Pahalgam Terror Attack: पहलगाम में आतंकियों ने 22 अप्रैल 2025 को निहत्थे पर्यटकों पर हमला कर दिया। जिसमें 27 लोगों की जान जा चुकी है और कई घायल हैं। इस हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा की सहयोगी इकाई TRF ने ली है। इस बीच पहलगाम आतंकी हमले पर बड़ा खुलासा हुआ है-आर्मी सूत्रों के मुताबिक लश्कर का टॉप कमांडर सैफुल्लाह खालिद पहलगाम आतंकी हमले का मास्टरमाइंड है और सैफुल्लाह ने ही इस आतंकी हमले की साजिश रची थी। सैफुल्लाह पिछले दो महीने से इस हमले की प्लानिंग में जुटा था और इस सिलसिले में उसने दो बार पाकिस्तानी आर्मी कैंप का दौरा किया था।
सैफुल्लाह खालिद को पाकिस्तानी सेना का आशीर्वाद
मीडिय रिपोर्ट्स की मानें तो लश्कर-ए-तैयबा का डिप्टी चीफ सैफुल्लाह खालिद ही पहलगाम आतंकी हमले(Pahalgam Terror Attack) का मास्टरमाइंड है। उसे सैफुल्लाह कसूरी के नाम से भी जाना जाता है। कसूरी भारत के सबसे बड़ी दुश्मन हाफीज सईद का करीबी भी माना जाता है। इसका भारत के कई बड़े आतंकी हमले में नाम आ चुका है। इसे लग्जरी गाड़ियों का शौक है और हमेशा अत्याधुनिक हथियारों से लैस लोगों के साथ चलता है। कसूरी का पाकिस्तान में दबदबा है और इस बात का अंदाजा ऐसे लगाया जा सकता है कि पाकिस्तानी सेना के अधिकारी उसकी खिदमत के लिए तैयार रहते हैं। ऐसा भी दावा किया जाता है कि वह अक्सर पाकिस्तानी सेना के जवानों को उकसाता रहता है। दो महीने पहले उसने पाकिस्तानी पंजाब के कंगनपुर में पाकिस्तानी सेना के बटालियन में भड़काऊ भाषण दिया था, जिसके बाद पाकिस्तानी सेना के अफसरों ने उसपर फूल बरसाए थे। पहलगाम में हुए आतंकी हमले से करीब दो महीने पहले सैफुल्लाह खालिद पाकिस्तान के पंजाब के कंगनपुर पहुंचा था। यहां पाकिस्तानी सेना की एक बड़ी बटालियन रहती है।
अचानक कैसे खड़ा हो गया आतंकी संगठन TRF?
‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ यानी टीआरएफ एक नया आतंकी संगठन है, जो जम्मू-कश्मीर में आतंक फैलाने के मकसद से बनाया गया था। इसका गठन साल 2019 में हुआ था। इसे बनाने का मकसद यही था कि लश्कर जैसे पुराने आतंकी संगठनों को एक नया चेहरा दिया जा सके ताकि पाकिस्तान का नाम सीधे तौर पर ऐसे हमलों में सामने न आए। बता दें कि इस आतंकी संगठन को बनाने में लश्कर-ए-तैयबा और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का सीधा रोल रहा है। उनकी मदद से ही ऐसा खूंखार संगठन बनाया गया है। जानकारी के अनुसार टीआरएफ एक ऑनलाइन यूनिट के तौर पर शुरू हुआ और अब धीरे-धीरे घाटी में भी एक्टिव हो गया है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का जमकर इस्तेमाल करता है TRF
टीआरएफ जम्मू-कश्मीर का माहौल बिगाड़ने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का जमकर इस्तेमाल करता रहा है। इसलिए इसे फेसलेस और तकनीक प्रेमी आतंकी संगठन माना जाता है। अपने संदेशों को सोशल मीडिया के जरिए फैलाकर यह जम्मू-कश्मीर के लोगों को सत्ता के खिलाफ भड़काता है और आतंकवादी संगठनों में लोगों को शामिल होने के लिए उकसाता है। यही नहीं, टीआरएफ की रणनीति भी पहले के आतंकी संगठनों से अलग है। इस संगठन में फिदायीन हमलावर तैयार नहीं किए जाते। इसके सदस्यों की तस्वीरें भी आसानी से उपलब्ध नहीं हैं। ये सभी आतंकी जमीनी कार्यकर्ताओं का व्यापक नेटवर्क तैयार करते हैं और उनके जरिए आसान टारगेट बनाते हैं. इस संगठन के सदस्यों में ऐसे युवाओं को शामिल किया गया है, जो सुरक्षा बलों के रडार पर हैं ही नहीं। इसके कारण उनका पता लगा पाना आसान नहीं होता।
आतंकवादी हमले में 27 लोगों की मौत, 20 से ज्यादा घायल
जम्मू-कश्मीर में 14 फरवरी 2019 को हुए पुलवामा अटैक के बाद ये सबसे बड़ा हमला है। मंगलवार दोपहर हुए इस आतंकवादी हमले(Pahalgam Terror Attack ) में 27 लोगों की मौत हो गई जबकि 20 से ज्यादा लोग घायल हैं। हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा के विंग द रजिस्टेंस फ्रंट यानी TRF ने ली है। फायरिंग के बाद आतंकी भाग निकले। इंटेलिजेंस सूत्रों ने बताया कि पहलगाम अटैक में दो फॉरेन टेररिस्ट और दो लोकल आतंकी शामिल थे। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि पर्यटकों को गोली मारने से पहले आतंकियों ने उनके नाम पूछे और कलमा भी पढ़वाया। इनमें एक UP के शुभम द्विवेदी थे, जिनका नाम पूछने के बाद आतंकियों ने उनके सिर में गोली मार दी। मृतकों में UP, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और ओडिशा के पर्यटक हैं। नेपाल और UAE के एक-एक टूरिस्ट और 2 स्थानीय भी मारे गए।
