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नेशनल हेराल्ड मामला: अखिलेश यादव का बड़ा बयान – ‘कांग्रेस ने ही बनाई थी ईडी, अब इस विभाग को खत्म कर देना चाहिए’

नेशनल हेराल्ड मामला: अखिलेश यादव का बड़ा बयान – ‘कांग्रेस ने ही बनाई थी ईडी, अब इस विभाग को खत्म कर देना चाहिए’

भारत की राजनीति में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) एक ऐसा नाम बन चुका है, जो अक्सर चर्चा में रहता है — खासतौर पर जब बात विपक्षी नेताओं की जांच की हो। हाल ही में समाजवादी पार्टी के प्रमुख और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक बड़ा बयान देते हुए ईडी को लेकर कांग्रेस पर ही सवाल खड़ा कर दिया। उन्होंने कहा कि ‘कांग्रेस ने ही ईडी बनाई थी, अब इस विभाग को खत्म कर देना चाहिए।’

🔍 क्या है नेशनल हेराल्ड मामला?

नेशनल हेराल्ड मामला एक कथित वित्तीय धोखाधड़ी से जुड़ा मामला है, जिसमें कांग्रेस पार्टी के कई बड़े नेता शामिल बताए जाते हैं। प्रवर्तन निदेशालय इस केस की जांच कर रही है, और इसी सिलसिले में राहुल गांधी और सोनिया गांधी से भी पूछताछ हो चुकी है।

हालांकि कांग्रेस इस जांच को ‘राजनीतिक बदले की भावना’ से प्रेरित बताती रही है।

🗣️ अखिलेश यादव का बयान क्यों महत्वपूर्ण है?

अखिलेश यादव ने जिस तरह से कांग्रेस पर निशाना साधते हुए ईडी को खत्म करने की बात कही, वह सिर्फ भाजपा सरकार पर हमला नहीं बल्कि एक तरह से कांग्रेस की नीतियों पर भी सवाल है। उनका कहना है कि जो विभाग आज विपक्ष के नेताओं को परेशान कर रहा है, उसकी नींव खुद कांग्रेस ने रखी थी।

यह बयान ऐसे समय आया है जब विपक्षी गठबंधन ‘INDIA’ सरकार के खिलाफ एकजुट होने की कोशिश कर रहा है। ऐसे में अखिलेश का यह तंज कांग्रेस के लिए असहज स्थिति पैदा कर सकता है।

🔸 अखिलेश यादव की प्रतिक्रिया

इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए अखिलेश यादव ने कहा:

“ईडी का इस्तेमाल अब राजनीति के हथियार के रूप में हो रहा है। विपक्ष को डराने और दबाने के लिए संस्थाओं का दुरुपयोग हो रहा है। यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।”

उन्होंने यह भी जोड़ा कि जो संस्थाएं निष्पक्ष रहनी चाहिए थीं, वे अब सत्ता के इशारे पर काम कर रही हैं।

🔍 क्या कहती है विपक्ष?

कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष इस कार्रवाई को राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित बता रहा है। विपक्षी गठबंधन ‘INDIA’ के कई नेता खुलकर इस चार्जशीट का विरोध कर रहे हैं और कह रहे हैं कि सरकार अपने विरोधियों को झूठे मामलों में फंसा रही है।

📌 क्या ईडी वाकई में राजनीति का हथियार बन चुका है?

पिछले कुछ वर्षों में ईडी की छापेमारी और जांच अधिकतर विपक्षी नेताओं तक सीमित रही है, जिससे यह धारणा बनी है कि इस संस्था का दुरुपयोग हो रहा है। सरकार हालांकि इन आरोपों को खारिज करती है और कहती है कि एजेंसियाँ अपना काम कर रही हैं।

🔄 क्या ईडी को खत्म किया जा सकता है?

ईडी एक संवैधानिक संस्था नहीं बल्कि एक क़ानूनी संस्था है, जिसे प्रवर्तन निदेशालय अधिनियम के तहत बनाया गया है। इसे खत्म करना संभव है, लेकिन इसके लिए संसद में बहुमत और राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत होगी।

अखिलेश यादव का बयान सिर्फ एक राजनीतिक प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि यह एक बहस को जन्म देता है – क्या जांच एजेंसियाँ निष्पक्ष रह पाती हैं? क्या राजनीतिक दल सत्ता में रहते हुए ऐसी संस्थाओं का दुरुपयोग करते हैं? और क्या अब समय आ गया है कि इन संस्थाओं की भूमिका और पारदर्शिता पर खुलकर चर्चा हो?

जो भी हो, यह स्पष्ट है कि 2024 के बाद देश की राजनीति और एजेंसियों की भूमिका को लेकर सवाल और तीखे होते जा रहे हैं।


 

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Author: newsviewss

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