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क्या है सिंधु जल समझौता? क्या होगा पाकिस्तान पर असर?

1947 से पहले भारत और पाकिस्तान, अविभाजित भारत का हिस्सा थे..फिर 15 अगस्त के बाद से दोनों स्वतंत्र राष्ट्र बन गए लेकिन दोनों देशों के बीच कई विवाद हैं जिन्होंने समय-समय पर उठकर वैश्विक ध्यान भी खींचा है। ऐसा ही एक विवाद है सिंधु जल समझौता ,क्या है सिंधु जल समझौता बताते हैं

क्या है सिंधु जल समझौता

भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में विश्व बैंक के तत्वावधान में एक जल-बंटवारा समझौता हुआ था जिसके तहत सिंधु नदी और इसकी 5 सहायक नदियों जिनके नाम सतलुज, ब्यास, रावी, झेलम और चिनाब हैं, उनके जल को दोनों देशों के बीच बांटा गया। जिसके अनुसार भारत को तीन पूर्वी नदियों यानि व्यास, रावी, सतलुज के अप्रतिबंधित उपयोग की अनुमति मिली है वहीं पाकिस्तान को तीन पश्चिमी नदियों चिनाब, सिंधु, झेलम का कंट्रोल मिला…साथ ही भारत को विशिष्ट परिस्थितियों में घरेलू, गैर-उपभोग्य, कृषि और जलविद्युत प्रयोजनों के लिये इन नदियों के जल का उपयोग करने की कुछ छूट भी देती है।

इस व्यवस्था के अनुसार, पाकिस्तान को सिंधु नदी प्रणाली से लगभग 80% जल आवंटित किया जाता है, जबकि भारत को लगभग 20% जल मिलता है। संधि ने दोनों देशों के प्रतिनिधियों के साथ एक स्थायी सिंधु आयोग (PIC) की स्थापना को अनिवार्य किया, जिसे संधि के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिये वार्षिक बैठक करनी होती है। संधि में बाढ़ नियंत्रण और बाढ़ सुरक्षा की योजनाओं के लिए प्रावधान शामिल हैं। प्रत्येक देश को दूसरे देश को किसी भी संभावित क्षति से बचने के लिए प्रयास करने की आवश्यकता है।

किन मुद्दों पर होता रहा है विवाद?

दरअसल किशनगंगा जलविद्युत परियोजना जम्मू-कश्मीर में किशनगंगा नदी जो झेलम की सहायक नदी है उससे संबंधित है…पाकिस्तान ने इस पर दावा किया है कि विद्युत उत्पादन के लिये जल के बहाव पर नियंत्रण, Indus Water Treaty का उल्लंघन है। दूसरा विवाद है रतले जलविद्युत परियोजना जो चेनाब नदी पर एक रन-ऑफ-द-रिवर परियोजना है। पाकिस्तान ने चिंता जताई थी कि तटबंध का डिज़ाइन, भारत को नदी के प्रवाह पर काफी अधिक नियंत्रण प्रदान करता है। संधि में लिंक नहरों, बैराजों और ट्यूबवेलों के लिए धन जुटाने और निर्माण के लिए भी प्रावधान शामिल किए थे. खास तौर से सिंधु नदी पर तारबेला बांध और झेलम नदी पर मंगला बांध पर इनसे पाकिस्तान को उतनी ही मात्रा में पानी लेने में मदद मिली जो उसे पहले उन नदियों से मिलती थी जो संधि के बाद भारत के हिस्से में आ गई थीं।

क्या होगा पाकिस्तान पर असर?

यह पहला मौका है जब भारत ने सिंधु जल समझौता पर रोक लगाया है। पाकिस्तान की करीब 80% कृषि सिंचाई सिंधु जल प्रणाली पर निर्भर है। सिंधु जल समझौते पर भारत के रोक लगाने से पाकिस्तान में जल संकट उत्पन्न होगा और इसका असर कृषि पर पड़ेगा। वहीं, सिंधु नदी से जुड़े कई हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट पाकिस्तान में हैं। ऐसे में जल की कमी से इनका उत्पादन प्रभावित होगा और ऊर्जा संकट गहराएगा, जो पाकिस्तान में पहले से ही एक बड़ी समस्या है। वहीं, पाकिस्तान के पंजाब और सिंध क्षेत्रों में लाखों लोग इस नदी प्रणाली पर पीने के पानी के लिए निर्भर हैं।

Mayank Dwivedi
Author: Mayank Dwivedi

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