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Caste Census पर राहुल गांधी सरकार के साथ, प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कही बड़ी बात

Rahul on Caste Census

देश में आजादी के बाद पहली बार जाति जनगणना कराई जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को कैबिनेट की बैठक हूई, जिसमें सरकार ने अगले जनगणना में जातियों की गणना (Caste Census In India) कराने का फैसला किया है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि इसे मूल जनगणना के साथ ही कराया जाएगा। देश में इसी साल के आखिर में बिहार विधानसभा के चुनाव होने हैं। कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल जाति जनगणना कराने की मांग करते रहे हैं। ऐसे में इस ऐलान के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी(Rahul Gandhi) ने मंगलवार को एक अहम प्रेस कॉन्फ्रेंस की और सरकार के फैसले का स्वागत किया। हालांकि उन्होंने कुछ अहम मांगें भी सरकार के समक्ष रखीं।

जाति जनगणना पर सरकार को हमारा पूरा सपोर्ट-राहुल

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी(Rahul Gandhi) ने कहा कि हम पिछले कई सालों से सोच विचार कर सरकार से जाति जनगणना कराने की मांग की है। हम चाहते हैं कि सरकार जाति जनगणना कराने की तारीख बताए। राहुल गांधी(Rahul Gandhi) ने कहा कि जाति जनगणना को लेकर हमने गहराई से कैंपेन चलाई है। हमने कहा था कि हम जाति जनगणना कराकर रहेंगे। अब जब केंद्र सरकार ने जाति जनगणना(Caste Census ) कराने का ऐलान किया है, तो हम इसे समर्थन देते हैं लेकिन हम यह भी जानना चाहते हैं कि ये जनगणना(Caste Census) कब कराई जाएगी। उन्होंने आगे कहा, “हम मोदी जी की इस बात से सहमत हैं कि देश में सिर्फ चार जातियां हैं (गरीब, मध्यम वर्ग, अमीर और बहुत अमीर), लेकिन इन चारों के भीतर भी कौन कहां खड़ा है, यह जानने के लिए जातिगत आंकड़े जरूरी हैं। जाति जनगणना पहला कदम है, लेकिन हमें इससे आगे भी बढ़ना होगा।

“हम सरकार को जाति जनगणना की रूपरेखा तैयार करने का प्रस्ताव देते हैं”

राहुल(Rahul Gandhi) ने आगे कहा कि हम सरकार को जाति जनगणना की रूपरेखा तैयार करने का प्रस्ताव देते हैं। एक बिहार की रूपरेखा है और दूसरी तेलंगाना की, और दोनों में बहुत अंतर है। हम जाति जनगणना के माध्यम से विकास का एक नया प्रतिमान लाना चाहते हैं। हम केंद्र से संस्थानों, सत्ता संरचनाओं आदि में ओबीसी, दलितों, आदिवासियों की भागीदारी के बारे में यह सवाल पूछ रहे हैं। राहुल गांधी ने कहा कि सरकारी संस्थानों की तरह ही निजी संस्थानों में भी आरक्षण लागू होना चाहिए। सामाजिक न्याय केवल सरकारी नौकरियों तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि निजी क्षेत्र में भी समान अवसर सुनिश्चित किए जाने चाहिए।

Mukul dwivedi
Author: Mukul dwivedi

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