भारत भेजने की अनुमति मिल सकती है। इसके बाद वह मुंबई हमलों के मामले में सीधे NIA और भारतीय अदालत के सामने पेश किया जाएगा।
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🔍 **निष्कर्ष: न्याय की ओर एक और कदम**
26/11 के ज़ख्म भुलाए नहीं जा सकते। उस रात जिन परिवारों ने अपने प्रियजनों को खोया, उनके लिए **हर साजिशकर्ता का न्याय के कटघरे में आना जरूरी है**। तहव्वुर राणा की भूमिका अगर साबित होती है, तो यह भारत के लिए न सिर्फ न्याय की जीत होगी, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ एक सशक्त संदेश भी।
